साप्‍ताहिक कालम: तोंद की तंदुरुस्ती ने बढ़ाई मुश्किल, जानें क्या है पूरा मामला

Gorakhpur Zone

गोरखपुर (www.arya-tv.com) तोंद की तंदुरुस्ती पुलिस वालों के लिए सांसत का सबब बन गई है। जोन वाले साहब ने पुलिस वालों को तोंद अंदर करने का फरमान सुना रखा है। ऐसा न होने पर थाने, चौकियों से उन्हें हटाने की चेतावनी दे रखी है। इसी चेतावनी ने पुलिस वालों की चिंता बढ़ा रखी है। क्योंकि भर्ती होते समय भले ही उन्होंने शारीरिक दक्षता परीक्षा पास की थी लेकिन विभाग में आने के बाद शारीरिक दक्षता बनाए रखने कभी परवाह नहीं रही। सेवा में आने के बाद ‘खाने-पीनेÓ पर ही अधिक ध्यान देते रहे। इसका असर सेहत पर पड़ा तो तोंद सामने आ गई। लाख कोशिश के बाद भी छिपाए नहीं छिप रही। ऐसे पुलिस वाले जोन वाले साहब के निशाने पर हैं। तोंद से पीछा छुड़ाने के लिए कुछ ने जिंम जाना शुरू कर दिया है तो कुछ ने टहलना, लेकिन तोंद है कि अंदर जाने का नाम ही नहीं ले रही।

भैया जी का भौकाल

वैसे तो भैया जी किसी न किसी वजह से हमेशा ही चर्चा में रहते हैं। इन दिनों अपने भौकाल की वजह से वह चर्चाओं में है। अपने पोर्टफोलियों में वह पूर्व छात्रनेता लिखना पसंद करते हैं। चाहने वाले उनके नाम के साथ भैया जी जोड़ दिया है। एक समय गोरखपुर से लेकर लखनऊ और वाराणसी तक बिजली के खंभों पर अपने नाम की होर्डिंग लगवाकर भैया जीन चर्चा बटोरी थी। इन दिनों सुरक्षा में तैनात पुलिस वालों के साथ फोटो खिचवाकर इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर वह चर्चा में हैं। भैया जी की सुरक्षा में पुलिस वालों की तैनाती कुछ लोगों को खटक गई। उन्होंने खोजबीन शुरू कर दी कि आखिर पुलिस वाले कैसे सुरक्षा में तैनात हो गए। पता चला कि बिहार के एक माननीय ने अपने सुरक्षाकर्मियों को भैया जी की सेवा में भेज रखा है। बदले में भैया जी, माननीय को ‘थैलीÓ भेंटकर सेवा करते रहते हैं।

थानेदार के कितने रिश्तेदार

दक्षिणांचल के सबसे पुराने थाने में तैनात थानेदार की रिश्तेदारों की संख्या इन दिनों इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। सुबह से लेकर देर रात तक वह रिश्तेदारों से ही घिरे रहते हैं। वैसे तो जिले में वह लंबे समय से तैनात हैं। कुछ माह पहले ही उन्हें दक्षिणांचल के थाने की जिम्मेदारी मिली। जबसे वह थाने में पहुंचे हैं तभी से रोज कोई न कोई नया रिश्तेदार सामने आ रहा है। थानेदार भी अचानक सामने आ रही रिश्तेदारियों का खूब लुत्फ ले रहे हैं। सुबह का नाश्ता तथा दोपहर और रात का खाना थाने के मेस में नहीं बल्कि ‘किसी न किसी रिश्तेदारÓ के घर जाकर करते हैं। थाने के पुलिसकर्मी एक-दूसरे से सवाल करने लगे हैं कि जिले में तो साहब पहले से ही कार्यरत हैं, लेकिन तब कोई रिश्तेदार कहीं नजर नहीं आता था। थाने में तैनाती होते ही इतने रिश्तेदार कहां से आ गए?

ठंडे बस्ते में शकरकंदी महोत्सव

शकरकंदी महोत्सव के आयोजन की तैयारी बड़े जोर-शोर से शुरू हुई थी। चर्चा थी कि एक जिला एक उत्पाद की तर्ज पर इस महोत्सव के जरिए एक जिला एक खाद्य पदार्थ के तौर पर शकरकंदी से तैयार व्यंजनों को स्थापित किया जाएगा। महोत्सव के बाद शहर के होटलों में शकरकंदी के व्यंजन परोसे जाएंगे। जिला प्रशासन और उद्यान विभाग महोत्सव के आयोजन को लेकर अतिरिक्त उत्साह में था। साल के शुरुआत में ही बाकायदा पत्रकार वार्ता कर इसके आयोजन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी गई। बताया गया कि 20 फरवरी के अंदर ही दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन कर लिया जाएगा। इसके लिए शहर के एक प्रतिष्ठित होटल का चयन भी कर लिया गया था, लेकिन महोत्सव आज तक आयोजित नहीं हुआ। आयोजन से जुड़े कुछ अधिकारियों ने तो अब दबी जुबान से कहना भी शुरू कर दिया है कि शकरकंदी महोत्सव फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है।