तालिबानी प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ​हमारा दूसरा घर, भारत से अच्छे रिश्ते बनाने की इच्छा जताई

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(www.arya-tv.com) पाकिस्तान अपने यहां से आतंकवाद को बढ़ावा देने की बात को भले ही नकारता रहा है, लेकिन आतंकियों को पनाह देने की उसकी पोल अब उजागर हो चुकी है। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान की जमीन आतंकियों के लिए सुरक्षित है। तालिबान प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा कि तालिबान पाकिस्तान को अपना दूसरा घर मानता है और अफगानिस्तान की धरती पर ऐसी किसी भी गतिविधि की अनुमति नहीं देगा जो पाकिस्तान के हितों के खिलाफ हो। इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने भारत को अहम मुल्क करार देते हुए अच्छे रिश्ते बनाने की इच्छा जताई है। जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमने शांति और सामान्य स्थिति बहाल करते हुए सभी क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया है।

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल समेत अन्य शहरों की स्थिति दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने काबुल में सरकार के गठन से लेकर महिलाओं के सुरक्षा और अधिकारों के बारे में खुलकर बातचीत की । तालिबान प्रवक्ता मुजाहिद ने बताया कि हम सभी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। इसमें भारत भी शामिल है, जो इस इलाके का एक अहम हिस्सा है। हमारी इच्छा है कि भारत अफगान जनता की राय के मुताबिक अपनी नीतियां तैयार करें। हम अपनी सरजमीं को किसी मुल्क के खिलाफ इस्तेमाल नहीं करने देंगे। भारत और पाकिस्तान को चाहिए वे अपने द्विपक्षीय मामले सुलझाएं।’

वहीं , जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ओसामा बिन लादेन 9/11 के हमलों में शामिल था। उसने आगे कहा कि 20 साल के युद्ध के बाद भी कोई सबूत मौजूद नहीं है।  तालिबान की वापसी के बाद आतंकी संगठन अलकायदा के फिर उभरने का खतरा मंडराने लगा है। वहीं बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अलकायदा (एक्यूआईएस) ने बयान जारी कर तालिबान को बधाई दी है। अलकायदा ने अपने बयान में अमेरिका को आक्रमणकारी और अफगान सरकार को उनका सहयोगी बताया है। जानकारों का कहना है, घरेलू उग्रवाद के साथ-साथ रूस और चीन के साइबर हमलों से जूझ रहे अमेरिका के लिए यह बड़ी परेशानियाें का सबब बन सकता है।

अफगानिस्तान के नागरिकों ने बलिदान दिया: तालिबान 
तालिबान ने कहा है कि दुश्मनों के खिलाफ इस लड़ाई में अफगान लोगों के बलिदान को भूला नहीं जा सकता है। इसके अलावा अलकायदा ने तालिबान की जीत को अमेरिका की हार बताया है। अपने बयान में उसने कहा है कि यह तालिबान के हाथों सोवियत और ब्रिटेन को मिली हार से भी बड़ी सफलता है।  

कई गुटों की शरणगाह
जानकारों का कहना है कि अफगानिस्तान अब अनेक चरमपंथी गुटों की शरणगाह बन सकता है। यही वजह है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ओवर द होराइजन क्षमता की बात कहते रहे हैं। उनके सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने भी बताया था, खुफिया समुदाय का मानना है कि अलकायदा के पास अमेरिका पर पहले जैसा हमला करने की क्षमता नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी की कमजोर खुफिया क्षमता को चेतावनी की तरह लेना चाहिए।