दुनिया को ‘ज्ञान’ देने वाले अमेरिका, रूस, चीन की हकीकत देखें, गुपचुप न्यूक्लियर टेस्ट साइट का कर रहे विस्तार

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(www.arya-tv.com) दुनिया को परमाणु अप्रसार का ज्ञान देने वाले तीन प्रमुख देश अमेरिका, रूस और चीन तेजी से अपनी न्यूक्लियर टेस्ट साइट का विस्तार कर रहे हैं। इन देशों हाल के वर्षों में अपने परमाणु परीक्षण स्थलों पर नई सुविधाएं बनाई हैं और नई सुरंगें खोदी हैं। यह डेवलपमेंट ऐसे समय हुआ है, जब इन तीनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों की बीच तनाव दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

हालांकि, इसके कोई सबूत नहीं हैं कि अमेरिका, रूस या चीन जल्द ही किसी परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रहे हैं। इन तीनों देशों में से अमेरिका परमाणु अप्रसार संधि का सबसे बड़ा समर्थक देश है। अमेरिका दूसरे किसी देश के परमाणु परीक्षण स्थल पर एक पत्ता भी खड़खड़ाने पर धमकाना शुरू कर देता है। अगर इससे भी काम नहीं चलता है तो वह अपने ‘गैंग’ के देशों के साथ तुरंत प्रतिबंधों की बौछार कर देता है।

परमाणु परीक्षण स्थल पर क्या-क्या निर्माण हुआ

सीएनएन ने सैटेलाइट इमेजरी का अध्ययन कर बताया है कि उसने इन देशों के सिर्फ तीन परमाणु परीक्षण स्थलों पर हाल के विस्तार को नोट किया है। इनमें से एक को चीन शिनजियांग प्रांत के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र में संचालित करता है, जबकि, दूसरा रूस आर्कटिक महासागर द्वीप समूह में ऑपरेट करता है।

तीसरा अमेरिका में नेवादा रेगिस्तान में संचालित किया जाता है। मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में जेम्स मार्टिन सेंटर फॉर नॉनप्रोलिफरेशन स्टडीज के प्रोफेसर जेफरी लुईस ने कहा कि पिछले तीन से पांच वर्षों की सैटेलाइट इमेजरी पहाड़ों के नीचे नई सुरंगों, नई सड़कों और भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ साइटों के अंदर और बाहर आने वाले वाहन यातायात में वृद्धि दिखाती हैं।

परमाणु परीक्षण रोकने वाली संधि पर तीनों देशों ने किए हैं हस्ताक्षर

उन्होंने कहा कि वास्तव में बहुत सारे संकेत हैं जो हम देख रहे हैं जो सुझाव देते हैं कि रूस, चीन और अमेरिका परमाणु परीक्षण फिर से शुरू कर सकते हैं। 1996 के व्यापक परमाणु परीक्षण द्वारा भूमिगत परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से उनमें से किसी भी देश ने ऐसा नहीं किया है।

इस प्रतिबंध संधि पर चीन और अमेरिका ने हस्ताक्षर तो किए हैं, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की है। पूर्व खुफिया विश्लेषक और रिटायर्ड अमेरिका वायु सेना कर्नल सेड्रिक लीटन ने तीनों शक्तियों के परमाणु स्थलों की छवियों की समीक्षा की और एक समान निष्कर्ष पर पहुंचे।

उन्होंने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि तीनों देशों, रूस, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने न केवल अपने परमाणु शस्त्रागार को आधुनिक बनाने में, बल्कि परीक्षण के लिए आवश्यक प्रकार की गतिविधियों को तैयार करने में भी बहुत समय, प्रयास और धन का निवेश किया है।

दुनिया में बढ़ सकती है परमाणु हथियारों की रेस

रूस ने परमाणु परीक्षण को रोकने वाली संधि पर हस्ताक्षर की पुष्टि तो कर दी है, लेकिन राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फरवरी में कहा था कि अगर अमेरिका पहले कदम बढ़ाता है तो वह परीक्षण का आदेश देंगे। उन्होंने कहा कि किसी को भी खतरनाक भ्रम नहीं होना चाहिए कि वैश्विक रणनीतिक समानता नष्ट हो सकती है।

विश्लेषकों ने कहा कि इस विस्तार से वाशिंगटन और दो सत्तावादी सरकारों के बीच गहरे अविश्वास के समय परमाणु हथियार परीक्षण बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दौड़ शुरू होने का खतरा है, हालांकि वास्तविक सशस्त्र संघर्ष के विचार को तुरंत के लिए खतरा नहीं माना जाता है।

लुईस ने कहा कि परमाणु परीक्षण से खतरा इस बात से है कि यह एक ओर संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरी ओर रूस और चीन के बीच बढ़ती हथियारों की दौड़ को तेज करता है। “इसका परिणाम यह होता है कि हम भारी मात्रा में पैसा खर्च करते हैं, भले ही हमें कोई सुरक्षा नहीं मिलती है।