यूपी से झारखंड, बिहार, बंगाल के साइबर ठगों तक पहुंच रहे फर्जी सिम, फिर वही बनाते है लोगों को शिकार

Prayagraj Zone

प्रयागराज (www.arya-tv.com) साइबर क्राइम तेजी से बढ़ रहा है तो इसके पीछे तमाम ऐसे लोग हैं जो पैसों के लिए फर्जी आधार कार्ड तैयार करने से लेकर जाली कागजात के जरिए सिम एक्टीवेट करते और साइबर अपराधियों को बेचते हैं। ऐसे लोग इंटरनेट के जरिए ठगी करने वाले जालसाजों को फर्जी पेटीएम एक्टिवेटेड मोबाइल सिम की सप्लाई भी कर रहे हैं। झारखंड और बिहार के गिरोह को ऐसे सिम यूपी से सप्लाई किए जा रहे हैं। पिछले दिनों प्रयागराज पुलिस ने सीतापुर और लखनऊ जनपद के तीन लोगों को गिरफ्तार कर ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया तो पता चला कि साइबर क्राइम के शातिर आखिर कैसे यह फर्जीवाड़ा अंजाम दे रहे हैं।

देश भर में बन रहे लोग शिकार औऱ टेलीकाम कंपनी के सेल्समैन बने मददगार

ज्यादा गंभीर बात यह है कि इस गिरोह से टेलीकाम कंपनी के लिए काम करने वाले युवक भी जुड़े हैं। सच तो यह है कि ये टेलीकाम कंपनी के सेल्स से जुड़े लोग ही फर्जीवाड़ा में सहयोगी बने हैं जिसकी वजह से झारखंड के जामताड़ा से लेकर बिहार औऱ बंगाल में बैठे शातिर जालसाज देश भर में लोगों को शिकार बना रहे हैं।

साइबर सेल ने प्रयागराज में इन्हें गिरफ्तार कर ये की थी बरामदगी

प्रयागराज में साइबर सेल और कैंट थाने की पुलिस ने जिन तीन लोगों को इंटरनेट ठगी के नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया उनमें वोडाफोन आइडिया कंपनी का डिस्ट्रीब्यूटर एंड सेल्स एक्जीक्यूटिव (डीएसई) इकबाल अहमद, उसका साथी कलीश अहमद और शैलेष यादव शामिल है। पुलिस टीम ने गिरफ्तार लोगों के कब्जे से 124 फर्जी आधार कार्ड, 393 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 113 अनएक्टिवेटेड सिम, फ्रिंगर प्रिंट एक्टीवेशन मशीन, लैपटाप, सात मोबाइल व 25 हजार रुपये जब्त किए। पुलिस ने बताया कि जांच में पता चला कि इनसे कलीम, कपिल वर्मा, राममूर्ति और राजू मंडल जुड़े हैं जो फरार हैं। सिम खरीदने वाले भी रडार पर हैं।

इस तरह से चलता है साइबर अपराधियों का नेटवर्क

पुलिस ने बताया कि बताया कि पकड़े गए आरोपितों में एक इकबाल अहमद वोडाफोन आइडिया में पांच हजार रुपये की सैलरी पर नौकरी करता था। वह डिस्ट्रीब्यूटरों से प्रति सिम पांच रुपये की दर से प्राप्त करता था। फिर फर्जी ढंग से तैयार आधार कार्ड के जरिए जाली केवाइसी से एक्टीवेट कर कलीश अहमद को 100 से 150 रुपये में बेचता था। कलीस अपने मोबाइल दुकानदार सहयोगी कलीम के सहयोग से एक्टीवेट सिम में फर्जी केवाइसी के द्वारा पेटीएम एक्टीवेट कर लेता था। फिर पेटीएम में काम कर चुका शैलेष यादव जीएसटी की साइट से लोगों के पैन कार्ड नंबर निकालकर सिम कार्ड में जोड़ देता था, जिससे पेटीएम केवाइसी पूरी हो जाती थी और लेनदेन की लिमिट बढ़ जाती है। इसके बाद साइबर अपराधियों को ये सिम 700 से 800 रुपये में बेचते थे।

पांच हजार सिम कार्ड कोरियर से भेजा गया

आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यूपी से पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली के साइबर अपराधियों को पांच हजार सिम कार्ड कोरियर के जरिए भेजा गया है। पूछताछ में यह भी पता चला है कि सिम भेजने के बाद अभियुक्त फर्जी नाम और पते से खोले गए बैंक खाते और पेटीएम से ट्रांसफर कर रकम मंगवाते थे। प्रयागराज के एसपी क्राइम सतीश चंद्र ने बताया कि यह भी जानकारी मिली है कि आठ फर्जी सिम में तीनों आरोपितों की तस्वीर लगाकर एक्टीवेट किया गया है। इनके खातों की जांच की जा रही है।

शिकार को फंसाकर ठगी से लेकर हनीट्रैप तक में इस्तेमाल

प्रयागराज के एसएसपी का कहना है कि फर्जी सिम कार्ड के जरिए ही साइबर अपराधी लोगों से आनलाइन पैसे की ठगी, हनीट्रैप और जालसाजी करते है। बरामद सिम कार्ड को भी अपराधियों तक पहुंचाया जाना था। सिम एक्टीवेशन में 15 जनवरी से बदलाव हुआ था, मगर फर्जीवाड़ा करने का काम जारी था। टेलीकाम कंपनी के उच्चाधिकारियों को भी इस संबंध में पत्र लिखा जाएगा। पुलिस ने बताया कि कलीम खान निवासी मिरनिया, फूलबहेड़ लखीमपुर खीरी, कपिल वर्मा निवासी पिपरिया, लहरपुर, सीतापुर, राममूर्ति निवासी नकुरी कला, हरगांव, सीतापुर औऱ राजू मंडल निवासी नवादा मुर्शीदाबाद, पश्चिम बंगाल की गिरफ्तारी की जानी है।