चीन अपने सीक्रेट नौसैनिक अड्डे में महाविशालकाय जंगी जहाजों को कर रहा तैनात, भारत और अमेरिका की टेंशन बड़ी

International

(www.arya-tv.com) चीन ने ताइवान पर अमेरिका के साथ जंग के खतरे के बीच अपनी सैन्‍य तैयारी को मजबूत करना शुरू कर दिया है। चीन ने हैनान प्रांत में अपने सीक्रेट नौसैनिक अड्डे को बड़े पैमाने पर विस्‍तार दिया है ताकि महाविशालकाय जंगी जहाजों को वहां तैनात किया जा सके।

सैटलाइट तस्‍वीरों से खुलासा हुआ है कि तीन ठिकानों और जहाजों के खड़े होने की जगहों को तेजी से विस्‍तारित किया जा रहा है। चीन की नौसेना दुनिया में सबसे बड़ी है और ताइवान पर अमेरिका के साथ टक्‍कर लेने के लिए वह अभी कई महाविनाशक युद्धपोत बना रहा है। चीन के इस यूलिन बेस से न केवल अमेरिका बल्कि भारत को भी बड़ा खतरा है। चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने पूर्वी थिएटर कमांड को जंग के लिए तैयार रहने को बोला है।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस साल के आखिर तक कम से कम 10 विशाल युद्धपोत अपनी नौसेना में शामिल करने जा रहा है। इसमें टाइप 052D डेस्‍ट्रायर और दो विशाल तथा बेहद तेजी से हमला करने वाले टाइप 054B फ्रीगेट शामिल है। इनकी कुल विस्‍थापन क्षमता 72 हजार टन है। ये नए युद्धपोत चीन के दो एयरक्राफ्ट कैरियर के बेड़े में शामिल होंगे जिससे उनकी कुल विस्‍थापन क्षमता 1 लाख 20 हजार टन तक पहुंच जाएगी। इसके अलावा 8 टाइप 055 के क्रूजर शिप, 3 विशाल टाइप 075 लैंडिंग हेलिकॉप्‍टर डॉक जहाज भी हैं।

इन सभी को चीन ने ताइवान को ध्‍यान में रखते हुए पिछले 15 साल में सेना में शामिल किया है। इससे चीन के कुल सक्रिय युद्धपोतों की संख्‍या इस साल 600 तक पहुंच जाएगी। यह दो दशक के पहले की संख्‍या का 3 गुना है। यही नहीं इन जहाजों को चलाने के लिए चीनी सेना ने हजारों की तादाद में रिटायर सैनिकों को भी शामिल किया है। सैटलाइट तस्‍वीरों से पता चला है कि चीन ने पिछले साल यूलिन नेवल बेस को अपग्रेड करना शुरू किया था। ताइवानी नेवल अकादमी में ट्रेनर रह चुके लू ली शिह कहते हैं कि इस चीनी तरीके का इस्‍तेमाल भूमध्‍य सागर में सदियों से किया जाता रहा है।

चीन के नौसैनिक विशेषज्ञ ली जीए कहते हैं कि रूसी नौसेना भी इसी रणनीति पर काम करती है ताकि हमला करने में सक्षम पूरा नौसैनिक बेड़ा एक सीमित स्‍थान पर खड़ा किया जा सके। इससे तत्‍काल किसी ऐक्‍शन के लिए चालक दल को आसानी से भेजा जा सकता है। यूलिन चीन की नौसेना के सबसे महत्‍वपूर्ण ठिकानों में से एक है। इसके जरिए दक्षिण चीन सागर तक आसानी से पहुंच हो जाती है और आगे हिंद महासागर तक जाया जा सकता है।

इसी नौसैनिक बेस के जरिए ही हिंद महासागर में अदन की खाड़ी और सोमालिया तक मिशन का संचालन किया जा सकता है। इसलिए यह चीनी बेस भारत के लिए भी बड़ा खतरा है। यहीं पर चीन का पहला घरेलू एयरक्राफ्ट कैरियर और पनडुब्बियों का विशाल बेड़ा भी तैनात है। चीनी नौसेना का पहला और एकमात्र विदेशी नौसेनिक बेस अफ्रीका के जिबूती में है। वहां भी आसानी से एयरक्राफ्ट कैरियर को खड़ा किया जा सकता है। यूलिन बेस से ही वहां भी मदद भेजी जाती है।