काली मिट्टी में ऐसा क्या था जहां बंध गए टीम इंडिया के हाथ पैर?

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(www.arya-tv.com) 19 नवंबर को आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में भारत ऑस्ट्रेलिया से छह विकेट से हार गया. अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में हो रहे इस मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को मिली जीत के साथ ही यह छठी बार है जब इस टीम ने वर्ल्ड कप को अपने नाम कर लिया.

इस पूरे वर्ल्ड कप की खास बात ये रही कि टीम इंडिया सेमी फाइनल तक हर मैच में जबरदस्त जीत हासिल करते हुए सबकी पसंदीदा टीम बन चुकी थी. फाइनल से पहले सभी ने भारत को विश्व विजेता मान लिया था, लेकिन फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलियाई फील्डरों और गेंदबाजों ने इतना कमाल का परफॉर्मेंस दिया कि ऑस्ट्रेलिया के सामने टीम इंडिया चारों खाने चित हो गई. इस हार ने न सिर्फ स्टेडियम में मौजूद एक लाख से ज़्यादा भारतीय समर्थकों को मायूस किया है बल्कि पूरे देशभर में इस समय दुख का माहौल है.

टीम इंडिया के खराब बल्लेबाजी का एक कारण पिच की काली मिट्टी को भी ठहराया गया. दरअसल मैच के दौरान कमेंनटेटर लगातार दोहरा रहे थे कि काली मिट्टी की पिच होने के कारण खिलाड़ियों को रन बनाने में मुश्किल हो रही थी. ऐसे में इस रिपोर्ट में जानते हैं कि आखिर काली मिट्टी में ऐसा क्या था जहां बंध गए टीम इंडिया के हाथ पैर?

सबसे पहले जानते हैं कि भारत में क्रिकेट पिच कैसे तैयार की जाती हैं?

क्रिकेट की पिच तैयार करने के लिए सबसे पहले तो ऐसी जगह चुनी जाती है जिस मैदान के बीच में लगभग 100 फीट लंबी और 10 फीट चौड़ी जगह हो. पिच की लंबाई हमेशा ही उत्तर- दक्षिण दिशा में ही रखी जाती है. ताकि मुकाबले के वक्त सूरज की किरणें बल्लेबाज की आंखों में नहीं पड़े.

इसके बाद तय किए गए मैदान पर लगभग 13 इंच गहरा गड्ढा खोदा जाता है. सबसे पहले इस गड्ढे में ड्रेनेज का सिस्टम तैयार किया जाता है. उसके लिए स्लोप तैयार करके पानी निकलने के लिए पाइप डाला जाता है. ताकि बारिश होने पर पिच में जमा पानी आसानी से निकाला जा सके.

इसके बाद तय पिच को तीन परतों में तैयार किए जाते हैं. पहली परत चार इंच की होती है जिसमें नदी की रेत को रखा जाता है. दूसरी परत भी 4 इंच की होती है, जिसे लोमी लेयर कहा जाता है. इस लेयर में 90 प्रतिशत रेत और 10 प्रतिशत क्ले पाउडर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद आखिरी और तीसरी परत 5 इंच की होती है. जिसमें लाल, काली या पीली मिट्टी का इस्तेमाल होता है. इस मिट्टी को क्ले सॉइल कहते हैं और जब मिट्टी जमीन के लेवल पर आ जाती है उसमें ग्रास यानी घास लगाई जाती है. ग्रास लगाए जाने के बाद उसपर हाइली क्ले मैटेरियल वाली एक-एक इंच की मिट्टी डाली जाती है.

काली मिट्टी पर मैच खेलना कितना मुश्किल

19 नवंबर को हुए फाइनल मैच को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में पिच नंबर 5 पर खेला गया था, यह पिच काली मिट्टी से बनी हुई है. फाइनल से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच भी इसी पिच पर मैच खेला गया था. इस पिच पर रन बनाना इतना आसान नहीं है क्योंकि काली मिट्टी की पिच पर गेंद रुक कर आती है. हालांकि इसी पिच पर स्पिनर्स को टर्न कराने में फायदा होता है.

काली मिट्टी पर गेंद क्यों रुक कर आती है

दरअसल काली मिट्टी बहुत ज्यादा पानी सोख लेती है और जब जल अवशोषण ज्यादा होगा तो मिट्टी भी फूल जाएगी. पानी देने के बाद काली मिट्टी बहुत नरम हो जाती है और सूखने पर बहुत कठोर. काली मिट्टी के सूखने पर इसे उच्च घनत्व प्राप्त होता है. यानी कि यह मिट्टी कुछ वैसी हो जाती है जो ऑस्ट्रेलिया में मिलती है.

एक्सपर्ट की मानें तो भारत की मिट्टी लगभग 2 माइक्रोन होती है जबकि ऑस्ट्रेलियाई मिट्टी लगभग 1 माइक्रोन होती है. 1 माइक्रोन होने के कारण काली मिट्टी बॉल के बाउंस करने काफी मददगार साबित होती है.

जब दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलियाई टीम बल्लेबाजी करने उतरी, उस वक्त तक पिच सपाट हो चुकी थी. ओस के कारण भारतीय गेंदबाजों के हाथों से गेंद फिसल रही थी. आउटफील्ड भी पहली पारी की तुलना में ज्यादा तेज हो गया था.

भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है

भारत में 8 अलग-अलग तरह की मिट्टी पाई जाती है, जिनकी उर्वरक क्षमता अलग-अलग है. इन मिट्टियों में जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लाल और पीली मिट्टी, जंगली मिट्टी, मरू मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी, नमकीन मिट्टी और पीट मिट्टी शामिल है.

क्या पिच ने दे दिया धोखा

पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज गेंदबाज वसीम अकरम ने एक्सपर्ट के साथ बात करते हुए कहा, ”इस तरह की पिच पूरे टूर्नामेंट में कहीं नहीं दिखी. पिच के मामले में भारत का अंदाज बिल्कुल गलत रहा. हालांकि मैच के दौरान कम स्कोर के कारण भारतीय गेंदबाज प्रेशर में थे. वहीं दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलिया ने पहले दो ओवर में ही 30 रन बना लिए थे.”

उन्होंने कहा कि काली मिट्टी का ये पिच बहुत ड्राई तो थी, लेकिन 50 ओवर के बाद स्लो हो जाती है. इस पूरे में ऑस्ट्रेलिया ने गेंदबाज़ी पूरी तरह से रणनीति के मुताबिक की थी. फील्डिंग पर भी टीम ने पूरा ध्यान दिया. 30-35 रन तो ऑस्ट्रेलिया के फील्डिंग के कारण भारत ने खो दिए. जहां गेंद जाती थी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मौजूद रहते थे.’

कल के मैच में क्या कुछ हुआ

मैच की शुरुआत के साथ ही ऑस्ट्रेलियाई टीम ने टॉस जीतकर इस मौके का पूरा फायदा उठाते हुए टीम इंडिया को बल्लेबाजी दे दिया. वहीं गेंदबाज और टीम के कप्तान पैट कमिंस ने एक के बाद एक कटर डाल कर भारतीय बल्लेबाजों के ख़ासा परेशान किया.

वहीं आखिरी कुछ ओवर जिसे डेथ ओवर्स कहा जाता है उसमें जॉस हेजलवुड और कमिंस ने स्लोअर बॉल और कटर डालकर सामने वाली टीम को रन रेट बढ़ाने ही नहीं दिया.

ऑस्ट्रेलिया की बेहतर फील्डिंग

भारत की हार और ऑस्ट्रेलिया की जीत का एक बड़ा फैक्टर टीम ऑस्ट्रेलिया की फील्डिंग भी रही. ऑस्ट्रेलिया ने इतनी बेहतरीन फील्डिंग की, मैक्सवेल की गेंद पर ट्राविस हेड ने फील्डिंग के दौरान जो रोहित शर्मा का कैच पकड़ा वह चमत्कारी था. यह शायद वर्ल्ड कप 2023 का पहला मैच था जिसमें 24 ओवर में सिर्फ एक चौका लगा.

भारत ने इस मैच में कितने रन बनाए

वर्ल्ड कप फाइनल में भारत ने 50 ओवर पूरे होने पर 240 रन बनाए, ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 241 रन का लक्ष्य दिया गया. इस मैच में सबसे ज्यादा रन के एल राहुल ने 107 गेंदों में 66 रन बनाए, विराट कोहली ने भी फाइनल मैच में अर्धशतक जड़ा और 54 रन बनाए. वहीं ऑस्ट्रेलिया की तरफ से सबसे ज्यादा 3 विकेट मिचेल स्टार्क ने लिया.

क्या टीम इंडिया पर घरेलू दर्शकों का दबाव था

कई बार अपने ही दर्शकों के बीच खेलना टीम पर भारी पड़ जाता है. इस मैच के दौरान मैदान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े अतिथियों की मौजूदगी थी. इसके अलावा सवा करोड़ दर्शकों की उम्मीदों और शोर के बीच कई बार खिलाड़ी खेल से ज़्यादा परिणाम के बारे में सोचने लग जाते हैं.

दूसरी तरफ इस विश्वकप में टीम इंडिया के प्रदर्शन ने देश की उम्मीदों को आसमान तक पहुंचा दिया था. चाहे-अनचाहे दबाव तो बनता ही है. वहीं ऑस्ट्रेलिया टीम खेल को खेल की तरह खेलती है. जीत और हार को लेकर उन पर भारत की तरह दबाव नहीं रहता.