काबुल से महिलाओं पर रिपोर्ट:अस्पताल में इलाज करा रही हैं, बाजार में शॉपिंग भी, पहले जींस खरीदती थीं, अब स्कार्फ

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(www.arya-tv.com) अफगानिस्तान से काबुलीवाले की ये तीसरी और आखिरी कहानी है। काबुल की सड़कों पर 21 अगस्त से फिर आम लोगों के कदम थे। पर एक फर्क साफ था। चाहे जहां जाएं, मसलन- दुकान, मॉल, लोकल मार्केट या फिर बस अड्डा हर नजर लोग तो थे, लेकिन मर्द ही मर्द। वो भी कुर्ता-पाजामा और सदरी पहने।

औरतें नदारद थीं। दस मिनट और कई दफा तो उससे भी ज्यादा देर तक चारों ओर नजरें दौड़ाने पर कोई औरत दिख पाती। पहले जिन जगहों पर सौ-पचास औरतें यूं ही घूमते-फिरते दिख जातीं, अब वहां बमुश्किल चार से पांच। ये तालिबान का असर था। आज इसी की कहानी काबुल के डगर-डगर, गली-गली से…

  1. जींस नहीं, अब स्कार्फ खरीद रही हैं काबुल की महिलाएं
    22 अगस्त, दिन रविवार, दोपहर 1 बजे, काबुल के मशहूर मॉल गुलबार सेंटर के अंदर गारमेंट्स की दुकान सजाकर बैठे एक दुकानदार ने बताया कि अभी दो दिनों में 25-30 महिलाएं ही आईं।

    पहले शनिवार-रविवार को 500 तक महिलाएं आती थीं। इनमें से एक भी महिला ने जींस नहीं मांगा, ज्यादातर ने स्कार्फ और लॉन्ग सूट देखे। इनके पास अभी जीन्स का अच्छा-खासा कलेक्‍शन बचा हुआ है, उन्होंने इसे शोकेस भी किया है, लेकिन महिलाएं खरीद नहीं रही हैं।

    लोकल मार्केट में शॉपिंग करते दिखीं, लेकिन इक्का-दुक्का ही
    रविवार को ही शाम 4 बजे के आसपास, काबुल के लोकल मंडी के गेट पर कार लगाकर हम खड़े हुए। करीब 1 घंटे तक यहीं आसपास टहलने पर हमें 20 से ज्यादा महिलाएं नहीं दिखीं। महिलाएं 2 या 3 के ग्रुप में थीं। जो महिलाएं करीब से गुजरीं वो किसी बात पर हंस रही थीं। मोबाइल कैमरा देखते ही चेहरा छिपाने लगीं।