26 नवंबर को ताजमहल के ऊपर आतंकवादी हमले के 13 वर्ष पूरे हो गए और पूरे देश भर में शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। इस घटना का काला पक्ष यह था कि इस घटना को हिंदू आतंकवाद के नाम से जोड़कर विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अन्य सनातन की संस्थाओं को ब्लैक लिस्ट करने की पूरी योजना तैयार हो चुकी थी।
नवी मुंबई स्थित ग्रामीण आदिवासी रिसर्च और वैदिक इनोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित भारत के संस्थापक अध्यक्ष विपुल लखनवी ने तो स्वर्गीय शहीद तुकाराम ओंबले जो कि सिर्फ एक साधारण सिपाही थे उनको सनातन का रत्न बोला है। जबकि चार लोग शहीद हुए थे उनको उन्होंने किसी भी प्रकार की बात से सनातन से नहीं जोड़ा।
इस संदर्भ में पत्रकार डॉ. अजय शुक्ला ने विपुल लखनवी से बेबाक बातचीत की है। प्रस्तुत है इस वार्ता के कुछ अंश।
डॉ अजय शुक्ला: विपुल जी आपने कई बार शहीद तुकाराम ओंबले को सनातन का रत्न बोलने की शुरुआत की है। यहां तक आपने यह भी बोला कि तुकाराम ओंबले का तो मंदिर बनना चाहिए। जबकि अन्य पुलिस अधिकारी भी शहीद हुए थे उनके विषय में आपने कोई टिप्पणी क्यों नहीं की?
विपुल जी: देखिए शुक्ला जी मैंने यह जो विचार रखा है यह बहुत सोच समझ कर रखा है वर्तमान में मैं दो लोगों को सनातन का रक्षक मानता हूं। तुकाराम ओंबले और दूसरे जिओ के निर्माता मुकेश भाई अंबानी।
डॉ अजय शुक्ला: अपने कथन को थोड़ा और अधिक स्पष्ट कीजिए?
विपुल जी: देखिए डॉक्टर राजेश शुक्ला जी जब 2010 में आतंकवादी हमला हुआ था तब उसको हिंदूवादी हमला बताने के लिए कांग्रेस सरकार ने पूरी तैयारी कर ली थी यहां तक दिग्विजय सिंह ने एक पुस्तक तक भी प्रिंट कर ली थी जिसके द्वारा वह हिंदुओं को आतंकवादी घोषित कर सनातन संबंधित सभी संस्थाओं को चाहे वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अथवा विश्व हिंदू परिषद हों अथवा कोई भी हो उनको आपातकाल की तरीके से भारत में पूर्णतः बैन कर सके।
वह तो तुकाराम ओंबले थे जिन्होंने अपने सीने में अनेकों गोलियां खाकर भी अजमल कासब को जिंदा पकड़ लिया और उसकी जांच में मालूम पड़ा कि यह हमला आतंकवादी पाकिस्तान का दामाद हाफिज शहीद ने करवाया है। यहां तक सभी आतंकवादियों के परिचय पत्र हिंदुओं के नाम से बनवाए गए। सभी के हाथ में कलावा भी बांधा गया। उनको पूरी तरीके से हिंदू दिखाने का प्रयास किया गया। कुछ तो यह भी आरोप लगाते हैं कि हिंदू संस्थाओं को बैन करने के लिए यह हमला कांग्रेस ने करवाया था। इस तरह के वक्तव्य आज भी सुनने को मिलते हैं। लेकिन मैं राजनीति में जाना नहीं चाहता। स्वर्गीय तुकाराम ओंबले के कारण हिंदुओं और हिंदुओं की संस्थाओं पर कांग्रेस सरकार बैन नहीं लगा सकी। आप कल्पना कीजिए यदि अजमल कासब भी मर गया होता तो आज देश में क्या हो गया होता।
दूसरी बात जब यह जांच सिद्ध होने के साथ मालूम पड़ गया कि यह पाकिस्तान ने हमला करवाया है और आतंकवादी हमला है तब भारत के हिंदुओं को कमजोर करने के लिए सोनिया गांधी की सरकार एक और विधेयक लाई जिसमें मुस्लिम वर्ग को किसी भी प्रकार के अपराध से मुक्ति पाने का कानून ही बनाने का प्रावधान था। लेकिन संसद में विरोध के कारण यह कानून पारित नहीं हो सका। आप इस कानून को नेट के माध्यम से पढ़ सकते हैं देख सकते हैं। इस कानून को इस सदी का सबसे अधिक काला कानून कहा जा सकता है। जिसका नाम “साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक-2011″।
मैं आपके पाठकों से अनुरोध करूंगा कृपया इस कानून को एक बार पढ़ ले तो आपके मन में उस समय के इस कानून निर्माता के विरुद्ध वह सब करने की इच्छा होगी जो मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।
कुछ भी हो शहीद तुकाराम ओंबले ने फिर से एक बार भारत में सनातन की रक्षा करने के लिए अपने प्राण अर्पित कर दिए इसलिए मैं उनको सनातन का रत्न कहता हूं।
डॉ अजय शुक्ला: तो फिर आप मुकेश भाई अंबानी का नाम क्यों ले रहे हैं।
विपुल जी: क्योंकि मुकेश भाई अंबानी ने जिओ लाकर बाकी सर्विस प्रोवाइडर को सबक सिखा दिया और भारत में नेट की कीमत विश्व में सबसे सस्ती हो गई। इस कारण भारत के नागरिकों के बीच में सनातन का प्रचार प्रचार हुआ और साथ ही उनको यह मालूम पड़ा कि पहले की सरकारें किस प्रकार से सनातन को नष्ट करने का प्रयास करती थी और नेताओं ने किस प्रकार से भारत के साथ विश्वास घात किया था और किया है और करते जा रहे हैं।
यह केवल नेट के कारण है कि आज राजस्थान में छत्तीसगढ़ में मध्य प्रदेश में अधिक वोटिंग हुई है।
डॉ अजय शुक्ला: तो फिर आप जगतगुरु रामभद्राचार्य को कहां पर रखेंगे।
विपुल जी: मैं जगतगुरु रामभद्राचार्य को बहुत सम्मान करता हूं और उनसे मिलने का आशीर्वाद लेने का प्रयास भी करूंगा। मेरी निगाह में वर्तमान में जगतगुरु की पदवी धारण करने वाले वह एकमात्र सबसे योग्य संत है। वास्तव में राम के प्रचार के लिए ही धरा पर आए हैं। इस कारण उन्होंने राम मंदिर के निर्माण में जो योगदान दिया वह एक इतिहास बन गया। महान संत तो भारत रत्न नहीं होते वे तो विश्व की धरोहर होते हैं और विश्व के रत्न होते हैं। वे केवल भारत नहीं पूरी दुनिया में ज्ञान प्रसार प्रचार करते हैं और ऐसे ही संतों के कारण भारत विश्व गुरु बन सकता है।
लेकिन दुखद यह है कि पहले की सरकारें इन लोगों पर संतों पर अत्याचार करती थी। सोनिया सरकार ने तो दक्षिण भारत के शंकराचार्य को दिवाली के दिन ही झूठे केस में गिरफ्तार कर हिंदुओं को जूते से मारा था। जो भारत वासियों और सनातनियों के मन में एक कभी न भरने वाला घाव है। लेकिन मेरी निगाह में अभी भी कुछ हिंदू शायद असली नहीं है क्योंकि वह सनातन विरोधियों के साथ घुलना मिलना उनका समर्थन करना अपना और समाज का धर्म समझते हैं।
डॉ अजय शुक्ला: विपुल जी इसके पहले आप किस को सनातन रत्न कह सकते हैं।
विपुल जी: जी बिल्कुल शिवाजी महाराज उस के पहले आदि गुरु शंकराचार्य जिनके कारण सनातन एक प्रकार से पुनर्जीवित हुआ।
डॉ अजय शुक्ला: जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने अपना समय दिया
विपुल जी: आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद क्योंकि आपके माध्यम से मुझे सनातन के विषय में उसके प्रचार प्रसार में किसी गिलहरी की पूंछ की भांति योगदान देने की उपलब्धि प्राप्त होती है।