खून में थक्का बनने के कारण महीनों तक रहता है लॉन्ग कोविड का असर, जानें क्या है पूरा मामला

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(www.arya-tv.com) कोरोना के कहर ने हम सबको परेशान कर रखा है। कोरोना से ठीक होने के बाद भी महीनों तक परेशानी कम नहीं होती। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों में कई महीनों तक आने वाली समस्याओं को लॉन्ग कोविड (Long Covid ) कहा जाता है।

लॉन्ग कोविड की समस्या क्यों पैदा होती, इसका कारण अब तक स्पष्ट नहीं था, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके कारण का पता लगा लिया है। डेलीमेल की खबर के अनुसार खून की वाहिकाओं में छोटे-छोटे थक्के के कारण कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को कई महीनों तक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये छोटे-छोटे थक्के खून में फंस जाते हैं। इन थक्कों में सूजन वाले अणु मौजूद होते हैं।

खून में इंफ्लामेटरी अणु फंसने लगते हैं

वैज्ञानिकों का कहना है कि अध्ययन के मुताबिक खून की वाहिकाओं (bloodstream) में इंफ्लामेटरी अणु फंस जाते हैं जिसके कारण ब्लॉकेज होने लगता है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने लगती है। लॉन्ग कोविड के कारण सबसे ज्यादा बॉडी में थकान, सिर दर्द और सांस लेने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में यह दावा किया है कि बहुत छोटे-छोटे क्लॉट्स लॉन्ग कोविड के कारण हैं। ये कई अन्य कारकों के लिए भी जिम्मेदार हैं। स्टेलनबॉश्च यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिशेया प्रिटोरियस के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया है। प्रोफेसर प्रिटोरियस ने लॉन्ग कोविड से पीड़ित 11 लोगों और 13 हेल्दी लोगों के खून के सैंपल में परीक्षण के आधार पर यह निष्कर्ष दिया है।

खून के थक्के को तोड़ने की क्षमता कम हो जाती है:

प्रोफेसर रेशिया कहती हैं, हमने लॉन्ग कोविड से पीड़ित लोगों के ब्लडस्ट्रीम में कई सूक्ष्म क्लॉट्स देखें। ये क्लॉट्स खून में फंसे हुए थे। फंसे हुए कुछ अणुओं में क्लॉटिंग प्रोटीन फाइब्रिनोजेन (fibrinogen) के साथ-साथ अल्फा 2 एंटीप्लाजमिन (alpha(2)-antiplasmin) भी पाए गए। फाइब्रिनोजेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो खून में पाया जाता है। जब ब्लीडिंग होती है, तो इसी फाइब्रिनोजेन की मदद से खून में थक्का बनने लगता है। इसके बाद ब्लीडिंग वाली जगह पर थक्के का जाल बन जाता है और खून का बहना रूक जाता है।

लेकिन लॉन्ग कोविड के मामले में अल्फा 2 एंटीप्लाजमिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, जो खून में फंस जाती है। इससे शरीर में थक्कों को तोड़ने की क्षमता कम होने लगती है। इसका नतीजा यह होता है कि कोशिकाओं में सूजन होने लगती है।