कोरोना के B.1.617 वैरिएंट से भारत में केस बढ़े, रीइन्फेक्ट भी कर रहा यह वैरिएंट

Health /Sanitation

(www.arya-tv.com)भारत में फरवरी के बाद शुरू हुई दूसरी लहर थमने का नाम ही नहीं ले रही है। करीब दो हफ्ते तक नए केस कम होने के बाद गुरुवार को फिर बढ़ गए। साफ है कि अभी दूसरी लहर का पीक दूर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले साल अक्टूबर में महाराष्ट्र में सामने आए कोरोना वायरस यानी SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट B.1.617 को वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न की सूची में शामिल किया है। यानी यह 2019 में चीन के वुहान में मिले ओरिजिनल कोरोना वायरस के मुकाबले अधिक संक्रामक और घातक है।

भारत में पिछले तीन-चार हफ्ते से कोरोना वायरस के मामलों में जिस तरह बढ़ोतरी हुई है, उससे मौतों का आंकड़ा भी ढाई लाख को पार कर चुका है। 50 हजार मौतें तो महज 15 दिन में हो गईं। इसके लिए कोई जिम्मेदार है तो वह नया वैरिएंट ही है। इसे कई जगह इंडियन वैरिएंट भी लिखा और बोला जा रहा है। पर भारत सरकार को इस पर आपत्ति है। उसका कहना है कि WHO की रिपोर्ट में इस वैरिएंट को कोई नाम नहीं दिया गया है, इसे इंडियन वैरिएंट कहना गलत होगा। सच भी है, कोरोना का यह नया वैरिएंट B.1.617 सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के 44 देशों में मिला है। इसी वजह से WHO ने इसे वैरिएंट्स ऑफ इंटरेस्ट (VOI) की श्रेणी से हटाकर वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (VOC) घोषित किया है।

आइए, जानते हैं कि कोरोना के इस नए वैरिएंट के बारे में वैज्ञानिकों ने क्या जानकारी जुटाई है...

क्या कहा है WHO ने?
संगठन ने 11 मई को वीकली रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा कि B.1.617 वैरिएंट अब दुनियाभर के लिए चिंता का विषय (वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न या VOC) बन गया है। दरअसल, WHO ने वायरस में होने वाले बदलावों पर नजर रखने के लिए ग्लोबल डेटाबेस बनाया है- GISAID, जो सभी के लिए खुला है। इस डेटाबेस में 44 देशों से आए 4,500 जीनोम सीक्वेंस में B.1.617 की पुष्टि हुई है। 5 और देशों ने भी इसकी पहचान की है, पर अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
इस वैरिएंट को तीन सब-लाइनेज में बांटा गया है- B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3, जिसमें शुरुआती दो सबसे खतरनाक हैं। WHO का कहना है कि कई देशों में हाल ही में केस बढ़े हैं तो उसकी वजह यह वैरिएंट्स ही हैं। शुरुआती नतीजे बताते हैं कि भारत में दो वैरिएंट्स B.1.617.1 और B.1.617.2 तेजी से फैल रहे हैं। तीसरे सब-लाइनेज की जीनोम सीक्वेंसिंग में संख्या बहुत कम मिली है।

अब तक वैज्ञानिकों को क्या पता चला है?
दो हफ्ते पहले तक भारत में कई वैरिएंट्स पॉजिटिव केस का कारण बन रहे थे। जीनोमिक डेटा बताता है कि यूके में सबसे पहले नजर आया B.1.1.7 वैरिएंट दिल्ली और पंजाब में सक्रिय था। वहीं, B.1.618 पश्चिम बंगाल में और B.1.617 महाराष्ट्र में केस बढ़ा रहा था।
बाद में B.1.617 ने पश्चिम बंगाल में B.1.618 को पीछे छोड़ दिया और ज्यादातर राज्यों में प्रभावी हो गया है। दिल्ली में भी यह तेजी से बढ़ा है। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्टर सुजीत सिंह ने 5 मई को दिल्ली में पत्रकारों से कहा था कि केस 3-4 लाख तक पहुंचे तो उसके लिए B.1.617 ही जिम्मेदार है।
WHO के मुताबिक भारत में 0.1% पॉजिटिव सैम्पल की जीनोम सीक्वेंसिंग की गई। ताकि वैरिएंट्स का पता चल सके। अप्रैल 2021 के बाद भारत में सीक्वेंस किए गए सैम्पल्स में 21% केसेज B.1.617.1 के और 7% केसेस B.1.617.2 के थे। यानी केस में बढ़ोतरी के लिए यह जिम्मेदार है।
सोनीपत की अशोका यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट और भारतीय SARS-CoV-2 जीनोम सीक्वेंसिंग कंसोर्टिया (INSACOG) के प्रमुख शाहिद जमील का कहना है कि B.1.617 वैरिएंट्स तेजी से नए केस बढ़ा रहा है क्योंकि यह अन्य के मुकाबले ज्यादा फिट है। वहीं यूके के यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज के वायरोलॉजिस्ट रवींद्र गुप्ता भी कहते हैं कि इस वैरिएंट की ट्रांसमिशन क्षमता सबसे ज्यादा है।