गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी के घर पहुंची जांच एजेंसी, छावनी में तब्दील हुआ तिवारी हाता

# ## Gorakhpur Zone

(www.Arya Tv .Com) पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवंगत हरिशंकर तिवारी के ‘तिवारी अहाता’ पर ईडी की रेड पड़ी है. उनके बेटे और चिल्लूपार से पूर्व विधायक रहे विनय शंकर तिवारी व अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज है. विनय शंकर तिवारी व अन्य पर 750 करोड़ रुपए से अधिक के धोखाधड़ी का आरोप है. ईडी उनकी लच्छीपुर की प्रॉपर्टी को भी जप्त कर चुकी है. पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे व चिल्लूपार विधानसभा के पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के गोरखपुर स्थित आवास पर शुक्रवार की सुबह ईडी (प्रवर्तन निदेशालय )  ने छापा डाल डाला. सुबह 5 बजे ईडी की रेड पड़ी. इसके बाद लगातार ईडी के अधिकारियों द्वारा सघन पूछताछ की जा रही है. विनय शंकर तिवारी व अन्य के खिलाफ 750 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी समेत मनी लॉन्ड्रिंग का पहले से केस है. पिछले दिनों उनकी सम्पत्ति भी जब्त की गई थी. इसी मामले में यह छापे की कार्रवाई देखी जा रही है. छापे की सूचना पर के बाद ‘तिवारी अहाते’ पर शुभचिंतकों की भीड़ लगने लगी.

विनय शंकर और उनकी कम्पनी द्वारा लिए गए बैंक लोन के बारे में बैंक ऑफ इंडिया लखनऊ की टीम तीन साल पहले आई थी. यहां की सम्पत्ति की जानकारी करके लौट गई थी. जालसाजी के मामले में 2020 में पहले सीबीआई की एंट्री हुई बाद में यानी 2021 प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह से 750 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी समेत अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था. एजेंसी के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत चिल्लूपार (गोरखपुर) से पूर्व विधायक व लखनऊ स्थित गंगोत्री इंटरप्राइजेज के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की थी. ईडी ने विनय, उनकी पत्नी रीता, गंगोत्री इंटरप्राइजेज सहित अन्य के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर के आधार पर यह केस दर्ज किया था. सीबीआई ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने के बाद लखनऊ और नोएडा में छापे मारे थे. कथित धोखाधड़ी बैंक ऑफ इंडिया नीत बैंकों के समूह के खिलाफ की गई, जो 754.25 करोड़ रुपये की बताई गई थी. बताया जा रहा है कि ये रेड गोरखपुर, लखनऊ, दिल्ली सेट उनके कई ठिकानों पर एक साथ डाली गई है. सुबह 5 बजे से ही लगातार रेड जारी है.

ये बताया जा रहा है कि डेबिट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डीआरटी) के मुताबिक फर्म मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड व अन्य ने अलग-अलग सात बैंकों से 1129 करोड़ रुपये का ऋण लिया है. इन फर्मों के कर्ताधर्ता पूर्व विधायक व उनके सगे-संबंधी हैं. ज्यादातर बैंक अकाउंट नान परफार्मिंग एसेट (एनपीए) में चले गए हैं. बैंक अकाउंट भी बंद किए जा रहे हैं. इस मामले में डीआरटी ने एक जुलाई 2019 को पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी सहित 33 सगे-संबंधियों के खिलाफ समन जारी किया था, फिर अलग-अलग समय पर मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड व अन्य प्रतिवादियों से जवाब मांगा था. डीआरटी के पास जो मामला पहुंचा था, उसके मुताबिक पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी व अन्य ने सबसे ज्यादा ऋण बैंक ऑफ इंडिया से लिया है. इसी मामले में कार्रवाई चल रही है.