जीव में सिर्फ जिंदा रहने तक ही होती है हरकत, वैज्ञानिकों ने खोजी अनोखी मछली, मरने के बाद भी बदल लेती है रंग

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(www.arya-tv .com) किसी जीव में सिर्फ उसके जिंदा रहने तक ही हरकत होती है। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक अनोखी मछली का पता लगाया है। इस मछली की खासियत है कि यह मरने के बाद भी अपने परिवेश के हिसाब से रंग को बदल सकती है। वैज्ञानिकों ने नए अध्ययन में हॉगफिश नाम की मछली जिसे लैचनोलाईमस मैक्सिमस के नाम से जाना जाता है, उसकी खोज की है।

इस मछली की सबसे ज्यादा खास बात है कि ये मरने के बाद भी अपना रंग परिवेश के हिसाब से बदलती है।इस अध्ययन से विशेषज्ञों को हॉगफिश मछली के विकास, आवास और अन्य व्यवहारों के साथ-साथ तेजी से बदलाव करने की क्षमता के बारे में समझने में मदद मिली। शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्र में कई ऐसे जीव हैं जो अपना रंग बदल सकते हैं।

इससे उन्हें तापमान बदलाव को मैनेज करने, पार्टनर्स को आकर्षित करने और छिपने में मदद मिलती है। अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के शोधकर्ताओं के मुताबिक उनके शरीर की कोशिकाओं, जिन्हें क्रोमैटोफोरस कहा जाता है में रंग द्रव्य, क्रिस्टल या छोटी परावर्तक प्लेटें होची हैं, जो इन्हें रंग बदलने में सक्षम बनाती हैं।

मरने के बाद भी बदला रंग

समुद्र की चट्टान में रहने वाली मछली आमतौर पर उत्तरी कैरोलिना से ब्राजील तक अटलांटिक महासागर में पाई जाती है। खुद को दुश्मनों से बचाने और शायद यह अपने पार्टनर को संकेते देने के लिए ऐसा करते हैं। वैज्ञानिक सबसे ज्यादा यह देख कर हैरान रह गए कि मरने के बाद भी इनके रंग बदलते हैं। नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में पब्लिश एक नए शोध में विशेषज्ञों ने मछली के विभिन्न हिस्सों पर प्रकाश के प्रभाव को निर्धारित करने के लिए माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया।

आंख की तरह करती है काम?

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया में त्वचा रंग देने वाले क्रोमैटोफोर के नीचे SWS1 नामक प्रकाश रिसेप्टर्स शामिल हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि रिसेप्टर्स मछलियों को फीडबैक देते हैं कि उनकी त्वचा के विभिन्न हिस्सों में कहां और कैसे परिवर्तन हो रहे हैं।’ शोधकर्ताओं ने कहा कि इन जीवों की त्वचा आंखों की ही तरह प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती है। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि यह आंख का काम नहीं करती है।