ज्ञान परंपरा का प्रमुख स्रोत श्रुति एवं स्मृति : हरिकेश सिंह

Lucknow
  • ज्ञान परंपरा का प्रमुख स्रोत श्रुति एवं स्मृति : हरिकेश सिंह

नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेन्द्र नगर लखनऊ के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मंजुला उपाध्याय की अध्यक्षता में एवं शिक्षा शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य श्रीमती ऐश्वर्या सिंह के संयोजकत्व में द्विदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर आयोजित किया गया। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का द्वितीय दिन का प्रारम्भ आगत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन एवं सरस्वती मां की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ प्रारंभ हुआ।सभी मंचस्थ अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक पौधा प्राचार्या, सह संयोजिका डॉ.विनीता सिंह, डॉ.अंजुला कुमारी द्वारा भेंट किया गया ।

इस सत्र के मुख्य अतिथि वक्ता प्रोफेसर मनोज कुमार अग्रवाल अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ ने परम्परा और पश्चिमी सभ्यता एवं संस्कृति पर अपने व्याख्यान को केन्द्रित किया। द्वितीय अतिथि वक्ता शिक्षा शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के डॉ. सुभाष मिश्र ने कहा कि भारत की परंपरा समग्रता की रही है भारतीय संस्कृति समन्वयवादी विचारों पर आधारित है । अतिथि वक्ता बी.एस.एन.वी. डिग्री कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयशंकर पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय सनातन विद्या का उद्देश्य है कि छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास करना है जिससे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक विकास हो सके ।

अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य अतिथि वक्ता (सेवा निवृत्त)प्रोफेसर शिव कुमार चतुर्वेदी ने आभासी माध्यम से भारतीय ज्ञान विज्ञान -एवं हिंदू सभ्यता पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि समकालीन विश्व के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली की शक्ति और प्रासंगिकता के प्रश्न पर ध्यान केंद्रित करना है
तकनीकी सत्र की सत्राध्यक्ष प्रोफेसर चन्द्र मोहन उपाध्याय प्राचार्य कालीचरण पी.जी. कालेज, डॉ. शिवकुमार मिश्र भौतिक विभाग के इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्व विद्यालय अमरकंटक मध्य प्रदेश, डॉ. अमित मिश्र आर्य कन्या डिग्री कॉलेज प्रयाग राज, डॉ.नीतू सिंह बी. एड विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय ने किया।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि हरिकेश सिंह पूर्व कुलपति जे.पी विश्व विद्यालय छपरा बिहार ने अपने उद्बोधन में कहा कि सृष्टि के प्रारंभ में मनु सतरूपा से ही ज्ञान परंपरा का उदय हुआ ज्ञान परंपरा में श्रुति,स्मृति मुख्यरुप से थी । विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों से आये हुए शिक्षक, शोधार्थी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिए गए। तीन तकनीकी सत्रों में 150 शोधपत्रों का वाचन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्रवक्ता गण इस आयोजित संगोष्ठी के सभी समितियों के सदस्य उपस्थित रहे।