रूस का दावा- आईफोन से जासूसी कर रहा अमेरिका:कहा- टारगेट पर इजराइल, चीन

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(www.arya-tv.com) रूस ने दावा किया है कि अमेरिका उसकी जासूसी के लिए आईफोन्स को हैक कर रहा है। रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस FSB के मुताबिक, उसने इन फोन्स में अमेरिकी सर्विलांस सिस्टम का पर्दाफाश किया है। FSB ने कहा- अमेरिकी हैकर्स ने जासूसी अभियान में इजराइल, सीरिया, चीन और NATO सदस्यों के डिप्लोमैट्स को निशाना बनाया।

इसके अलवा कई स्थानीय रूसी लोग और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों में काम कर रहे डिप्लोमैट्स के फोन भी हैक किए गए। FSB ने कहा- अमेरिका की स्पेशल सर्विस इस खूफिया ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी। रूस की एजेंसी ने ये भी दावा किया कि अमेरिका की नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी (NSA) और एप्पल कंपनी के बीच करीबी सहयोग है।

एप्पल ने कहा- हमने कभी ऐसा नहीं किया न करेंगे
हालांकि, उन्होंने इस बात के कोई सबूत नहीं दिए कि एप्पल कंपनी को इस जासूसी की जानकारी थी। वहीं, FSB के आरोपों को एप्पल कंपनी ने खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा- हमने कभी भी किसी देश की सरकार के साथ मिलकर फोन में छेड़छाड़ नहीं की है और न ही कभी करेंगे।

कैस्पर्स्की लैब ने कहा- 2019 से हो रही जासूसी
NSA ने इस बारे में कोई बयान देने से इनकार कर दिया। दूसरी तरफ, मॉस्को की कैस्पर्स्की लैब कंपनी ने कहा कि इस ऑपरेशन के जरिए उसके कई कर्मचारियों के डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की गई। कैस्पर्स्की ने एक ब्लॉग में कहा- जासूसी के सबूत सबसे पहले 2019 में मिले थे और ये अब तक जारी है। हालांकि, उन्होंने दावा किया कि वो इस साइबर अटैक का प्रमुख टारगेट नहीं थे।

रूसी अधिकारियों को आईफोन नहीं इस्तेमाल करने का आदेश
रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा- इससे साबित होता है कि अमेरिका में बने आईफोन्स पूरी तरह से पारदर्शी हैं। इन पर साइबर हमले करके बड़े पैमाने पर डाटा इकट्ठा किया जा रहा था। मंत्रालय के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सालों से इंटरनेट यूजर्स की जानकारी के बिना उनका डाटा इकट्ठा करने के लिए IT कंपनियों का इस्तेमाल कर रही है।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बेलफर सेंटर साइबर 2022 पावर इंडेक्स के मुताबिक, साइबर पावर के मामले में अमेरिका सबसे आगे है। उसके बाद चीन, रूस, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है। इससे पहले क्रेमलिन ने रूस में 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए अधिकारियों से आईफोन्स का इस्तेमाल बंद करने को कहा था। उन्होंने आशंका जताई थी कि अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसियां इसके जरिए रूस पर नजर रख रही हैं।