बीबीएयू में हुआ द्वि-दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

Lucknow

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में  भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद् (ICHR) शिक्षा मंत्रालय , भारत सरकार नई दिल्ली व शिक्षाशास्त्र विभाग के‌ संयुक्त तत्वाधान में ” समसामयिक सन्दर्भ में श्री अरविन्द का शैक्षिक चिंतन एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ” विषय पर द्वि दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्धाटन किया गया । विश्वविद्यालय द्वारा यह संगोष्ठी महर्षि अरविन्द घोष की 150 जयंती के उपलक्ष्य में दिनांक 10 व 11 अगस्त को आयोजित किया जा रहा है । कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह द्वारा की गई । विशिष्ट अतिथि‌ के रुप में प्रो० मनोज दीक्षित कुलपति महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर तथा डॉ० ओम जी उपाध्याय निर्देशक भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद् (ICHR) मंच पर उपस्थित रहे। शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो० हरिशंकर सिंह ने सभी अतिथियों व सहभागियों का संगोष्टी में स्वागत किया।राष्ट्रीय संगोष्ठी में महर्षि अरविंद घोष के जीवन चरित्र व वर्तमान परिपेक्ष्य में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता आदि विषय पर देश भर से आये विद्यार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किये और विस्तृत चर्चा की।

विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने महर्षि अरविन्द घोष व उनके समकालीन शिक्षाविदों के संदर्भ में चर्चा के दौरान कहा, कि अरविन्द घोष जी के विशेष योग दर्शन का अभ्यास किया जाना चाहिए, उनके कृत्यों को मानस पटल पर चिन्हित कर आगे बढ़ते रहने की आवश्यकता है।

भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद् (ICHR) के निर्देशक डॉ० ओम जी उपाध्याय ने शिक्षा को चरित्र निर्माण के क्षेत्र में प्राथमिक आवश्यकता बताया।उनके अनुसार 19 वीं सदीं में शिक्षा को सबसे अधिक बढ़ावा मिला और हमें अब नये प्रयासों के साथ आगे कदम बढ़ाने होंगे।

महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो० मनोज दीक्षित ने शिक्षा के महत्व को लेकर कहा, कि शिक्षा के माध्यम से एक विद्यार्थी को पढ़ाया ही नहीं जा सकता बल्कि उसे जगाया एवं बोध कराया जा सकता है। संगोष्टी के संयोजक डॉ० विवेक नाथ त्रिपाठी ने इस बात पर बल दिया कि NEP 2020 में महर्षि अरविन्द जी के दर्शन को संगृहीत किया गया है| कार्यक्रम के दौरान डीन अकादमिक अफेयर प्रो० राणा प्रताप सिंह , डॉ० राजशरण शाही , डॉ० लालिमा, डॉ० सुभाष मिश्रा, डॉ० अर्पित शैलेश व विश्वविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं छात्र- छात्रायें मौजूद रहे।