जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन से जम रहे हैं खून के थक्के; जून तक टल सकता है भारत में अप्रूवल

Environment Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)भारत ने वैक्सीन डोज की कमी को दूर करने के लिए विदेशी वैक्सीन को अप्रूवल देने की प्रक्रिया तय कर ली है, लेकिन इसका लाभ जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन को शायद न मिले। उम्मीद थी कि मई में यह वैक्सीन भी भारत में उपलब्ध हो सकती है। दरअसल, खून के थक्के जमने की वजह से अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में इसके इस्तेमाल को रोक दिया गया है। यूरोप में भी इसके इस्तेमाल को टाल दिया गया है। अन्य देश भी इसका रिव्यू कर रहे हैं। लिहाजा इस सब का असर इस वैक्सीन की भारत में उपलब्धता पर भी पड़ेगा। इसका यहां आना जून तक टल सकता है।

आइए, समझते हैं कि क्या हुआ है इस वैक्सीन के साथ, जो अमेरिका और दक्षिण कोरिया में इसका इस्तेमाल रोकना पड़ा?

अमेरिका ने कब और क्यों रोका वैक्सीन का इस्तेमाल?

अमेरिका ने 13 अप्रैल को तय किया कि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल फिलहाल रोका जाए। तब तक 68 लाख अमेरिकियों को डोज दिया जा चुका था। 6 लोगों में खून के थक्के जमने की शिकायत मिली, इसमें से एक की मौत भी हो गई। अमेरिका ने अपने राज्यों से कहा है कि जब तक इन थक्कों की जांच न हो जाए, तब तक जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन का इस्तेमाल रोक दिया जाए। इससे पहले ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के डोज से असामान्य थक्के जमने की शिकायत के बाद यूरोप के कुछ देशों में इस्तेमाल रोका गया था।

यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से भी इसी तरह के थक्के जमने की रिपोर्ट मिली थी। इस वैक्सीन को अब तक अमेरिका में अप्रूवल नहीं मिला है। कुछ देशों ने इस वैक्सीन को कुछ ही आयु समूहों में इस्तेमाल की इजाजत दी है।

यह थक्के किस तरह अलग हैं?

यह खून के सामान्य थक्के जैसे नहीं है। यह दो तरह से अजीब हैं।

1. यह शरीर के असामान्य हिस्सों में बन रहे हैं, जैसे- दिमाग से खून लाने वाली नसों में।

2. यह उन लोगों में बन रहे हैं जिनके शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या असामान्य रूप से कम थी। प्लेटलेट्स कम होने पर खून के थक्के नहीं बनने की समस्या होती है। पर ऐसे में थक्के बनना थोड़ा अजीब है।

अमेरिका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US-FDA) के वैक्सीन चीफ जॉय पीटर मार्क्स के मुताबिक नॉर्वे और जर्मनी के वैज्ञानिकों ने संभावना जताई थी कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की वजह से होने वाले इम्यून रिस्पॉन्स ने शायद यह थक्के बनाए हैं। यानी इससे शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी प्लेटलेट्स पर हमला कर रही हैं। यह एक थ्योरी थी, जिसकी जांच अब अमेरिकी जांचकर्ता जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन पर कर रहे हैं।

इम्यून रिस्पॉन्स पर क्यों शक किया जा रहा है?

हैपरिन नाम के एक ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाला) के भी इसी तरह के साइड इफेक्ट्स होते हैं। कुछ मामलों में हैपरिन देने वालों में एंटीबॉडी बनती हैं जो प्लेटलेट्स पर हमले भी करती हैं और उन्हें बनाती भी हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के क्लॉट एक्सपर्ट डॉ. जेफरी बार्न्स का कहना है कि हैपरिन ब्लीडिंग और क्लॉटिंग दोनों ही तरह के इफेक्ट दिखाता है। अमेरिका में तकरीबन हर अस्पताल में हैपरिन का इस्तेमाल होता है और इसके साइड इफेक्ट को डायग्नोस और उसका इलाज करना सबको आता है।

उन लोगों में कम प्लेटलेट और क्लॉट बनने के अजीब कॉम्बिनेशन के बहुत कम मामले रिपोर्ट हुए, जिन्हें हैपरिन नहीं दी गई थी। बार्न्स के मुताबिक एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के डोज लेने वालों में क्लॉटिंग की रिपोर्ट आने तक इन केसेज ने ध्यान नहीं खींचा था।

अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक जॉनसन एंड जॉनसन के वैक्सीन के इस्तेमाल को रोकने का एक कारण यह भी है कि डॉक्टरों को इस अजीब परिस्थिति का इलाज करने के लिए वक्त मिल जाए। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने मंगलवार को ही बताया कि क्लॉट का पता कैसे लगाएं और उसका इलाज कैसे करें।