उषाजी बोलीं – लता दीदी के निधन से भाई हृदयनाथ एक साल बाद भी सदमे में

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(www.arya-tv.com) स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आज पहली पुण्यतिथि है। लता दीदी को गए एक साल गुजर गया, लेकिन उनकी यादें वैसे ही ताजा हैं। पहली पुण्यतिथि पर हमने लता दीदी की बहन उषा मंगेशकर से बात की। उषा जी लता दीदी के साथ ही रहती थीं। भाई हृदयनाथ मंगेशकर भी उन्हीं के साथ रहते हैं। उषा जी का कहना है कि कभी घर में लगता ही नहीं है कि लता दीदी नहीं हैं। वो आज भी हमारे साथ ही हैं।

लता जी को अपने भाई से काफी लगाव था, उतना ही लगाव हृदयनाथ को भी उनसे था। उषा जी ने बताया- दीदी के निधन से भाई हृदयनाथ एक साल से सदमे में ही हैं। उससे उबर नहीं पाए। दीदी खाना बहुत अच्छा बनाती थीं, खास तौर पर गाजर का हलवा। उनके जाने के बाद हम सबने गाजर का हलवा खाना ही छोड़ दिया है। ये सोच लिया है कि अब कभी गाजर का हलवा नहीं खाएंगे।दीदी को सबसे ज्यादा प्यार भाई हृदयनाथ से था। उसका टैलेंट देखकर दीदी उसे बहुत मानती थीं। भाई का पैर खराब था, तो इस बात से दीदी को बहुत तकलीफ होती थी। दीदी अभी भी उसके साथ हैं। दीदी के चले जाने से भाई को बहुत गहरा सदमा लगा था। पिछले एक साल से वो बीमार था। अब हम लोग उसे धीरे-धीरे सदमे से निकाल रहे हैं। समय के साथ अब वो पहले से काफी अच्छा हो गया है।

मैं मानती ही नहीं हूं कि वो चली गई हैं। मैं घर में हूं और जैसे सब पहले चलता था, उनके साथ में बातचीत या उनके कमरे में जाकर बैठना, सब मैं वैसे ही कर रही हूं। मुझे नहीं लगता है कि मैं अकेले हूं। मुझे मालूम है कि वो मेरे साथ हैं। ना मुझे डर लगता है, ना ही इस बात का खौफ लगता है कि दीदी चली गई हैं।

घर की सारी बातें ऐसी ही हैं। मैं तो घर का सारा काम देखती हूं कि कौन, क्या और कैसे कर रहा है। वो मुझसे बात करती थीं और बताती थीं ये ठीक नहीं है। मैं भी बोलती थी कि दीदी इस बात की मुझे तकलीफ है, मुझे सलाह दो। इस तरह की बातें हमारे बीच होती थीं। फिर घर की बातें होती थीं, पिता जी और मां के बारे में हम बात करते थे, हृदयनाथ के बच्चों के लिए क्या लाना है, उसके बारे में भी बातें होती थीं। दीदी भाई के बच्चों से बहुत लाड करती थीं।

मुझे ये सब बातें याद हैं। मैं कोशिश करती हूं कि उसकी कॉपी ना करूं, लेकिन उनकी यादों को पूरा करूं। मुझे लगता है कि मुझे इस चीज को पूरा करना चाहिए, तो मैं उसे पूरा करती हूं।