विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का बड़ा बयान, जो बाइडन UNSC में भारत को स्थायी सीट देने को समर्थन

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(www.arya-tv.com) भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता पर अमेरिकी समर्थन को लेकर बड़ी जानकारी दी है। श्रृंगला ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को लगता है कि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। श्रृंगला ने कहा कि भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता की भी सराहना की गई, विशेष रूप से अफगानिस्तान मुद्दे पर। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत के प्रदर्शन को देखते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट देने का समर्थन किया ।

भारत सात बार रह चुका है सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य  
बता दें कि भारत वर्ष 1950-1951, 1967-1968, 1972-1973, 1977-1978, 1984-1985 1991-1992 और 2011-2012 के दौरान 7 बार सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में चुना जा चुका है। 

UNSC में कुल 15 सदस्य
UNSC  में कुल 15 सदस्य देश होते हैं, जिनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं। 193 सदस्यों वाली महासभा हर साल इन 10 अस्थायी देशों को चुनने के लिए चुनाव करती है। अस्थायी देशों का कार्यकाल दो साल का होता है। फिलहाल स्थायी सदस्यता अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस के पास है।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति बाइडन के बीच रही दोस्ताना मुलाकात
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच व्हाइट हाउस में पहली मुलाकात काफी हंसी-मजाक के बीच हुई। दोनों ही नेताओं ने गर्मजोशी से एक-दूसरे का अभिवादन किया। जहां बाइडन ने कहा कि वे फिर से व्हाइट हाउस में मोदी का स्वागत कर के खुश हैं, तो वहीं मोदी ने बेहतरीन स्वागत के लिए बाइडन का धन्यवाद किया। इस दौरान एक मजेदार वाकया भी घटा। दरअसल, जब मीडिया के सामने दोनों नेता बातचीत कर रहे थे, तब बाइडन ऑफ-स्क्रिप्ट चले गए। उन्होंने बीच में ही मोदी को अपने 2006 के मुंबई दौरे और वहां मीडिया से हुई बातचीत के बारे में बताना शुरू कर दिया। मोदी ने भी उनकी बात पर हाजिरजवाबी दिखाई। इसके बाद शुरू हुआ ठहाकों का दौर काफी देर तक चला। 

अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई बातचीत
दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने तालिबान से संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 2593 के तहत अपनी सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करने का आह्वान किया, जिसमें यह सुनिश्चित करना शामिल है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग किसी भी देश को आतंकवादी समूहों को शरण देने या प्रशिक्षित करने के लिए धमकाने और हमला करने के लिए नहीं किया जाता है।