अनुच्‍छेद 370 हटाने का फैसला सही… कश्‍मीर पर आया ‘सुप्रीम’ फैसला, चीन और पाकिस्‍तान के मुंह पर करारा तमाचा

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(www.arya-tv.com) अगस्‍त 2019 में भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया और जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म कर दिया। सोमवार को भारत की सर्वोच्‍च अदालत ने भी भारत सरकार के फैसले पर मोहर लगा दी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कानून अस्‍थायी और इसे हटाने का भारत के राष्‍ट्रपति के पास पूरा अधिकार है। साथ ही उन्‍होंने जम्‍मू कश्‍मीर को भारत का एक अभिन्‍न अंग बताया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक बार फिर चीन और पाकिस्‍तान के मुंह पर जोर का तमाचा है।

दोनों ही देश जम्‍मू कश्‍मीर के मसले को अपनी-अपनी तरह से हर अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर उठाते आए हैं। जब से इसे हटाया गया था तब से ही चीन और पाकिस्‍तान भारत सरकार के फैसले के खिलाफ बातें करते आ रहे थे।

पाकिस्‍तान पड़ा था अकेला

अगस्‍त 2019 में जब भारत ने इस अनुच्‍छेद को जम्‍मू कश्‍मीर से हटाने का फैसला किया तो पाकिस्‍तान को बड़ा झटका लगा। पाकिस्‍तान ने भारत सरकार के फैसले को गैरकानूनी तक करार दे दिया था।

तत्‍कालीन पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्‍लामिक देशों के संगठन ओआईसी से लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा (UNGA) तक में भारत को अलग-थलग करने की चालें चलीं थी। लेकिन उन्‍हें जरा भी सफलता नहीं मिली।

पाकिस्तान ने यूएन को भारत की करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने पर एक चिट्ठी लिखी थी। लेकिन संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में इसे कोई तवज्‍जो नहीं दी गई।

अगस्‍त 2019 में इसकी अध्यक्ष जोआना रोनेका ने भी इस मामले पर कोई भी टिप्‍पणी करने से साफ इनकार कर दिया।

चीन को लगी थी मिर्ची

इस अनुच्‍छेद के हटने के बाद लद्दाख एक अलगकेंद्र शासित प्रदेश हो गया और इस पर चीन को मिर्ची लग गई थी। चीन ने भारत सरकार के फैसले पर उस समय जो टिप्‍पणी की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की तरफ से उसे करारा जवाब मिला।

चीन ने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील तो की लेकिन साथ ही कहा कि ऐसी कार्रवाइयों से बचना चाहिए जो ‘एकतरफा’ यथास्थिति को बदल दें।

साथ ही पाकिस्‍तान और भारत के बीच तनाव को बढ़ा दें। साथ ही चीन ने तब कश्मीर की स्थिति पर ‘गंभीर चिंता’ व्यक्त की थी।

भारत ने दिया दो टूक जवाब

वहीं, चीन ने लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम पर भी अपना विरोध जताया। तब विदेश मंत्रालय की तरफ से चीन को जवाब दिया गया था कि भारत अगर बाकी देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है तो वह दूसरे देशों से भी ऐसा ही करने की अपेक्षा करता है।

विशेषज्ञों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारत सरकार के पीओके पर अपने रुख को मजबूती मिलेगी। इसकी वजह से चीन और परेशान हो सकता है। चीन पाकिस्‍तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी का एक हिस्‍सा पीओके से होकर गुजरता है।

पिछले दिनों भारतीय गृह मंत्री अमित शाह ने पीओके को भी भारत का हिस्‍सा बताया है। ऐसे में जो फैसला आया है, उसके बाद चीन और पाकिस्‍तान की टेंशन बढ़ना लाजिमी है।