सनातन से होती है पैसे की भी बचत! विपुल जी से साक्षात्कार ! : डॉ.अजय शुक्ला

Lucknow

(www.arya-tv.com)एचबीटीआई कानपुर से पोस्ट ग्रेजुएट इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई से सेवानिवृत परमाणु वैज्ञानिक, सनातन शोधक ट्रस्ट गर्वित के संस्थापक, विचारक, ब्लॉग और चैनल के माध्यम से सनातन संबंधी प्रश्नों को शांत करनेवाले, सचलमन सरल वैज्ञानिक ध्यान विधि द्वारा सनातन की शक्ति का घर बैठे अनुभव प्रदान करनेवाले,  विपुल सेन लखनवी जी के लगभग 24 साक्षात्कार aryatv.com ने प्रकाशित किए हैं !

aryatv.com पाठकों का आभारी है कि वे निरंतर विभिन्न प्रश्न पूछते रहते हैं। उन्हीं प्रश्नों को विपुल जी से पूछकर साक्षात्कार का रूप दिया जाता है। पूछे गए प्रश्नों पर बिना अटक आश्चर्यचकित उत्तर देकर विपुल जी निरुत्तर कर देते हैं! अब आगे!

डॉ. अजय शुक्ला: चरण स्पर्श सर। सीधा-सीधा प्रश्न! सनातन से किसी भी व्यक्ति को क्या फायदा मिलता है?

देवीदास विपुल: (हंसते हुए) नमस्कार अजय जी। क्या बात है! आज का प्रश्न तो बहुत ही मसालेदार है! आपका प्रश्न आज के मानव के मस्तिष्क की स्पष्ट और बेबाक प्रस्तुति है जो किसी ऐप की भांति सनातन में भी सिर्फ फायदा देखता है। बिना फायदे के कोई काम करना पसंद नहीं करता। चलिए इस पर भी चर्चा करते हैं!

सनातन के मार्ग पर चलने से पूरे विश्व के अतिरिक्त मनुष्य का व्यक्तिगत भी फायदा होता है और आपके प्रश्न के अनुसार धन का भी बहुत फायदा होता है?

पत्रकार अजय शुक्ला: कुछ स्पष्ट कीजिए!

सनातनपुत्र विपुल जी: देखिए सनातन मार्ग पर चलने से हमको वाहिक जगत का और आंतरिक जगत का दोनों का बहुत फायदा होता है! जिनकी संख्या हजारों में हो सकती है।

पत्रकार अजय शुक्ला: पहले आप वाहिक फायदा बताएं और वह भी इससे धन कैसे प्राप्त होता है यह बताएं ?

सनातनपुत्र विपुल जी: देखिए धन की बचत यानी धन की प्राप्ति धन का फायदा। अब आप सोचें आप जितना भी पैसा कमाते हैं आप अपने ऊपर कितना खर्च करते हैं अधिक से अधिक दो प्रतिशत या पांच प्रतिशत बाकी आप अपने परिवार नातेदार के ऊपर खर्च करते हैं। मतलब आप दूसरों के लिए जीते हैं। सनातन मार्ग पर चलने से आप अपने लिए जीने लगेंगे अपने जीवन का मूल्य समझने लगेंगे। आपके अंदर समाज और देश के महत्व के विचार अपने आप आने लगेंगे। आप सादगी से रहने लगेंगे यानी अनावश्यक खर्चों से दूर रहेंगे। यानी आपके धन की बचत।

पत्रकार अजय शुक्ला: इसका धन से क्या संबंध ?

सनातन पुत्र विपुल जी: आप अपना धन कहां खर्च करते हैं जरा बताइए? दवाओं पर खर्च करते हैं। यदि आप सनातनमार्ग हठयोग के अंतर्गत अष्टांग योग पर चलने लगते हैं तो आप रोग पर पैसा कम खर्च करते हैं क्योंकि आपको रोगों से बचाव होता है। मैंने अष्टांग का नाम इसलिए लिया है क्योंकि यह आजकल बहुत पॉप्युलर है हालांकि षष्टांग और सप्तांग भी तरीका होता है। जब आपको रोग नहीं होंगे तो दवाई पर वह भी एलोपैथी की महंगी दवाई पर जो खर्चा होता है वह बच जाएगा यानी पैसा मिल जाएगा। आप यदि सनातन के मार्ग पर चलते हुए आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार बच्चों की डिलीवरी भी करवाते हैं जल्दबाजी नहीं करते हैं तो उसपर भी जो आजकल निजी अस्पताल उल्टा सीधा ऑपरेशन कर बिल बनाते हैं वह भी पैसा बच जाएगा।

यदि आप सादगी पूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं तो आपकी पत्नी भी उल्टे सीधे मेकअप पर जो स्त्री को जल्दी बूढ़ा कर देते हैं वह मेकअप करती है। उसका खर्चा भी बच जाएगा। सनातन मार्ग पर चलना यानी प्रकृति के मार्ग पर चलना और प्राकृतिक मार्ग पर चलने से यौवन बरकरार रहता है। हां इसके लिए कुछ मेहनत जरूर करनी पड़ती है।

पत्रकार अजय शुक्ला: ठीक है पैसा बच गया अब और क्या बचेगा ?

सनातनपुत्र विपुल जी: देखिए यदि आप यह नियम का पालन करते हैं मतलब संतुलित जीवन व्यतीत करते हैं तो अनावश्यक विवाद से भी आप बचेंगे। यदि आप ध्यान करते हैं तो आपका मस्तिष्क प्रगाढ़ हो जाएगा। विज्ञान भी यह सिद्ध कर चुका है की एक योगी के मस्तिष्क के न्यूरान 50% से ऊपर सक्रिय हो जाते हैं जबकि एक वैज्ञानिक के अधिक से अधिक 7 से 10% प्रतिशत। आपके बाल सदैव घने और काले रहेंगे। यानी उल्टे सीधे डाई का खर्चा भी बचा।

यही नहीं यदि आप सनातन के मार्ग पर चलकर बच्चों के भविष्य का चुनाव करते हैं तो बच्चा एक सफल नागरिक बन जाता है। बच्चा बड़ों का आदर करना मां बाप को मां-बाप की भांति सम्मान देना आजीवन करता रहता है। विदेशी स्कूलों में महंगी फीस देकर बच्चा घर से दूर हो जाता है भारतीय संस्कृति से दूर हो जाता है बाद में आप शिकायत कहते हैं बच्चे ने हमको ओल्ड एज होम में भेज दिया। यह गलती आप कर रहे हैं आरोप बच्चे पर लगाते हैं।

सनातन प्रणित गर्वित ट्रस्ट द्वारा शोध की गई माइंड बूस्ट टेक्निक यानी मस्तिष्क संवर्धन तकनीकी के द्वारा बच्चों की मेमोरी बढ़ जाती है उनके अंक भी अच्छे आएंगे यानी आपका नाम भी होता शोहरत भी होगी। यह प्रयोग तो मैं खुद सफलतापूर्वक कर चुका हूं।

पत्रकार अजय शुक्ला: यह तो बहुत रोचक जानकारी दे रहे हैं आप! आनंद आ रहा है! कुछ और बताएं?

सनातन पुत्र विपुल जी: यहां तक की सनातन के मार्ग पर समाज सुधार होने पर आपके द्वारा आपकी सुरक्षा पर आपकी संरक्षण पर जो खर्चा है वह भी बच जाता है और पूरे विश्व में शांति भी केवल सनातन के ही मार्ग से प्राप्त हो सकती है और किसी भी धर्म की पद्धति से प्राप्त नहीं हो सकती! नहीं हो सकती! नहीं हो सकती!

पत्रकार अजय शुक्ला: विश्व शांति पर कुछ बताएं।

सनातनपुत्र विपुल जी: यदि दुनिया में सनातन के मार्ग पर चलेंगे तो सद्भाव आपसी प्रेम पैदा होगा और जो पैसा देश की सुरक्षा में सेना के ऊपर खर्च होता है उसमें कटौती होकर देश के विकास के ऊपर खर्च किया जा सकता है।

पत्रकार अजय शुक्ला: विश्व शांति कैसे संभव होगी सनातन के मार्ग से ?

सनातन पुत्र विपुल जी: आप इस पर अलग से मेरा एक साक्षात्कार छाप चुके हैं! फिर भी मैं संक्षेप में बताता हूं कुरान में लिखा हुआ है जो तुमको न माने यानी अल्लाह शब्द को न माने, मूर्ति पूजक हो, कुरान की बात न माने यानी काफिर हो उसको मार दो। काफिर के साथ उसके परिवार के साथ कुछ भी क्रूरतम व्यवहार करो उतना ही अल्लाह खुश होगा। भाईचारे की बात केवल अपने समुदाय के लिए होती है।

बाइबिल भी लगभग यही बात कहती है। हालांकि यीशु की जीवनी में मुझे तो कोई नेगेटिव बात नहीं दिखती है लेकिन जो टेस्टमेंट है उसमें जो वृतांत मिलता है वह उचित नहीं। थोड़ी विस्तृत तरीके से अपनी बात मनवाने के लिए धन का उपयोग करो बल का उपयोग करो और न माने तो मार दो। गोवा में सेंट आगस्टाइन ने जो किया वह शर्मनाक दुर्दांत कृत्य है।

सनातन कहता है सभी जीवो में अपने को देखो अपने में सभी जीवो को देखो सभी तुम्हारे भाई बंधु है उनकी सहायता करो क्योंकि सनातन आत्मिक स्वरूप को देखने की बात करता है। वाहिक बात नहीं करता। अब आप बताएं शांति कैसे आएगी?

आप खुद सोच भारतवर्ष में सनातनी लोगों की जनसंख्या अधिक है इस कारण विश्व की किसी भी जाति की संख्या भारत में सबसे अधिक पाई जाती है। यहां तक की मुस्लिम देशों में भी इस्लाम के 72 फिरके नहीं पाए जाते जो भारत में मिलते हैं। ईसायत के भी यहूदियों के भी पारसियों के भी विश्व के किसी भी परंपरा धर्म को मानने वालों के लोग भारत में ही पाए जाते हैं और कहीं नहीं।

डॉ. अजय शुक्ला: जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सनातन पर तो आपने आंखें खोल दी। मैं समय-समय पर अन्य प्रश्न लेकर प्रस्तुत होता रहूंगा। प्रणाम सर।

देवीदास विपुल: आपको धन्यवाद। आप मेरे उद्देश्य को यानी सनातन के प्रचार प्रसार को पंख देने का कार्य कर रहे हैं मैं व्यक्तिगत रूप से आपका आभारी हूं। किसी भी प्रश्न के लिए आपका स्वागत है!