शी जिनपिंग के फाइव ईयर प्लान का हिस्सा है ये डैम, 285 करोड़ की लागत से बनेगा

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(www.arya-tv.com) चीन पर तिब्बत के लोगों की जमीन हड़पने करने के आरोप लगे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन तिब्बत के रेबगोंग और किंघाई इलाके में लिंग्या हाइड्रो पावर डैम बनाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए उसे आसपास के इलाके खाली कराने की जरूरत है।

हालांकि, कई लोग अपनी जमीन और घर छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में चीन के अधिकारी इन लोगों को मुआवजा नहीं देने की धमकी दे रहे हैं। चीन जिस हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए लोगों की जमीन जब्त कर रहा है वो उसके फाइव ईयर प्लान का हिस्सा है। जिस पर 285 करोड़ रुपए किए जाने हैं।

तिब्बत के लोग चीन में मजदूरी करने को मजबूर
चीन हाइड्रो प्रोजेक्ट के लिए तिब्बत के शू-ओंग के, ओंग नी था, माल्पा जाम और माल्पा खारनांग खारसी और मालपा चाउवो के इलाके को खाली करवा रहा है। डैम का काम जल्द शुरू हो जाएगा। लोगों का कहना है कि अपने गांव और खेतों के अलावा गुजारे के लिए उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है।

ऐसे में जब अधिकारी उनसे जमीन खाली करवा लेते हैं तो उन्हें चीन के शहरों में जाकर मजदूरी करनी पड़ती हैं। चीन जबरन तिब्बत के लोगों को अपने कल्चर में शामिल करने के लिए ऐसा कर रहा है।

वर्षों पुराना है तिब्बत-चीन का विवाद
चीन और तिब्बत का विवाद बरसों पुराना है। चीन का दावा है कि तिब्बत 13वीं शताब्दी में चीन का हिस्सा था, इसलिए तिब्बत पर उसका हक है। तिब्बत चीन के इस दावे को खारिज करता है। 1912 में तिब्बत के 13वें धर्म गुरु दलाई लामा ने तिब्बत को स्वतंत्र घोषित कर दिया। तब चीन ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई, पर जब 1949 में चीन में कम्युनिस्ट सरकार सत्ता में आई तो उसकी विस्तारवादी नीतियों के चलते तिब्बत की आजादी को खतरा पैदा हो गया। 6-7 अक्टूबर 1950 को चीनी सेना ने तिब्बत पर हमला कर दिया और 8 महीने चले संघर्ष के बाद तिब्बती सेना को मात दे दी।