आर्ट क्षेत्र में लगातार योग्य कलाकारों की मांग बढ़ रही है:डॉ.संजीव गौतम

# ## Lucknow
  • कला क्षेत्र में संभावनायें विषय पर वेबिनार का आयोजन
  • लखनऊ विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के पूर्व प्रधानाचार्य  डॉ.संजीव किशोर गौतम ने प्रस्तुत किया

(www.arya-tv.com)राष्ट्रीय कला मंच अवध प्रान्त द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए एक विशेष ऑनलाइन कार्यक्रम facebook Live @rkmawadh पर लखनऊ विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. संजीव किशोर गौतम (राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित ) द्वारा “कला क्षेत्र में संभावनायें विषय” पर लाइव सेशन प्रस्तुत किया गया। इस सेशन में भारत के विभिन्न स्थानों से छात्रों के साथ तमाम बड़े —छोटे कला प्रेमियों द्वारा भाग लिया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कोरोना संक्रमण काल में घरोें में बैठे हजारों विद्यार्थियों को कला के क्षेत्र में वर्तमान और भविष्य की जानकारी उपलब्ध कराना था। साथ ही कला क्षेत्र में हो रहे विस्तार के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराना जिससे कि जो विद्वार्थी लॉकडॉउन की अवधि में इस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं वह इस क्षेत्र से जुड़ी तमाम जानकारी एक मंच के माध्यम से प्राप्त कर सके।

  • आर्ट और क्राफ्ट के विषय में जानकारी

डॉ.संजीव ने लाइव प्रसारण को संबोधित करते हुए आर्ट और काफ्ट के बारे में विशेष जानकारी लाइव सहभागी लोगों के साथ साझा की जिसमें उनके द्वारा आर्ट और काफ्ट के तमाम पहलुओं पर विस्तृत जानकारी देते हुए आर्ट की बढ़ती उपयोगिता और वर्तमान में मांग को लेकर कहा कि हम अपनी आर्ट की कला को ज्ञान और अर्थ दोनों के लिए प्रयोग कर सकते हैं वर्तमान युग में आर्ट की पहचान धीरे—धीरे कहीं खोती जा रही है इस​लिए जरूरत है इसे संवार के रखने की जिससे कि यह धरोहर हमेशा जीवित रहे और आर्ट प्रेमियों का उत्साह बना रहे।

  • कला और शिल्प के क्षेत्र की जानकारी

डॉ.संजीव ने कला और शिल्प के क्षेत्र के बढ़ते रोजगार के अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज इस क्षेत्र में नयी नयी तकनीकि के माध्यम से कार शिल्प आदि के क्षेत्र में लगातार योग्य कलाकारों की मांग बढ़ रही है बस जरूरत है हमें इसके बारे में जानकारी की जिससे की किसी भी एक क्षेत्र को पकड़कार आगे बढ़ा जा सके। उन्होंने बनारस में लकड़ी का कमा,लखनऊ में चिकन का काम आदि का उदाहरण देकर इस क्षेत्र की बढ़ती मांग की जानकारी सहभागियों के साथ साझा की।

  • कला की मांग केवल भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी हो रही है

देश विदेश की बात करते हुए श्री संजीव ने कहा ​कि आज हमारी कला की मांग केवल भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी हो रही है। इसलिए हमें अपनी इस कला को आगे बढ़ाने के लिए एक मंच पर एक साथ काम करने की जरूरत है। उन्होंने आदिवासियों की कला के बारे में बताते हुए कहा कि बहुत से आदिवासी क्षेत्रों में एक से बढ़कर एक कलाओं का अंबार लगा हुआ है जिसको आज भी देखा जा सकता है। जिसमें फर्नीचर कला की बात करें तो यह अर्थ के हिसाब से सबसे अच्छी रही है पर धीरे धीरे इस कला को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इस क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को जो अभी मंदगति का शिकार हो चुके हैं उनको जोर देकर पुन: आरम्भ करने की सख्त जरूरत है।

  • रोजगार की अपास संभावनाएं व्याप्त

पढ़ाई के साथ ही यह क्षेत्र जीवकोपार्जन का साधन भी है इस क्षेत्र में रोजगार की अपास संभावनाएं व्याप्त है। जिसको अगर ढंग से किया जाए जो अवसर की कमी नहीं है। उन्होंने जतीन्द्र दास भी जो एक प्रसिद्ध कलाकार हैं उनके साथ के बारे में कहा कि मुझे बिहार मे उरने साथ काम करने का अवसर प्रदान हुआ जिसमें बक्सर और हजारी बाग में आज भी दीवारों पर सैकड़ों की संख्या में उसके साक्ष्य मौजूद हैं कला कभी समाप्त नहीं की जा सकती बल्कि वह भविष्य में हमारा इतिहास बन कर सदा हमारे साथ ही रहती है।

  • हमारी आर्थिक व्यवस्था को भी मजबूर करने का एक साधन

श्री संजीव ने कहा कि भारत के सभी राज्यों में कला और शिल्प को बढ़ावा देने की आवश्यकता है क्योंकि अगर देखा जाए तो धीरे धीरे इस विद्या को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने इसके कामर्शियल पहलुओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कला सिर्फ ज्ञान ही नहीं बल्कि हमारी आर्थिक व्यवस्था को भी मजबूर करने का एक साधन है। इस क्षेत्र की बात करें आज प्योर आर्ट में रोजगार की बहुत सी संभावनाएं हैं जिनकों हमें पहचानने की जरूरत है। जिसमें कार फैशन डिजाइन की बात करें तो एक विशेष उपयोगी सिद्ध हुई है।

  • सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की स्कालरशिप

श्री संजीव ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की बात को बताते हुए कहा कि हमें सरकार द्वारा इस क्षेत्र में प्रदान की जा रही समस्त स्कालरशिप को जानकर उसका लाभ उठाना चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा होता है कि हम आर्थिक संकटों के कारण अपनी कला का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। जबकि सरकार द्वारा इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की आर्थिक मदद भी जा रही है। भारत सरकार और राज्य ललित कला एकेडमी द्वारा विशेष सहयोग राशि भी प्रदान की जा रही है।

  • अच्छा इंसान बनने पर जोर

श्री संजीव ने स्पष्ट कहा कि अगर हम अपनी कला को संवारना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें एक अच्छा इंसान बनने की जरूरत है क्योंकि एक अच्छा इंसान ही अच्छा शिक्षक और अच्छा शिक्षक ही अच्छा कलाकार बन सकता है। हमें इस बात पर विशेष पर सोचने की जरूर है। जिससे कि हमारे आने वाली पीढ़ी हमसे कुछ सीख कर आगे निकल सके और कला के क्षेत्र में नाम रोशन कर सके।

https://www.aryakul.org.in/

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