बिहार: लालू के MY समीकरण की तर्ज पर नीतीश का प्लान ‘PM’, लोकसभा चुनाव 2024 में बोतल से निकलेगा जिन्न?

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश ने लालू यादव के MY समीकरण की तर्ज पर PM प्लान बनाया है। ऐसा उनके हालिया कदमों से लग रहा है। प्लान PM यानि पिछड़े और मुसलमान। अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने हाल के दिनों में दो बड़े फैसले लिए हैं। हालांकि पहले भी नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों के हित के लिए कदम उठाते रहे हैं।

नीतीश सरकार का ताजा फैसला सोमवार को कैबिनेट की विशेष बैठक में हुआ। फैसले के मुताबिक अल्पसंख्यक युवकों को रोजगार देने के लिए राज्य सरकार अब 10 लाख रुपये देगी। इसमें आधी रकम यानी पांच लाख कर्ज होगी तो आधी रकम सरकारी का अनुदान रहेगा। इससे पहले उन्होंने तालीमी मरकज के मानदेय में दोगुने की वृद्धि की थी। यानी महीने में 11 हजार पाने वाले तालीमी मरकज को अब 22 हजार रुपए का मानदेय मिलेगा।

अल्पसंख्यक युवाओं को 10 लाख तक की सहायता

अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं को रोजगार के लिए बिहार में सीएम अल्पसंख्यक उद्यमी योजना की शुरुआत की जाएगी। कैबिनेट की बैठक में इसे पारित कर दिया गया है। योजना के तहत अल्पसंख्यक युवाओं को परियोजना लागत को देखते हुए 10 लाख रुपए का कर्ज राज्य सरकार मुहैया कराएगी। कुल परियोजना लागत का 50 फीसदी यानी पांच लाख रुपए कर्ज के रूप में होंगे। बाकी रकम राज्य सरकार इस योजना के तहत अनुदान देगी। परियोजना के लिए 10 लाख के कर्ज पर राज्य सरकार पांच लाख रुपए अनुदान देगी।

तालीमी मरकज का मानदेय बढ़ा कर दोगुना किया

इससे पहले राज्य सरकार ने तालीमी मरकज के वर्तमान मानदेय को 100% बढ़ा दिया था। यानी उनका मानदेय 11 हजार रुपए प्रतिमाह से बढ़ा कर 22 हजार प्रतिमाह करने की मंजूरी नीतीश सरकार ने पिछली कैबिनेट बैठक में ही दे दी थी। महादलित और अल्पसंख्यक बच्चों की स्कूलों में संख्या बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने तालीमी मरकज और टोला सेवकों की अवधारणा पर काम किया।

बिहार में टोला सेवक व तालीमी मरकज के 30 हजार पद सृजित किए गए। अभी राज्य में 27918 केंद्र चल रहे हैं। टोला सेवक और तालीमी मरकज स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए बच्चों और उनके अभिभावकों को प्रेरित करते हैं। महादलित, दलित व अल्पसंख्यक अति पिछड़ा वर्ग के बच्चों के शत-प्रतिशत स्कूलों में नामांकन के लिए राज्य सरकार ने ये पद सृजित किए थे।

टोला सेवकों व तालीमी मरकज की आई थी वैकेंसी

बिहार के शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिलों में महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के तहत शिक्षा सेवक (टोला सेवक)/ शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी। शिक्षा सेवक भर्ती 2023 के लिए अभ्यर्थियों से ऑफलाइन आवेदन आमंत्रित मांगे गए थे। करीब 2578 पदों पर बहाली की जानी है। आवेदन की तिथि 4 सितंबर तक थी।

माइनॉरिटी वोटों को लेकर चिंतित हैं नीतीश कुमार

सच बात यह है कि नीतीश कुमार को मुस्लिम वोटों की चिंता सता रही है। बिहार में कांग्रेस की सत्ता का दौर खत्म होने के बाद आरजेडी मुस्लिम वोटों की एकमात्र दावेदार बन गया था। नीतीश कुमार ने आहिस्ता-आहिस्ता मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में कर लिया। भाजपा के साथ रहते हुए भी नीतीश से मुस्लिम वोटर नहीं बिदके, इसलिए कि कई मौकों पर नीतीश ने साबित किया था कि वे मुसलमानों के साथ हैं।

वह चाहे विधानसभा में प्रतिनिधित्व की बात हो या उनके कल्याण की योजनाएं। मुस्लिम तबके को खुश करने के लिए ही नीतीश ने नरेंद्र मोदी के पीएम फेस घोषित होते ही भाजपा का साथ छोड़ दिया था। कई मौकों पर मोदी की उपेक्षा कर नीतीश ने मुस्लिम तबके में अपनी विश्वसनीयता कायम रखी। लेकिन साल 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश को गहरा झटका लगा।

जेडीयू ने 10 प्रतिशत टिकट माइनॉरिटी को दिए थे

नीतीश कुमार को झटका तब लगा, जब उन्होंने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में अपने हिस्से की 122 में 10 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों को दीं, लेकिन एक भी नहीं जीता। जेडीयू ने 11 मुस्लिम उतारे थे। नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल में एक अदद मुस्लिम चेहरे के लिए तरसना पड़ा। उन्होंने इसकी भरपाई एमएलसी कोटे से की। ऐसा सिर्फ नीतीश के भाजपा के साथ आते-जाते रहने के कारण हुआ।

साल 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू का पार्टनर आरजेडी था। तब नीतीश की पार्टी से पांच मुस्लिम कैंडिडेट जीते थे। साल 2020 में उनमें से चार को नीतीश ने दोबारा टिकट दिया, फिर भी कोई जीत नहीं पाया।