(www.arya-tv.com) काशी विश्वनाथ धाम में अब नई व्यवस्था की शुरुआत की गई है. इस व्यवस्था के तहत अब विश्वनाथ के प्रांगण में चावल और आटे से बने लड्डू भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाएगा. श्री काशी विश्वनाथ न्यास ने 10 महीने पहले अपना प्रसादम बनाने का एलान किया था. इस पर काम शुरू हुआ और विद्वानों की टीम शास्त्र सम्मत प्रसादम बनाने की तैयारी में जुट गई. इसके लिए पुराणों का अध्ययन किया गया. फिर आटे के चावल से प्रसादम बनाने का फैसला हुआ. विद्वानों के मुताबिक धान भारतीय फसल है. इसका जिक्र पुराणों में है. भगवान कृष्ण और सुदामा के संवाद में भी चावल का जिक्र है.
विद्वानों का कहना है कि भगवान भोले शंकर को चावल के आटे का भोग लगता था. बेल पत्र का महत्व है, इसलिए बाबा विश्वनाथ को चढ़ने वाले बेलपत्र को जुटाया गया. फिर इसे धुलकर साफ कराया गया. सूखने के बाद बेलपत्र का चूर्ण बनाया गया, फिर इसे प्रसादम में मिलाया गया है.
बनास डेयरी में बनेगा प्रसाद
मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा का कहना है कि यह जिम्मेदारी न्यास परिषद द्वारा Banas Dairy अमूल कंपनी को मिली है. कंपनी ने न्यास परिषद के नियमों के मुताबिक 10 दिन का प्रसादम बना दिया है. इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण संस्था से मंजूरी मिल चुकी है. इस तैयार प्रसाद की अब से मंदिर में बिक्री भी शुरू हो गई है. बाबा को भोग लगाए जाने के बाद यह प्रक्रिया शुरू की गई है.
तिरूपति मंदिर में प्रसादम में मिलावट के बाद पूरे देश में आक्रोश देखा गया. इसके बाद कई मंदिरों ने प्रसादम के रूप में बदलाव किया. इसी कड़ी मेंविश्वनाथ मंदिर का भी यह फ़ैसला माना जा रहा है. हालांकि न्यास परिषद का कहना है कि 10 महीने पहले ही इस व्यवस्था को लागू करने का एलान किया गया था और उसी कड़ी में नये प्रसादम की व्यवस्था की गई है