शिक्षक दिवस पर हिंदी में ऐसे करें अपने स्पीच की शुरुआत, इन बातों का रखें ध्यान, बज उठेंगी तालियां

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(www.arya-tv.com)  भारत में प्रत्येक वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति, शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इस दौरान स्टूडेंट्स स्पीच भी देते हैं। ऐसे में हम यहां पर यूपी, एमपी सहित अन्य बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं, जिनका पालन करके वे बेहतरीन स्पीच दे सकते हैं……

इस तरह से करें स्पीच की शुरुआत?

किसी भी भाषण की शुरुआती लाइन सबसे अच्छी होनी चाहिए। क्योंकि अगर भाषण की शुरुआती लाइनें अच्छी नहीं होती हैं तो लोग आपका भाषण सही से नहीं सुनेंगे। ये बात आपको स्टेज पर भी पता चल जाती है। ऐसे में आपका भी कॉन्फिडेंस गिर जाता है। ऐसे में कोशिश करें कि भाषण की शुरआत पंच लाइन के साथ करें। ताकि शुरू से ही दर्शक आपसे जुड़ा हुआ महसूस करें।

देवियो और सज्जनो, सम्मानित शिक्षक, सम्मानित अतिथि, और प्रिय छात्र….आज के शिक्षक दिवस समारोह में आपका हार्दिक स्वागत है। हम सभी हमें ज्ञान देने वाले अपने शिक्षकों को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां एकत्र हुए हैं। साथ ही हम सभी शिक्षकों के योगदान का आभार व्यक्त करने के लिए भी यहां एकत्रित हुए हैं। इस विशेष अवसर पर हम अपने शिक्षकों के अथक समर्पण और अटूट प्रयासों के लिए अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

शिक्षक हमारे दिमाग को आकार देते हैं और हमारे सपनों को संवारते हैं। शिक्षकों कि ही देन है कि हम आगे चलकर अपने जीवन में सफल होते हैं। हर एक इंसान के जीवन में शिक्षकों या गुरुओं का बहुत ही योगदान है। क्योंकि अगर शिक्षक नहीं होते तो आने वाली पीढ़ियों को अच्छा ज्ञान नहीं मिल पाता है। शिक्षकों की ही देन है कि आज भारत पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है। शिक्षक सभी स्टूडेंट्स का बराबर ध्यान देते हैं।

इन बातों का जरूर दें ध्यान

  • स्पीच देने से पहले फैक्ट चेक कर लें।
  • इतिहास को स्पीच में समाहित करें।
  • भाषण देने से पहले तथ्यों को जांच लें।
  • स्पीच की प्रैक्टिस करें।
  • स्पीच देने से पहले दोस्तों या फिर पैरेंट्स को दिखा लें।

शिक्षक दिवस का इतिहास

शिक्षक दिवस भारत के पहले उपराष्ट्रपति और देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन पर मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् थे। एक बार उनके छात्रों ने श्रद्धा से उनसे पूछा, क्या वह उन्हें उनके जन्मदिन पर कोई उपहार दे सकते हैं और उनका जन्मदिन मना सकते हैं। इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने छात्रों से उपहार लेने से मना कर दिया और कहा कि वे इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मना सकते हैं। लेकिन जब बाद में उनका निधन हुआ तो उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा।