महाराष्ट्र विधानसभा में प्याज पर हंगामा:2 रुपए किलो में प्याज बेचने को मजबूर किसान

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(www.arya-tv.com) देश के तमाम खुदरा बाजारों में प्याज 15 से 25 रुपए प्रति किलो तक बिक रही है, लेकिन एशिया के सबसे बड़े प्याज बाजार नासिक में किसानों को इसे 2 से 4 रुपए प्रति किलो में बेचना पड़ रहा है। पिछली साल किसानों ने इस समय में प्याज 20 रुपए किलो में बेचे थे। ऐसे में यहां अब किसान इस बार फायदा नहीं, नुकसान का हिसाब लगा रहे हैं।

विधानसभा में हंगामा, प्याज की नीलामी रोकी
मंगलवार को NCP विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा में गले में प्याज की माला और सिर पर प्याज की टोकरी लेकर विरोध जताया। इससे पहले सोमवार को नाराज किसानों ने लासलगांव कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में प्याज की नीलामी रोक दी थी। लासलगांव में प्याज बेचने आए किसान अनिल पंवार कहते हैं, ‘एक एकड़ में करीब 50 क्विंटल प्याज होती है। 40 से 50 हजार रुपए लागत आती है। मौजूदा रेट पर तो 50 क्विंटल के 10 हजार ही मिलेंगे।’

वहीं, ऑल इंडिया वेजिटेबल ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्रीराम गाडवे कहते हैं कि 12 से अधिक देशों में प्याज संकट है। मनीला में 900 से 1200 रुपए किलो भाव है। लंदन में 115 रुपए है। केंद्र सरकार इन देशों में निर्यात के लिए जरूरी कदम उठाए। अभी किसान तीन से चार देशों में प्याज भेज पाते हैं। ऐसे में यहां हम प्याज के दामों में आई गिरावट के कारणों के बारे में बता रहे हैं।

क्यों गिरे प्याज के दाम?
किसान बल्क में तीन फसलें उगाते हैं: खरीफ (जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है), लेट-खरीफ (सितंबर-अक्टूबर में लगाई जाती है और जनवरी-फरवरी में काटी जाती है) और रबी (दिसंबर-जनवरी में रोपी जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है)। कटी हुई फसल को किसान एक बार में नहीं बेचते। आम तौर पर इसे किश्तों में बेचते हैं ताकि प्याज का भाव एक दम से कम न हो।

खरीफ प्याज फरवरी तक और लेट खरीफ को मई-जून तक बेचा जाता है। खरीफ और लेट खरीफ दोनों प्याज में हाई मॉइस्चर होता है। इस कारण उन्हें ज्यादा से ज्यादा चार महीने तक स्टोर किया जा सकता है। इसके विपरीत रबी की प्याज को सर्दी-वसंत के महीनों के दौरान उगाया जाता है, और इसमें नमी की मात्रा कम होती है। इसे कम से कम छह महीने तक स्टोर किया जा सकता है। रबी की फसल अक्टूबर तक बाजार में रहती है।

तापमान में बढ़ोतरी से प्याज खराब होने का खतरा
मौजूदा कीमत में गिरावट का मुख्य कारण फरवरी के दूसरे हफ्ते से तापमान में अचानक बढ़ोतरी है। हाई मॉइस्चर वाले प्याज में हीट शॉक से क्वालिटी खराब होने का खतरा होता है। अचानक सूखने के कारण बल्ब सिकुड़ जाते हैं। आम तौर पर, किसान इस समय केवल खरीफ की फसल ही बेचते है। लेकिन इस बार भीषण गर्मी ने उन्हें लेट खरीफ प्याज भी उतारने पर मजबूर कर दिया है, जिसे अब स्टोर नहीं किया जा सकता है। चूंकि खरीफ और लेट-खरीफ दोनों प्याज एक ही समय पर आ रहे हैं, इसलिए कीमतों में गिरावट आई है।

इस बार प्याज की बंपर पैदावार
देश के 25-26 मिलियन टन (MT) के वार्षिक प्याज उत्पादन का लगभग 40% हिस्सा महाराष्ट्र का है। इसमें से 1.5-1.6 MT एक्सपोर्ट किया जाता है। महाराष्ट्र के अलावा, मप्र (16-17%) कर्नाटक (9-10%), गुजरात (6-7%), राजस्थान और बिहार (5-6% प्रत्येक) प्रमुख उत्पादक हैं।

इस बार अच्छी बारिश से पानी की उपलब्धता में सुधार के कारण मप्र, राजस्थान, कर्नाटक और गुजरात में किसानों ने बड़े क्षेत्र में प्याज लगाए थे। इन सभी राज्यों से प्याज की आमद के साथ ही लेट खरीफ की फसल को बाजार में उतारने से कीमतों में गिरावट आई।

बीते सालों का ट्रेंड रहा है कि मार्च अंत तक रबी की मुख्य प्याज आने से पहले जनवरी-फरवरी में किसानों को अर्ली सीजन प्याज के अच्छे दाम मिलते रहे हैं। इस बार प्रमुख मंडियों में आवक बीते साल की इसी अवधि के मुकाबले 40% तक बढ़ गई।