गजब…….दृष्टिबाधित कमल शर्मा ने विश्व जूडो प्रतियोगिता में जीता स्वर्ण पदक,मिलेगा नेशनल अवार्ड

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बरेली (www.arya-tv.com) पीलीभीत शहर से सटे गांव बरहा की जोशी कालोनी निवासी कमल शर्मा जन्म से ही दृष्टिबाधित है लेकिन शरीर की यह कमजोरी उनकी सफलता में कभी बाधा नहीं बन सकी। अपने जोश और जज्बे की बदौलत न सिर्फ उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की बल्कि विभिन्न खेलों में भी धाक जमाई। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के कारण इस बार ब्लाइंड स्पोर्ट्स में नेशनल अवार्ड के लिए उनका चयन किया गया है। आगामी तीन दिसंबर को दिल्ली में राष्ट्रपति उन्हें यह अवार्ड प्रदान करेंगे।

कमल के पिता राममूर्ति लाल खेतीबाड़ी के साथ ही कृषि यंत्रों की वर्कशाप भी संचालित करते हैं। उनके दो बड़े भाई वीरपाल शर्मा व नरेंद्र शर्मा तथा बहन मीना की शादी हो चुकी है। इसी साल जुलाई में कमल को लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्ण नाथ में बड़ौड़ा उप्र ग्रामीण बैंक में लिपिक की नौकरी मिल गई। इस कारण वह एमए फाइनल पूरा नहीं कर सके। अब इसी साल पढ़ाई पूरी करने का इरादा रखते हैं। जन्म से ही दृष्टिबाधित होने के कारण बचपन में माता पिता काफी परेशान होते थे लेकिन कमल ने कभी हिम्मत नहीं हारी।

जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के व्यवस्थापक सुखवीर सिंह भदौरिया के सहयोग से उन्हें वर्ष 2003 में लखनऊ स्थित गवर्नमेंट ब्लाइंड स्कूल में दाखिला मिल गया। यहीं से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। इसके बाद लखनऊ में ही डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। यहां से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद एमए (राजनीति विज्ञान) में प्रवेश लिया। प्रथम वर्ष की परीक्षा पास कर ली थी। द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के दौरान ही कमल का चयन उप्र बड़ौदा ग्रामीण बैंक में लिपिक के पद पर हो गया।

वर्तमान में वह गोला गोकर्णनाथ में बैंक की मुख्य शाखा में कार्यरत हैं। कमल ने वर्ष 2013 में हंगरी में आयोजित विश्व दिव्यांग जूडो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। वह शतरंज के भी अच्छे खिलाड़ी हैं। जोन स्तर की प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन के कारण उन्हें राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए चयनित किया जा चुका है। वह क्रिकेट भी बहुत अच्छा खेलते हैं। वर्तमान में वह यूपी की ब्लाइंड क्रिकेट टीम के कैप्टन हैं। ब्लाइंड स्पोर्ट्स में नेशनल अवार्ड के लिए चयनित किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कमल कहते हैं कि ईश्वर की कृपा और माता-पिता के आशीर्वाद से ही यह उपलब्धि प्राप्त हुई है।