(www.arya-tv.com)प्रदेश को दहलाने की योजना बनाकर राजधानी में छिपे आतंकियों के पकड़े जाने के बाद एक बार फिर लखनऊ पुलिस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। भारी मात्रा में IED जैसे घातक विस्फोटक लेकर आतंकी कई साल से बैठे रहे लेकिन रात दिन गश्त का दावा करने वाली यूपी 112, थाना पुलिस और हर गतिविधि पर नजर रखने वाली LIU को इसकी भनक तक नहीं लगी।
किरायेदारी सत्यापन से लेकर सवेरा योजना तक फेल साबित हो रही
दुबग्गा के जिस मकान से अलकायदा के आतंकी को पकड़ा गया उससे महज एक किलोमीटर दूर ठाकुरगंज थानाक्षेत्र के हाजी कॉलोनी में 7 मार्च 2017 को ISI के खुरासान मॉड्यूल के आतंकी सैफुल्लाह को ATS ने ढेर किया था। सैफुल्लाह मलिहाबाद निवासी एक कारोबारी के हाजी कॉलोनी स्थित मकान में करीब छह महीने से किराए पर रह रहा था। इसकी भनक लोकल पुलिस को न लगने पर नाराजगी जताते हुए तत्कालीन डीजीपी जावेद अहमद ने राजधानी क्षेत्र में रहने वाले हर नागरिक की पहचान और उसकी नागरिकता से जुड़े प्रमाण थानों पर रखने का निर्देश दिया था। उन्होंने किरायेदारों के सत्यापन के लिए खास स्किम बनाई जिसके तहत पुलिस को घर-घर जाकर किरायेदारों का सत्यापन करना था।
जावेद अहमद के बाद डीजीपी बने सुलखान सिंह ने इसमे एक कड़ी और जोड़ते हुए सवेरा योजना लांच किया। इस योजना में पुलिस को हर मकान की छानबीन करके उसमें रहने वाले बुजुर्गों को चिन्हित कर उनकी हर पल मदद करनी थी।
कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होते ही ताक पर रख दी गयी पुरानी योजनाएं
उच्चाधिकारियों की सख्ती की वजह से उनके कार्यकाल तक तो इन योजनाओं का पालन होता रहा, लेकिन कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होते ही इन्हें ताक पर रख दिया गया। इस बार लखनऊ पुलिस की यह लापरवाही प्रदेश के मुख्यमंत्री तक को जोखिम में डालने वाली थी। करीब 11 घंटे के ऑपरेशन के बाद दो आतंकियों को पकड़ने वाली ATS के मुताबिक सीरियल ब्लास्ट की योजना बना रहे इन खतरनाक आतंकियों के निशाने पर मुख्यमंत्री सहित कई बड़े राजनेता थे।
ATS के पूर्व चीफ के हाथ मे है राजधानी पुलिस की बागडोर
ATS ने अपने सोर्स से जानकारी जुटाकर जिन आतंकियों को गिरफ्तार किया उनका मकसद लखनऊ को दहलाने का था। स्वतंत्रता दिवस की परेड पर वह प्रदेश मुख्यालय के आसपास विस्फोट करने वाले थे। इनके पकड़े जाने के बाद सवाल उठ रहा कि लोकल पुलिस को इनकी जानकारी नही थी कि जानबूझकर अनजान बनी रही। यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर इसके पहले यूपी एटीएस के चीफ थे और आतंकी गतिविधियों को भांपने का उन्हें एक्सपर्ट माना जाता है।
संदिग्धों का ठिकाना बनता जा रहा है ठाकुरगंज और काकोरी इलाका
ATS ने दुबग्गा के जिस जगह से आतंकी मिनाज को गिरफ्तार किया वह पूरा इलाका मलीहाबादी मुस्लिमों का है। स्थानीय लोगों के मुताबिक यहाँ 200 से ज्यादा मकान मलिहाबाद निवासी ऐसे मुस्लिम परिवारों के हैं जो खड़ी देशों में लंबे समय तक रहने के बाद वतन वापस लौटे हैं। 2017 में खुरासान मॉड्यूल का आतंकी जिस मकान में मारा गया वह भी महिलाबाद निवासी बादशाह का था। बादशाह खुद सऊदी में करोबार करता था और पूरा मकान किराए पर दे रखा था। सफुल्लाह के एनकाउंटर के बाद ATS ने इसी इलाके में किराए पर रहे वाले उसी नेटवर्क के आतंकी गौस मोहम्मद को गिरफ्तार भी किया था।