- स्त्री मुद्दों से जुड़ी फिल्में बनेः प्रो0 प्रीति चौधरी
- सिनेमा के समक्ष अवसर भी है और चुनौती भीः डाॅ0 अरविन्द कुमार सिंह
- वेबसीरीज ने महिलाओं के मायने बदल दिएः रोहित मिश्र
- साहित्य ने हमेशा से सिनेमा को ताकत दीः दिनेश श्रीनेत
अयोध्या। डाॅ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय व बचपन एक्सप्रेस, लखनऊ तथा ख्वाजा मोइद्दीन चिस्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को सायं छह बजे ओ0टी0टी0 के दौर का सिनेमा विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ। अतिथि प्रो- सुनीता मिश्र , कुलपति , मोहन लाल सुखड़िया विश्वविद्यालय ने संबोधित करते हुए कहा कि स्त्री अपने अधिकारों के लिए खुद लड़ सकती है | सिनेमा स्त्री को कमजोर दिखाना बंद करे और स्त्री को अपने हिसाब से चयन करने वाला चरित्र की तरह प्रस्तुत करे | उन्होंने मुगले आजम फिल्म का उदाहरण देते हुए बताया की किस तरह से अनारकली अपने अधिकार के लिए ताकतवर सत्ता की परवाह किये बिना खड़ी हो जाती है | उन्होंने इस विषय पर विमर्श के लिए बचपन एक्स्प्रेस ई प्रबंध संपादक मीना पाण्डेय को बधाई दी और इस तरह के आयोजन को वक्त की जरूरत बताया | वेबिनार में मुख्य वेबिनार में मुख्य वक्ता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केन्द्रिय विश्वविद्याल, लखनऊ की राजनीति शास्त्र की प्रो0 प्रीति चौधरी ने संबोधित करते हुए कहा कि सिनेमा ने समाज और राजनीति की अच्छी व्याख्या की है। कोरोना काल से प्रचलन में आया ओटीटी प्लेटफार्म आज जीवन का हिस्सा बन गया है। आज वेब सीरीज ने हमारी सोच को नया जन्म दिया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में बहुत सी वेबसीरीज ऐसी है जिन्होंने अपने संवाद से लोगो के दिल को छुआ है। गुल्लक के तीनो सीजन, पंचायत के तीनो सीजन इसके उदाहरण है। कुछ फिल्मो ने आज महिलाओं की भूमिका को बदल दिया है। ओटीटी मंच ने स्त्री को एक सशक्त प्लेटफार्म दिया है। स्त्री के सौंदर्य को गरिमा के अनुरूप प्रस्तुत किया जाना चाहिए। स्त्रियों के मुद्दों को फिल्मो में स्थान मिलना चाहिए। फिल्मे समाज के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बीबीएयू लखनऊ के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग के डाॅ0 अरविन्द कुमार सिंह ने कहा कि सिनेमा का विषय बहुत विशाल है। यह अपने आपमें एक पूर्ण और प्रभावी माध्यम है। इसमें कई कलाओं का संगम है। सिनेमा की भूमिका समाज के महत्वपूर्ण बन गई है। उन्होंने कहा कि फिल्मों का कथानक बहुत माइने रखता है। आज एक बड़ा दर्शक वर्ग तैयार है जो बहुत तरह की सामग्री देख रहा है। सिनेमा के समक्ष अवसर भी है और चुनौती भी है। ओटीटी प्लेटफार्म में नई तकनीकी की उपलब्घता से नई कहानियों का फार्मेट तैयार हो रहा हैं। इसमें दो राय नही है कि स्त्री विमर्श एक बड़ा मुद्दा है। पहले की अपेक्षा महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव आया है। परन्तु अभी भी सोच में परिवर्तन की गुजाइंश है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि अमर उजाला डिजिटल के रोहित मिश्र ने कहा कि वेबसीरीज ने आज महिलाओं के लिए उनके मायने बदल दिये है। गुल्लक, पंचायत जैसी सीरीज नये आयाम और नये कंटेंट ला रही है। इस तरह की फिल्मे परिवार के साथ निःसंकोच देखी जा सकती है। इसलिए सभी वेब सीरीज को एक श्रेणी में रक्खा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि आज ओटीटी प्लेटफार्म पर महिलाएं सशक्त होकर अपनी बात रख रहीं है। हमारी संस्कृति और सामाजिक परिवेश पर कोई आंच न आये ऐसा कंटेंट रखें। इसी क्रम में लैग्वेज हेड, टाइम्स इण्टरनेट के दिनेश श्रीनेत ने कहा कि भारतीय सिनेमा पौराणिक कथाओं पर आधारित था। साहित्य ने हमेशा से सिनेमा को ताकत दी है। साहित्य की सुंदरता फिल्म्कारों में नहीं है, क्योंकि इसमें व्यवसाय निहित है।
दो दिवसीय वेबिनार के तकनीकी सत्र को अवध विवि के डाॅ0 विजयेन्दु चतुर्वेदी, ख्वाजा मोइद्दीन चिस्ती भाषा विश्वविद्यालय, लखनऊ की रूचिता सुजाए चैधरी, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी के डाॅ0 कौशल त्रिपाठी, आईटीएम विश्वविद्यालय के डाॅ0 मनीष जैसल, मनीपाल विश्वविद्यालय की डाॅ0 प्रभात दीक्षित, बीबीएयू के डाॅ0 लोकेन्द्र कुमार, डाॅ0 सुरेन्द्र बहादुर, डाॅ0 साधना श्रीवास्तव, डाॅ0 प्रवेश राय सहित अन्य शिक्षको ने संबोधित किया।
वेबिनार के समापन की आयोजक प्रबंध निदेशक बचपन एक्सप्रेस की मीना पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। वेबिनार के संयोजक फिल्म समीक्षक प्रो0 गोविन्द जी पाण्डेय ने दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार की रिपोटियर प्रस्तुत की एवं अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ0 हरिनाथ, डाॅ0 सुफिया अहमद, डाॅ0 हेंमत पाण्डेय, राम कृष्ण बाजपेयी, सर्वेश कुमार मिश्र, कृष्ण खरवार, विजयबाला, गयासुद्दीन अहमद खान, प्रियंका सिंह, निःसर्गा, डाॅ0 योगेन्द्र पाण्डेय सहित बड़ी संख्या में शिक्षक एवं विद्यार्थियों द्वारा शोध-पत्र प्रस्तुत किया गया।