भारत की ऐतिहासिक विजय, चंद्रयान 2 के सफलता की कहानी

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चंद्रयान-2 की सफलता भारत के लिए ऐतिहासिक विजय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पूरे देश से बधाइयों के संदेश आ रहे हैं। निश्चित तौर पर यह छण हमेशा के लिए यादगार बन गया है। इस दौरान इसरो के चेयरमैन के शिवन भावुक हो उठे। उन्होंने चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण को विज्ञान और भारत के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया।

ऐसे नहीं मिली सफलता!
चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग ऐसे ही नहीं हो पाई, बल्कि इसके लिए पूरी टीम को संघर्ष करना पड़ा। इसरो प्रमुख ने बताया कि टीम सात दिनों से घर-परिवार छोड़कर मिशन में जुटी रही। अपने हित-अहित को नजरअंदाज कर रात-दिन एक करने वाली टीम को दिल से सलाम करता हूं।

चंद्रयान 2 की लॉन्चिंग पहले 15 जुलाई को होनी थी, लेकिन क्रायोजेनिक इंजन में लीकेज के कारण लॉन्चिंग को टाल दिया गया था। इस खामी को महज 5 दिनों में ही दूर कर लिया गया और 22 को इसे लॉन्च किया गया।

जीएसएलवी-3 ने चंद्रयान-2 को धरती से छह हजार किलोमीटर दूर कक्षा में स्थापित कर दिया है। चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचेगा। अगले डेढ़ दिन में जरूरी टेस्ट किए जाएंगे, जिससे तय होगा कि मिशन सही दिशा में है। यह 48वें दिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।

शिवन ने कहा कि चंद्रयान को चंद्रमा के पास पहुंचने से पहले अगले डेढ़ महीने में 15 बेहद महत्वपूर्ण अभियान चरणों से गुजरना होगा। उसके बाद वह दिन आएगा जब चंद्रमा पर दक्षिणी ध्रुव के नजदीक सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए 15 मिनट तक हमारे दिलों की धड़कनें बढ़ जाएंगी। यह सबसे जटिल चरण होगा।