अमेजन के खिलाफ लगे आरोपो में दिग्गज अमेरिकी रिटेलर भारत सरकार से पहले ही कार्रवाई शुरू कर चुकी है

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(www.arya-tv.com) अमेजन के लिए भारत में काम करने वाले वकीलों पर अधिकारियों को रिश्वत देने का जो आरोप लगा है, सरकार उसकी जांच करेगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि रिश्वत दिए जाने की घटना किस समय की है, यह जानकारी दिग्गज अमेरिकी रिटेलर से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट में नहीं है। लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ पॉलिसी है। उधर, अमेजन ने करप्शन के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी के तहत जांच शुरू कर दी है।

इंडिपेंडेंट वकील की लीगल फीस से अधिकारियों को रिश्वत दिए जाने का आरोप
दिग्गज अमेरिकी रिटेलर के लिए भारत में काम करने वाले वकीलों के खिलाफ भ्रष्टाचार करने की जानकारी एक मीडिया वेबसाइट ने सार्वजनिक की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी ने अपने काम के लिए एक इंडिपेंडेंट वकील को हायर करके उसे जो लीगल फीस दी थी, उसका इस्तेमाल सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने में किया गया था।

अमेजन ने दो साल में लगभग 8,500 करोड़ की लीगल फीस चुकाई
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, ‘अमेजन ने लीगल फीस के तौर पर दो साल में लगभग 8,500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। यह सोचने का समय आ गया है कि पैसा जा कहां रहा है। लगता है कि पूरा सिस्टम रिश्वतखोरी पर चल रहा है। यह कारोबार करने का अच्छा तरीका नहीं है।’ उन्होंने यह बात अमेजन की कुछ कंपनियों के पब्लिक एकाउंट का हवाला देते हुए कही है।

अमेजन ने अपने सीनियर कॉर्पोरेट वकील को छुट्टी पर भेज दिया है
मीडिया वेबसाइट मॉर्निंग कॉन्टेक्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन ने अपने कुछ भारतीय कानूनी प्रतिनिधियों के खिलाफ जांच शुरू की है। एक व्हिसलब्लोअर ने उन पर भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि कंपनी ने अपने सीनियर कॉर्पोरेट वकील को छुट्टी पर भेज दिया है।

ट्रेडर बॉडी CAIT ने सरकार से की आरोपों की CBI जांच कराने की मांग
ट्रेडर बॉडी कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर आरोपों की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उसका कहना है कि आरोपों के चलते सरकार की साख पर बट्टा लगा है और यह सरकार में हर स्तर पर भ्रष्टाचार को खत्म करने के विजन के खिलाफ है।

अमेजन के खिलाफ पहले से चल रही है कॉम्पिटिशन को दबाने की जांच
अमेजन के खिलाफ कॉम्पिटिशन को दबाने, अपने मार्केटप्लेस पर गलत तरीकों से कीमतों को कम रखने और कुछ विक्रेताओं को तवज्जो देने के मामले में कॉम्पिटिशन कमीशन की जांच पहले से ही चल रही है। इसके अलावा उसने रिलायंस रिटेल के साथ 24,713 करोड़ रुपए की डील को लेकर फ्यूचर ग्रुप पर मुकदमा किया हुआ है।