उन्नाव रेप केस: सीबीआई ने तत्कालीन डीएम और 2 एसपी को माना दोषी, एक्शन की सिफारिश

Lucknow UP

लखनऊ। (आरएनएस ) चर्चित उन्नाव रेप कांड के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे कुलदीप सेंगर केस में अहम मोड़ आया है। पूरे मामले की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में जिले के तत्कालीन बड़े अफसरों को दोषी माना है। सीबीआई ने आईएएस अदिति सिंह, आईपीएस पुष्पांजलि सिंह और नेहा पांडेय को मामले में लापरवाही करने का दोषी माना है। सीबीआई ने इस मामले में इन अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने की सिफारिश की है।

दरअसल, 2009 बैच की आईएएस अफसर अदिति सिंह 24 जनवरी 2017 से 26 अक्टूबर 2017 तक उन्नाव में तैनात थीं और इसी दौरान रेप पीड़िता ने कई बार शिकायत की, लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अदिति इस वक्त हापुड़ की डीएम हैं। वहीं, 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी पुष्पांजलि सिंह भी उन्नाव की एसपी थीं। इन पर आरोप है कि इन्होंने पीड़िता की शिकायत तो नहीं ही सुनी, साथ ही जब कुलदीप सिंह सेंगर की शह पर पीडिता के पिता को पीटा गया और बाद में मौत हो गयी तो उन्होंने मामले को दबाने की कोशिश की। जांच में भी लापरवाही की. पुष्पांजलि वर्तमान में एसपी रेलवे गोरखपुर हैं। 2009 बैच की आईपीएस नेहा पांडेय भी उन्नाव में एसपी रहीं। इन पर भी लापरवाही का आरोप है। ये आजकल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आईबी में तैनात हैं। इस मामले में सीबीआई जांच काफी दिनों से चल रही थी। इन लोगों के दोषी पाए जाने के बाद अब सरकार फैसला लेगी कि आखिर कब और कैसे विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि दिल्ली के कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म मामले में पीड़ित के पिता की हिरासत में मौत मामले में पिछले महीनों फैसला सुनाया। कोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर और उनके भाई अतुल सेंगर समेत सभी सात दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई। कोर्ट ने सभी दोषियों पर 10-10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। यह रकम पीड़ित के परिवार को दी गई। इससे पहले पीड़ित से दुष्कर्म मामले में सेंगर को उम्रकैद हो चुकी है। वह तिहाड़ जेल में बंद है। 4 मार्च को कुलदीप सेंगर, उसके भाई अतुल सेंगर, दो पुलिसकर्मियों और तीन अन्य आरोपियों को कोर्ट ने दोषी ठहराया था।

इस मामले में सजा तय करने के लिए जब अदालत में बहस हुई तो सेंगर कोर्ट में गिड़गिड़ाता नजर आया था। दरअसल, सीबीआई ने इस मामले को वीभत्स बताते हुए कठोर सजा देने की मांग की थी। इसके बाद सेंगर ने जिला जज धर्मेश शर्मा से कहा था, ”मुझे इंसाफ दिया जाए या फिर फांसी पर लटका दिया जाए। अगर मैंने कुछ गलत किया है, तो मेरी आंखें तेजाब से जला दी जाएं।” इस पर जज ने जवाब दिया, ”सभी तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही फैसला (दोषी ठहराने) किया गया है।”

साल 2018 में पुलिस हिरासत में हुई थी मौत
उन्नाव दुष्कर्म पीड़ित के पिता की 9 अप्रैल 2018 को ज्यूडिशियल कस्टडी के दौरान मौत हो गई थी। पिछले हफ्ते इस मामले में आरोपियों को दोषी ठहराते हुए कोर्ट ने कहा था- घटनाक्रम से स्पष्ट हो जाता है कि कुलदीप सिंह सेंगर के संरक्षण में ही पुलिस ने पीड़ित को राइफल की बैरल से पीटा और उसके साथ हैवानियत की गई। इसलिए इसका दोष साबित होता है। कोर्ट में सीबीआई के वकील ने कहा था- पीड़ित के पिता बीमार थे, इसके बावजूद उन्हें बुरी तरह से पीटा गया। आरोपी पुलिसकर्मी वहीं मौजूद थे। ये लोग उसकी मदद कर सकते थे, लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया

नाबालिग ने दुष्कर्म का लगाया था आरोप   
उन्नाव में कुलदीप सेंगर और उसके साथियों ने 2017 में नाबालिग को अगवाकर सामूहिक दुष्कर्म किया था। इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। दिल्ली कोर्ट ने दोषी कुलदीप सिंह सेंगर (53) को 20 दिसंबर को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उसे मृत्यु तक जेल में रखने के आदेश दिए थे। सेंगर पर 25 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता भी रद्द की जा चुकी है।

कांग्रेस से बसपा-सपा में होते हुए भाजपा में आया कुलदीप
कुलदीप सेंगर की गिनती उत्तर प्रदेश के दलबदलू नेताओं में होती है। 4 बार से लगातार विधायक रहा कुलदीप कभी चुनाव नहीं हारा। उसने उन्नाव जिले की अलग-अलग सीटों से 3 बार चुनाव जीता। वह 2002 में पहली बार बसपा से सदर, 2007 में सपा से बांगरमऊ और 2012 में भगवंतनगर से चुनाव जीता था। 2017 में उसने भाजपा से बांगरमऊ सीट से चुनाव जीता था। रेपकांड के बाद उसे भाजपा से निष्कासित कर दिया गया।