बिहार महागठबंधन में ‘तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा’? ‘JSS प्लान’ तो नहीं राजद और जदयू की चुप्पी का कारण

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(www.arya-tv.com) लोकसभा चुनाव की बढ़ती सुगबुगाहट के बीच राष्ट्रीय जनता दल और जदयू की चुप्पी की वजह कही तीन लोकसभा सीट तो नहीं। वजह यह बताई जा रही है कि राजद और जदयू एक खास रणनीति के तहत चुप्पी बनाए हुई है।

जहां राजद की नजर में वो लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनपर फिलहाल कब्जा तो जदयू का है, लेकिन कभी ये सीट राजद के प्रभाव वाली मानी जाती रही हैं। सूत्रों की माने तो जहानाबाद, सिवान और सीतामढ़ी पर राजद की नजर है। यानी ‘JSS प्लान’ ही राजद और जदयू की चुप्पी का कारण है। आइए जानते हैं इसकी पूरी वजह

जहानाबाद किसके लिए ?

दरअसल, राजद जहानाबाद लोकसभा से बिहार सरकार के मंत्री सुरेंद्र यादव को लड़ना चाहता है। जहानाबाद भूमिहार और यादव बाहुल्य वाली सीट मानी जाती रही है। एक समय इस सीट पर वामदल के नेता रामेश्वर प्रसाद यादव का कब्जा रहता था। ये लगभग 10 साल तक संसद रहे।

महागठबंधन की वर्तमान सरकार में मंत्री रहे सुरेंद्र यादव भी यहां से तीन टर्म सांसद रहे। वर्ष 1996 में पहली बार, वर्ष 1998 में दूसरी बार सांसद रहे। वर्ष 2004 में राजद के गणेश यादव ने जीत दर्ज की थी। इसे आधार बना कर लालू प्रसाद राजद के लिए यह सीट मांग रहे हैं।

मगर जदयू की तरफ से यह कहा जा रहा है कि वर्ष 2009 से 2014 में जदयू उम्मीदवार जगदीश शर्मा जीते थे। और वर्ष 2019 में फिर जदयू के चंद्रेश्वर प्रसाद ने विजय प्राप्त की। इस वजह से जदयू सीटिंग सीट नहीं छोड़ना चाहता है।

सिवान से लालू का भावनात्मक लगाव

सिवान लोकसभा क्षेत्र से लालू प्रसाद का भावनात्मक लगाव है। यह वो लोकसभा क्षेत्र है, जहां से लालू प्रसाद के सबसे करीबी मो शहाबुद्दीन जीता करते थे। शहाबुद्दीन वर्ष 1994 से 2004 तक यहां से सांसद रहे।

इसके बाद ओमप्रकाश यादव ने एक बार निर्दलीय और दूसरी बार भाजपा से जीत दर्ज की थी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू की उम्मीदवार कविता सिंह ने जीत दर्ज की थी। जदयू इस वजह से यह सीट नहीं छोड़ रही है।

सीतामढ़ी का किस्सा तो और भी रोचक

वर्ष 2019 की लोकसभा चुनाव में सीतामढ़ी सीट जदयू के हिस्से में आई, पर उम्मीदवार भाजपा ने उतारा। सुनील कुमार पिंटू भाजपा कोटे से मंत्री भी थे। हाल ही में सुनील कुमार पिंटू ने जातीय सर्वे पर सरकार को घेरने का काम किया था। इसको लेकर नीतीश भी नाराज थे।

एक सभा में नीतीश कुमार ने सीतामढ़ी से देवेश चंद्र ठाकुर के नाम की घोषणा भी की थी। इसी के बाद से राजद और जदयू के बीच में दरार पड़ गया। राजद की ओर से पूर्व मंत्री अर्जुन राय का बयान भी आया था कि सीट शेयरिंग के बिना यह घोषणा गठबंधन धर्म के विपरीत है।