(www.arya-tv.com) जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिव प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीरी मुसलमानों को लेकर एक ऐसी बात कही है जिसपर नेता, धर्मगुरू और इतिहासकार तीनों को बोलने का मौका मिल गया है। गुलाम नबी आजाद ने डोडा जिले के थाथरी में पब्लिक मीटिंग की थी। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म इस्लाम से पुराना है। सभी मुसलमान पहले हिंदू थे।
भारत में मुसलमान हिंदू से धर्मांतरण करके बने।उन्होंने कहा कि कश्मीर में सभी मुसलमान कश्मीरी पंडितों से धर्मांतरित हुए हैंं। कश्मीरी मुसलमानों का जन्म हिन्दू धर्म में हुआ है।गुलाम नबी आजाद खुद कश्मीरी मुसलमान है। पुराने नेता हैं, इसलिए बयान पर तुरंत राजनीति शुरू हो गई। मामला धर्म से जुड़ा है, इसलिए धर्मगुरु भी अखाड़े में आ गए ।समर्थन और विरोध में बयानबाजी होने लगी।
गुलाम नबी का पूरा बयान…
गुलाम नबी आजाद ने कहा, मैंने पार्लियामेंट में बहुत चीजें कहीं, जो आप तक यहां नहीं पहुंचीं। हमारे एक नेता ने कहा था कुछ लोग बाहर से आए थे। मैंने कहा, कोई अंदर या बाहर से नहीं आया भारत में। इस्लाम तो आया ही 1500 साल पहले।हिंदू धर्म बहुत पुराना है तो बाहर से आए होंगे 10-20, जो मुगलों की फौज में थे। बाकी तो सब हिंदू से कन्वर्ट हो गए मुसलमान हिंदुस्तान में। उसकी मिसाल हमारे कश्मीर में है। कश्मीर में कौन था 600 साल पहले, सब कश्मीरी पंडित थे। सब मुसलमान बन गए।सब इसी (हिंदू) धर्म में पैदा हुए।
राजनीति और धर्म अपनी जगह हैं, लेकिन गुलाम नबी आजाद जैसे पुराने और मंजे कश्मीरी नेता के बयान को सिर्फ सियासी बयान कहकर खारिज नहीं किया जा सकता है। आजाद ने अपनी बात कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के साथ रखी। उनका पहला तर्क है कि इस्लाम दुनिया में 1500 साल पहले आया, जबकि हिंदू धर्म इससे कहीं पुराना है।
आजाद ने दूसरा तर्क दिया कि भारत में मुसलमान मुगलों की फौज में आए, उनकी संख्या काफी कम थी। आजाद का तीसरा तर्क है कि मुगलों के आने के बाद हिंदुओं ने कन्वर्ट होकर इस्लाम धर्म अपनाया। कश्मीर के संदर्भ में आजाद ने कहा कि कश्मीर में 600 साल पहले सभी पंडित थे, जो बाद में धर्म बदलकर मुसलमान बन गए। गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर के छह सौ साल पुरानी बात का जिक्र किया।
इतिहास क्या कहता है
इस तरह मामले में इतिहास की एंट्री हुई। हम ये समझना चाहते थे कि आजाद के इस बयान का ऐतिहासिक संदर्भ क्या है। जब हमने इसे लेकर रिसर्च करना शुरू किया तो कुछ पुराने दस्तावेज सामने आए। कश्मीर में हिंदू से मुसलमान बने लोगों के संदर्भ में दो बड़े नाम सामने आये पहला अल्लामा इकबाल और दूसरा फारूक अब्दुल्ला हैं।
मशहूर लेखक खुशवंत सिंह ने सन् 2007 में ‘द ट्रिब्यून’ में एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा..गीत लिखने वाले अल्लामा इकबाल को लेकर कुछ फैक्ट्स बताए थे। खुशवंत सिंह ने लिखा है कि अल्लामा इकबाल के पूर्वज कश्मीरी हिंदू थे। उनके परदादा बीरबल सप्रू थे। बीरबल सप्रू के तीसरे बेटे कन्हैया लाल अल्लामा इकबाल के दादा थे। उनकी दादी का नाम इंद्राणी सप्रू था। इकबाल के पिता रतन लाल इन्हीं के बेटे थे।
खुशवंत सिंह ने लिखा है कि रतन लाल का जन्म हिंदू परिवार में हुआ। बाद में वो इस्लाम कुबूल करके नूर मोहम्मद बन गए। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला खुद कई बार कह चुके हैं कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला कश्मीर के बड़े नेता थे। अपनी ऑटोबायोग्राफी आतिश-ए- चिनार में शेख अब्दुल्ला ने अपने हिंदू पूर्वजों के बारे में बताया है।
आतिश-ए- चिनार में शेख अब्दुल्ला ने लिखा है कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। उनके परदादा का नाम बालमुकुंद कौल था। उनके पूर्वज मूल रूप से सप्रू गोत्र के कश्मीरी ब्राह्मण थे। किताब के मुताबिक अफगान शासनकाल में उनके पूर्वज रघुराम ने एक सूफी के हाथों इस्लाम कबूल किया था।वैसे फारूक अब्दुल्ला कई बार सार्वजनिक मंचों से ये बात कुबूल कर चुके हैं कि उनका हिंदू धर्म से नाता रहा है।
उन्हें कई बार मंदिरों में सांस्कृतिक विधि-विधान से पूजा करते हुए भी देखा गया है। हमारे लिए गुलाम नबी आजाद के बयान पर सिर्फ़ इतना रिसर्च काफी नहीं था। हमने इतिहास की किताबों के पन्ने भी पलटे तो हमें राइटर सुमंत्र बोस की किताब Kashmir at the Crossroads मिली।लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स में प्रोफेसर रह चुके सुमंत्र बोस ने लिखा है कि कश्मीर में इस्लाम का प्रसार 600 साल पहले 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ।
कश्मीर में तीन लोगों सैय्यद अली हमदानी, शेख नूरानी और ज़ैन-उल-अबिदीन ने इस्लाम को तेजी से फैलाया। ईरान से सूफी संत मीर सैय्यद अली हमदानी 1370 से 1380 के बीच तीन बार अपने अनुयायियों के साथ कश्मीर आए। इनमें से कई कश्मीर में रुक गए।शेख नूरुद्दीन नूरानी ने 1400 से 1440 के बीच इस्लाम को फैलाया।
ये भी एक दिलचस्प बात है कि कश्मीर में शेख नूरुद्दीन नूरानी को नंद ऋषि के नाम से भी जाना जाता है। कश्मीर में इस्लाम का सबसे तेज प्रसार पंद्रहवीं शताब्दी में सुल्तान ज़ैन-उल-अबिदीन के वक्त हुआ। ज़ैन-उल-अबिदीन ने कश्मीर पर 1423 से 1474 तक शासन किया। इस दौरान बड़ी संख्या में हिंदू अपना धर्म छोड़कर मुसलमान बन गए।