कोरोना की बुरी मार झेल रहे दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद

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(www.arya-tv.com)  दिल्ली सरकार ने सोमवार को जैसे ही 26 अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा की राजधानी के रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंड्स पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। सबसे ज्यादा भीड़ आनंद विहार बस स्टैंड, सराय काले खां बस अड्‌डे, हजरत निजामुद्दीन और नई दिल्ली स्टेशन पर दिखी। इनमें सबसे ज्यादा दिहाड़ी मजदूरी करने वाले परिवार और छात्र थे। सबसे ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बुंदेलखंड तथा बिहार के थे। ट्रेनों-बसों के नियमित संचालन के बावजूद बड़ी संख्या में लोग परेशान होते दिखे। ट्रेनों में रिजर्व टिकट न मिलने से लोग बस अड्‌डों और सड़क किनारे बसों के इंतजार में दिखे।

सरायकाले खां बस अड्‌डे से कुछ मीटर पहले ही नेशनल हाईवे 44 पर बड़ी संख्या में मजदूर अपना-अपना सामान प्लास्टिक की बड़ी-बड़ी बोरियों में भरकर सड़क किनारे बैठे दिखे। मध्य प्रदेश के दमोह जाने के लिए बस का इंतजार करते रमेश ढ़ीमर ने बताया, वह और उनकी पत्नी एक बिल्डर के यहां काम करते हैं। पिछली बार लॉकडाउन में बहुत समस्या का सामना करना पड़ा था। इसलिए इस बार जैसे पता चला कि लॉकडाउन की घोषणा हुई है, हम बिना देर किए सामान बांधकर घर जाने के लिए निकल पड़े। पहले हम रेलवे स्टेशन गए लेकिन वहां रिजर्व टिकट नहीं मिला। बिना रिजर्वेशन ट्रेन में घुस नहीं सकते इसलिए सड़क किनारे बस का इंतजार कर रहे हैं।

पिछले लॉकडाउन में बचत खत्म हो गई, अब यहां रुका तो किराया कहां से दूंगा
बिहार के सासाराम की छात्रा ऋतु ने नई दिल्ली स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने पहुंची हैं। उन्होंने कहा, लॉकडाउन कितना लंबा चलेगा कह नहीं सकते। हालात बिगड़ें इसके पहले घर पहुंच जाएं तो बेहतर होगा। जौनपुर के पवन ड्राइवर हैं और दिल्ली में 11 वर्ष से रहते हैं। पिछली बार लॉकडाउन में उनकी बचत खत्म हो गई थी। उन्होंने कहा, फिर लॉकडाउन हो गया है, अगर टैक्सी की सवारी नहीं मिलेगी तो उसका किराया कैसे चुकाऊंगा। अभी जा रहा हूं, जब लॉकडाउन हट जाएगा तब फिर दिल्ली आ जाऊंगा।

मुंबई के मलाड निवासी 84 वर्षीय मुरलीधर खत्री कोरोना पॉजिटिव हैं। एंबुलेंस उन्हें दहिसर चेकनाके कोविड सेंटर लेकर पहुंची तो पता चला बेड खाली नहीं है। खत्री के भाई कहते हैं रविवार रात से फोन कर-करके पूरा परिवार थक गया है। देश की आर्थिक राजधानी की यह एक बानगी है। दहिसर चेकनाका सेंटर के जिस गेट से संक्रमित भर्ती होते हैं वहां कुर्सी पर ऑक्सीजन लगाए संक्रमित महिला बैठी थी। यहां सेंटर के बाहर 64 साल के हार्ट एवं डायबिटीज पेशेंट गौरीशंकर भट्‌ट की बेटी मिली। उन्होंने बताया, हम चार निजी अस्पतालों में गए लेकिन जगह नहीं मिली।

अब कोविड सेंटर के कर्मचारी कह रहे हैं बाहर बेड की व्यवस्था कर लो। मुंबई में मरीजों की संख्या बढ़ने से हालात बिगड़ रहे हैं। कोरोना पॉजिटिव खुलेआम घूम रहे हैं। मीरारोड इलाके के उमेश संक्रमित हैं और रिपोर्ट लेने दहिसर कोविड सेंटर आए हैं। उमेश ने बताया, 5 दिन से भाई चक्कर लगा रहा है, रिपोर्ट नहीं मिली। संतोष घाडीगांवकर की सास इंदुवती 75 साल की हैं। उन्हें डॉक्टरों ने ऑक्सीजन की जरूरत बताई है, लेकिन बेड नहीं मिला। संतोष उन्हें ऑटो से दहिसर सेंटर लेकर आए, लेकिन कर्मचारियों ने हाथ खड़े कर दिए। इस बीच खबर है कि मुंबई को एक-दो दिन में विशाखापट्टणम, जामनगर और रायगड से करीब 500 टन ऑक्सीजन मिल जाएगी। माना जा रहा है कि इसके बाद स्थिति कंट्रोल में आ जाएगी।

कड़ी धूप, न पानी न सफाई | बीकेसी जंबो कोविड सेंटर में भर्ती मरीजों के परिजनों के रुकने का इंतजाम है, लेकिन न पानी है न साफ सफाई। एक मरीज के परिजन जुबेर खुद तंबू में झाडू लगाते दिखे, बताया टॉयलेट बदबू मार रहे हैं। दिगंबर साळवे का भाई यहां भर्ती है। वह खाने-पीने की दुकान न होने से परेशान हैं।

गाजियाबाद: देश की राजधानी से 50 किमी दूर शवों की कतार, जिंदगी लाचार

 दिल्ली से 50 किमी दूर गाजियाबाद में हिंडन नदी किनारे तीन दिन से मोक्षस्थली पर चिताएं जल रही हैं। जितने अंतिम संस्कार होते हैं, उतने शव और आ जाते हैं। इसके बावजूद रिकॉर्ड में कोरोना से कोई मौत नहीं है। श्मशान घाट में नाले पर बना जो स्लैब पहले फुटपाथ था वहां चिताएं रखी हैं। आचार्य मनीष पंडित बताते हैं, कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए विद्युत शवदाह गृह है। हालांकि कोरोना प्रोटोकाल से हो रहे अंतिम संस्कारों का रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा। तीन दिन से विद्युत शवदाह गृह बार-बार ठप हो रहा है। शनिवार शाम 5 बजे तक 38 शव पहुंचे।

शुक्रवार को संख्या 60 और रविवार को 30 अंतिम संस्कार हुए। श्मशान के अंदर 62 प्लेटफॉर्म हैं, लेकिन चिता बनाने और दाह संस्कार कराने वाले कम हैं। श्मशान के एक कर्मचारी ने बताया, सुबह से 14-15 कोरोना केस आ चुके हैं। जो डेड बॉडी कोरोना डेथ की हैं, वह अलग रखी हैं। इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में काम चल रहा है इसलिए लकड़ी की चिता पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वहीं, सीएमओ डॉ. एनके गुप्ता कहते हैं, दिल्ली नोएडा से लोग यहां शव ला रहे हैं, इसलिए अंतिम संस्कार बढ़ रहे हैं।