रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा:कानपुर विकास प्राधिकरण के 2 अफसरों समेत 9 पर गिरी गाज

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(www.arya-tv.com) 13 प्लॉट और भवनों को हथियाने के लिए किए गए फर्जीवाड़े में केडीए ने बड़ी कार्रवाई की है। इन मामलों में दो अफसरों समेत नौ पर गाज गिरी है। एक बाबू को निलंबित कर दिया गया है, जबकि दो अफसरों के निलंबन और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति प्रमुख सचिव आवास एवं नगर नियोजन से की गई है। दो मौजूदा और तीन रिटायर कर्मियों समेत एक रिटायर उप सचिव के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई बैठा दी गई है।

  • इन कर्मचारियों पर भी कार्रवाई
    अनु सचिव केसीएम सिंह और लेखाकार केएन वर्मा के निलंबन की संस्तुति केडीए वीसी अरविंद सिंह ने की है। इन्हें आरोप पत्र थमाकर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी। द्वितीय श्रेणी लिपिक प्रदीप सविता को निलंबित कर दिया गया है। वहीं रिटायर हो चुके उप सचिव नागेंद्र पांडेय, बाबू एजाज अंसारी, रिटायर बाबुओं में प्रेम साहू और त्रिभुवन गुप्ता के अलावा दो अनुचर कुमारी मधु व शिव प्रसाद तिवारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई बैठाई गई है।

    सिविल न्यायालय में वाद दाखिल
    फर्जी रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए सिविल न्यायालय में वाद भी दाखिल कर दिया गया है। जो भूखंड खाली थे उन का कब्जा ले लिया गया है। फर्जीवाड़ा करने वालों की जमा धनराशि जब्त कर ली गई है। वहीं स्वरूप नगर थाने में कुल 13 एफआईआर दर्ज कराई गई है। कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

    सीक्रेट मिशन के तहत होती रही जांच
    केडीए वीसी अरविंद सिंह ने बताया कि मामलों की जांच के लिए मिशन सीक्रेट क्लीन चलाया गया था। खास बात यह है कि 30 से 40 वर्षों से जो भूखंड कागजों में छिपाकर केडीए के कॉकस के जरिए रखे गए थे उनकी भी परतें इसमें खुल गईं हैं। प्राधिकरण के कई कर्मचारियों के गठजोड़ से इस तरह के कार्य किए जा रहे थे। इसे भी मिशन के तहत तोड़ा गया। तेरह संपत्तियों में फर्जीवाड़ा करने वाले 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।

    अभी कई अफसर और बाबू निशाने पर
    अभी कई अफसर और बाबू निशाने पर हैं जिनके खिलाफ गाज गिरनी तय है। सुजातगंज योजना में तो दो वर्ष के भीतर ही फर्जी तरीके से रजिस्ट्री की गई। ऐसे कई मामले शासन तक पहुंचे जिसके निर्देश पर सभी की सघन जांच हो रही है। अहम बात यह है कि कुछ ऐसे दबंग बाबू हैं जिनके खिलाफ निलंबन की कई बार संस्तुति हो चुकी है मगर पहुंच के बल पर वह बचते चले आए। उन्होंने कार्रवाई कराने के नाम पर छोटे बाबुओं को फंसवा दिया।

    कई फाइलें रिकॉर्ड रूम तक पहुंची ही नहीं
    ऐसे बाबुओं की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह अधिकारियों और दबंग बाबुओं के कहने पर हस्ताक्षर कर दिए या फाइल आगे बढ़ा दी। उनके घपले की मंशा को नहीं समझा। कई फाइलें तो ऐसी गायब हुईं हैं जो हाल के महीनों की हैं। रिकॉर्ड रूम तक पहुंची ही नहीं मगर दर्शाया गया रिकॉर्ड रूम से गायब हुईं।

    इन चार प्रकार से किए गए हैं फर्जीवाड़े
    1. पारिवारिक सदस्य संख्या छिपाकर प्लॉट का नामांतरण अपने नाम कराना और बेच देना।
    2. जो प्लॉट या भवन पूर्व में बेचे जा चुके उनका फर्जी अभिलेख लगाकर नामांतरण कराना।
    3. ईडब्ल्यूएस भूखंड या भवनों के मूल आवंटी फर्जी तौर पर खुद बनकर नामांतरण कराना।
    4. परिवार में विवाद था मगर सच छिपाया और फर्जी अभिलेख लगाकर रजिस्ट्री करा ली।

    सच्चाई छिपाकर प्लॉट अपने नाम किया
    यूं तो फर्जीवाड़े के कई मामले मिलीभगत के जरिए हुए मगर कुछ मामले ऐसे भी हैं जो चौंकाने वाले हैं। ऐसा ही एक मामला किदवई नगर का भी है। किदवई नगर वाई ब्लॉक स्कीम नंबर दो में प्लॉट नंबर 1367 का मूल आवंटन वर्ष 1982 में राजेश्वरी देवी के नाम हुआ था। वर्ष 1983 में उन्होंने यह प्लॉट किसी और बेच दिया। बाद में इनके बेटों विश्वनाथ त्रिवेदी, आनंद त्रिवेदी और भतीजे ज्ञानेंद्र ने मिलकर केडीए में यह आवेदन किया कि उनकी राजेश्वरी देवी का निधन हो गया है।

    लिहाजा इनके नाम प्लॉट कर दिया जाए। इसमें सच्चाई छिपाई गई। वर्ष 2012 में फर्जी अभिलेख लगाकर इन्होंने नामांतरण कराया और फिर उस प्लॉट को किसी और को बेच दिया। अब केडीए ने नामांतरण निरस्त कर दिया है। रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए वाद दाखिल किया है।