IIT कानपुर के एक प्रोफेसर का दावा- अगस्त से बढ़ेंगे कोरोना केस, दूसरे ने रिपोर्ट खारिज की

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(www.arya-tv.com)कोरोना की तीसरी लहर पर IIT कानपुर के 2 प्रोफेसरों के दावे अलग-अलग हैं। प्रो. राजेश रंजन की स्टडी के मुताबिक अगस्त में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ेगी। सितंबर-अक्टूबर में पीक आएगा।

इसके उलट इस संस्थान के पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल इस स्टडी को नहीं मानते। प्रो. अग्रवाल का कहना है कि वैक्सीनेशन बढ़ रहा है, इसलिए पहली और दूसरी लहर के मुकाबले तीसरी लहर कमजोर रहेगी। प्रो. अग्रवाल भी जल्द अपनी रिपोर्ट साझा करने वाले हैं।

प्रो. रंजन की स्टडी के 3 जरूरी पॉइंट

1. 15 जुलाई तक देश अनलॉक हो जाएगा। जनवरी 2021 में भी ऐसी ही स्थिति थी।

2. अनलॉक के बाद लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते, मास्क नहीं लगाते।

3. सितंबर से हालात खराब होना शुरू होंगे और अक्टूबर तक तीसरी लहर का पीक आ सकता है।तीसरी लहर कमजोर होगी: प्रो. अग्रवाल
प्रो. मणींद्र अग्रवाल के मुताबिक तीसरी लहर के आने का समय अभी स्पष्ट नहीं है। रिसर्च के बाद ही इसकी भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है। प्रो. मणींद्र अग्रवाल के मुताबिक तेजी से वैक्सीनेशन होने के कारण तीसरी लहर कमजोर होगी। प्रो. रंजन की रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि उस स्टडी में वैक्सीनेशन को शामिल नहीं किया गया है। जबकि वैक्सीनेशन की स्टडी के बिना पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। उन्होंने बुधवार को सोशल मीडिया पर प्रो. रंजन की स्टडी को टैग करते हुए स्पष्ट किया कि यह उनकी रिपोर्ट नहीं है। उनकी स्टडी चल रही है, जिसके परिणाम वे जल्द साझा करेंगे।

दूसरी लहर में एक संक्रमित ने 5 लोगों को संक्रमित किया
प्रो. मणींद्र ने बताया कि महामारी की भयावहता को मापने के लिए ‘आर नॉट’ वैल्यू बड़ा पैरामीटर है। फर्स्ट वेव में आर नॉट वैल्यू दो से तीन के करीब थी, इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एक व्यक्ति 2 से 3 लोगों को संक्रमित कर रहा था। सेकेंड वेव में यह 5 के करीब थी। यानी एक व्यक्ति कम से कम पांच लोगों को इन्फेक्ट कर रहा है। तीसरी लहर का पूर्वानुमान लगाने से पहले वैक्सीनेशन की कंप्लीट स्टडी करनी होगी। प्रो. अग्रवाल का कहना है कि इस बार हालात बदले हुए हैं। वैक्सीनेशन काफी हद तक संक्रमण की रफ्तार रोक देगा। हालांकि यह वायरस के वेरिएंट पर निर्भर करेगा।

SAIR-2 मॉडल से भी जुड़े रहे प्रो. अग्रवाल
प्रो. मणींद्र अग्रवाल कोरोना के संभावित असर के पूर्वानुमान के लिए भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा​​​​​​​ अगस्त 2020 को बनाई गई कमेटी का भी हिस्सा भी रहे हैं। AIR-2 मॉडल के जरिए कोरोना के संभावित प्रभाव का विश्लेषण भी उन्होंने किया था। बाद में अक्टूबर 2020 में वह खुद का मॉडल ‘सूत्र’ लेकर आए,और फिर उसके जरिए कोरोना के एनालिसिस पर काम शुरू हुआ।