कौन हैं भोजपाली बाबा? जिन्होंने राम मंदिर नहीं बनने तक कुंवारे रहने का लिया था संकल्प, अब मिला निमंत्रण

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(www.arya-tv.com) देश भर में 70 सालों से एक फैसले का इंतजार किया जा रहा था कि अयोध्या में कब राम मंदिर बनेगा। इसके निर्माण के लिए लोगों ने प्रयास किया। कई लोगों ने तो अपने जीवन तक के लिए संकल्प ले लिए।

इन्हीं में से एक है एमपी के बैतूल जिले के रहने वाले भोजपाली बाबा। इन बाबा ने इतना बड़ा संकल्प ले लिया है कि उनको जनवरी में होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन के लिए निमंत्रण आया है।

दरअसल, बैतूल में रहकर सनातन धर्म का प्रचार करने वाले भोजपाली बाबा ने 32 साल पहले राम मंदिर को लेकर इतना बड़ा संकल्प ले लिया कि इसके बाद उन्होंने अपना घर परिवार छोड़कर संत बन गए।

अब उनको अयोध्या रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण आया है। जब से उनको न्यौता मिला है तब से बाबा और उनके भक्तों में भी खुशी है।

मुझे भरोसा नहीं था कि निमंत्रण आएगा

जब से भोजपाली बाबा को निमंत्रण मिला है तब से वे खुश है। उन्होंने कहा है कि मुझे भरोसा नहीं था कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण आएगा और जब आया तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

ये वहीं बाबा भोजपाली है जिन्होंने 32 साल पहले संकल्प ले लिया था कि जब तक राम मंदिर नहीं बनेगा तब तक शादी नहीं करेंगे। अब जब बाबा का संकल्प पूरा हो गया है तो गांव वाले उनको अयोध्या भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

भोपाल के रहने वाले है भोजपाली बाबा

भोजपाली बाबा यानी रविंद्र गुप्ता मूलतः भोपाल शहर के रहने वाले है। 21 साल की उम्र में वे कर सेवकों के साथ राम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या गए थे। इसी दौरान ही उन्होंने संकल्प ले लिया था

कि वे राम मंदिर के निर्माण नहीं होने तक शादी नहीं करेंगे। फिलोसॉफी के साथ अन्य विषय में एमए करने के साथ ही भोजपाली बाबा एक एडवोकेट भी है।

रविंद्र से बने भोजपाली बाबा

52 साल के भोजपाली बाबा ने 21 साल की उम्र में संन्यासी बनकर अविवाहित रहने का संकल्प लिया था। इसके साथ ही वे सन्यासी बन गया। अयोध्या से आने के बाद रविंद्र ने संत बनने का बताया।

बाबा ने जब घर छोड़ा तो मां ने रोकने की कोशिश भी लेकिन वे सब मोह माया छोड़कर निकल गए। घर छोड़ने के बाद बाबा भोजपाली ने तीन बार नर्मदा परिक्रमा की।

इसी दौरान उनकी मां के निधन का समाचार भी आया पर परिक्रमा छोड़कर बाबा मां के अंतिम संस्कार तक में नहीं गए। फिलहाल बाबा भोजपाली बैतूल में रह रहे हैं। वे यहां पर पिछले 10 सालों से मिलानपुर गांव में रहकर सनातन धर्म का प्रचार कर रहे हैं।

संकल्प पूरा होने की खुशी चेहरे पर दिखी

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने का संकल्प लेने वाले बाबा का सपना आखिरकार पूरा हो ही गया। इसकी खुशी उनके चहरे पर दिख रही है। इसके साथ ही समारोह में शामिल होने को लेकर भी उनमें उत्साह दिख रहा है।

लोगों ने गाजे-बाजे के साथ अयोध्या रवाना करने की तैयारी कर ली है। संत बने बाबा भोजपाली ने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और समाज के नाम कर दिया है।