- पितृपक्ष के अंतिम दिन का भोजन गर्वित द्वारा संपन्न
नवी मुंबई। कोपरखैराने स्थित ग्रामीण आदि रिसर्च एंड वैदिक इन्नोवेशन ट्रस्ट यानी गर्वित द्वारा पितृपक्ष के अंतिम दिन के साथ भोजन वितरण संपन्न हुआ। ज्ञात हो इस वर्ष पितृपक्ष 29 सितंबर को आरंभ हुआ था और जो 14 अक्टूबर को समाप्त हुआ। पितृपक्ष के अंतिम दिन को सर्वपितृ शांति दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उन सभी पितरों का जिनके संतान अथवा पुत्र कभी पितृ पक्ष में श्राद्ध इत्यादि नहीं करते हैं उनको भी श्रद्धांजलि देकर मुक्ति की प्रार्थना की जाती है।
इस संदर्भ में गर्वित के अध्यक्ष परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर विपुल लखनवी ने श्राद्ध के वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पहलू पर चर्चा करते हुए बताया कि मनुष्य तीन शरीर में निवास करता है जिनमे पहला शरीर भौतिक शरीर है जो जल वायु अग्नि आकाश और भूमि तत्व से मिलकर बनता है मृत्यु के पश्चात मनुष्य भूमि तत्व और जल तत्व को छोड़कर बाकी के तीन तत्वों में निवास करने लगता है जिनको की सूक्ष्म शरीर कहते हैं जो मनुष्य बिना क्रोध के अथवा बदले की भावना के शरीर त्यागता है उसका अग्नि तत्व भी शांत हो जाता है और फिर बाद में मनुष्य मात्र आकाश तत्व में निवास करता है जिसको कि हम कारण शरीर कहते हैं जहां पर सिर्फ भाव रहते हैं और इन्हीं भावों के कारण संस्कारों के कारण मनुष्य के अगले जन्म की तैयारी होती है। इसीलिए कहा जाता है कि कोई भी घटनेवाली घटना पहले कारण शरीर में घटती है फिर सूक्ष्म शरीर में घटती है और फिर भौतिक शरीर में आती है। इन तीनों शरीर की वैज्ञानिक दृष्टि से भी बिल्कुल सटीक व्याख्या होती हैं। इसके अतिरिक्त श्राद्ध पक्ष बरसात की विभिषिका के बाद आता है और जहां शहरों जंगलों में मरनेवाले पशु पक्षियों को, विभिन्न गंदगी को कौवे खाकर साफ करते हैं। इसीलिए कौवा को हम अच्छा भोजन खिलाकर पोषित करते हैं कि उनकी आने वाली संताने समाज की सड़ी गली वस्तुओं को खाकर पर्यावरण को साफ रखें।
यह भी ज्ञात हो विपुल जी समय-समय पर सनातन के विभिन्न पहलुओं को आधुनिक विज्ञान के माध्यम से जिज्ञासाओं एवं प्रश्नों को समझा कर उसके क्लिप अथवा लेख बनाकर प्रेषित करते रहते है।