(www.arya-tv.com) हरियाणा के नूंह, मेवात, गुरुग्राम में हिंसा के बाद प्रशासनिक कार्रवाई में बुलडोजर ने कच्चे-पक्के निर्माणों को जमींदोज कर दिया। हालांकि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बुलडोजर पर रोक लगा दी है, लेकिन इस तोड़फोड़ के खिलाफ जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमीअत ने नई याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर बुलडोज़र की राजनीति पर नकेल कसने के लिए राज्यों को इससे दूर रहने का आदेश देने का अनुरोध किया है।
साथ ही जमीअत उलमा-ए-हिंद ने उन लोगों के पुनर्वास के लिए निर्देश देने की मांग की है जिनके घर सांप्रदायिक हिंसा में छह लोगों के मारे जाने के बाद अधिकारियों द्वारा तोड़ दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में जमीअत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि बुलडोजर ऑपरेशन के पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था और मुआवजे दिया जाए। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
बुलडोजर चलाना गैरकानूनी
जमीअत ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि सभी राज्यों को बुलडोजरों के विध्वंस से बचने के निर्देश जारी किए जाएं या उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाय। उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है, चाहे वह किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चले। कथित आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाना या सिर्फ इसलिए कि ऐसी इमारत से कथित तौर पर पथराव किया गया था, दोषसिद्धि से पहले की सजा के समान है जो कानूनी रूप से गलत है।
विचाराधीन याचिकाओं पर सुनवाई करे कोर्ट
याचिका में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों में पिछले साल बुलडोजर द्वारा की जा रही कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे दिया था, कई मौखिक आदेश भी दिए थे। लेकिन लिखित आदेश न होने के कारण नूंह जैसी घटना हुई है। अदालत से अनुरोध किया गया कि वह बुलडोजर मामले में विचाराधीन याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई करे।
हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल करेगी जमीअत
वहीं नूंह में बुलडोजर विध्वंस से प्रभावित होने वालों की ओर से संपत्ति को हुए नुकसान के मुआवजे और अवैध तरीके से जिन अधिकारियों ने विध्वंस प्रक्रिया को अंजाम दिया उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर जमीअत अलग से एक याचिका अगले दो से तीन दिनों में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल करेगी।