पुल टूटने से 3 गांवों का संपर्क कटा, 60 टूरिस्ट और 4 हजार गांव वाले फंसे

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(www.arya-tv.com)किन्नौर में रविवार को हुई त्रासदी के निशान कुछ लोगों के जेहन से मरते दम तक नहीं मिट पाएंगे। भू-स्खलन की इस घटना में रविवार को 9 लोगों की मौत हो गई थी और 3 लोग घायल हुए थे। सड़क टूट जाने 60 टूरिस्ट और इन्हें लेकर घाटी में पहुंची 30 गाड़ियां अभी भी फंसे हुए हैं। वहीं, पुल टूट जाने से 3 गांवों की साढ़े 4 हजार की आबादी का भी आपस में संपर्क कट गया है।

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पुल की मरम्मत करने में कम से कम एक सप्ताह का समय और लग सकता है। सड़क संपर्क टूट जाने की वजह से सेना और ITBP को भी रसद और जरूरी सामान पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है।पुल टूटने के बाद छितकुल, रक्षम, बड़सेरी गांवों में 60 टूरिस्ट और इन्हें लेकर यहां पहुंची 30 गाड़ियां फंसी हुई हैं। फंसे हुए लोगों को हेलिकॉप्टर के जरिये रेस्क्यू किया जा रहा है। उधर, बड़सेरी गांव के 1000, छितकुल के 2000 और रक्षम के 1500 गांववाले भी बाहरी दुनिया से कट गए हैं। इसकी वजह गांव बड़सेरी को जोड़ने वाला पुल टूट जाना है

सेब का सीजन शुरू होने से पहले रास्ता
हिमाचल प्रदेश में अक्टूबर में सेब का सीजन शुरू होता है। इससे पहले पूरी सड़क दुरुस्त करना और टूटे पुल बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। हालांकि, एक बड़ी चिंता आर्मी और ITBP के जवानों के लिए रसद और दूसरे जरूरी सामान पहुंचाने की है। फिलहाल इसके लिए हेलिकॉप्टर की मदद ली जा रही है।

पहले भी एक बार सेना ने 24 घंटे में बना दिया था पुल
जो पुल रविवार को टूटा, उसे 10 साल पहले बनाया गया था। यह सांगला-छितकुल संपर्क मार्ग के तौर पर इस्तेमाल होता था। सरकार चाहे तो इस पुल को 24 घंटे में तैयार किया जा सकता है। कई साल पहले भी इसी तरह से एक हादसे में क्षतिग्रस्त पुल को सेना ने 24 घंटे में तैयार कर दिया था।