चीनी रैपिड टेस्ट किट पर आज हो सकता है फैसला, आईसीएमआर सौंपेगा रिपोर्ट

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रैपिड जांच पर अभी असमंजस बरकरार है और चीनी किट से रैपिड टेस्ट पर आज फैसला हो सकता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) इसको लेकर आज अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। आपको बता दें कि कोरोना की जांच के लिए चीन से खरीदी गईं रैपिड जांच किट से गलत नतीजे निकलने की शिकायतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने इन किटों से टेस्ट करने पर दो दिन के लिए रोक लगा दी था। आईसीएमआर ने कहा था कि आठ प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक अगले दो दिनों के दौरान स्वयं फील्ड में जाकर इन किटों का परीक्षण करेंगे। इसके बाद सरकार आगे इनके इस्तेमाल को लेकर अंतिम निर्णय लेगी।

राजस्थान ने जताई थी आपत्ति :
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंगलवार को नियमित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान आईसीएमआर के प्रतिनिधि डा. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि राजस्थान ने एक दिन पहले आईसीएमआर द्वारा भेजी गई रैपिड जांच किट यह कहकर लौटा दी थी कि इनसे बहुत कम मामलों की जांच हो पा रही है। राजस्थान ने पांच फीसदी नतीजे ही सही देने की बात कही थी। इसके बाद आईसीएमआर ने मंगलवार को तीन और राज्यों से जानकारी जुटाई।

परीक्षणों में 6-71 फीसदी तक का अंतर :
गंगाखेडकर ने कहा कि यह पता चला है कि रैपिड जांच किट द्वारा किए जा रहे परीक्षणों में 6-71 फीसदी का तक अंतर है। यह अंतर बहुत ज्यादा है। रैपिड किट आरटीपीसीआर टेस्ट की तरह पूरी तरह से सही नतीजे नहीं देती हैं लेकिन जितना फर्क आ रहा है, वह बहुत ज्यादा है। इसलिए राज्यों को कहा गया है कि वे अगले दो दिन किट का इस्तेमाल नहीं करें। दो दिन बाद आईसीएमआर की ओर से आगे के लिए दिशा-निर्देश जारी होंगे।

पश्चिम बंगाल ने खराब किट भेजने का आरोप लगाया :
पश्चिम बंगाल सरकार ने रविवार को केंद्र सरकार पर खराब कोरोना वायरस टेस्ट किट देने का आरोप लगाया है। राज्य सरकार की ओर से जारी ट्वीट में आईसीएमआर पर खराब टेस्ट किट भेजने का आरोप लगाया, जिसकी वजह से बार-बार परिणाम गलत आ रहे हैं।
जरूरी बातें
– 4,49,810 लोगों की अब जांच हो चुकी है देशभर में
– 35 हजार से ज्यादा जांच की गईं सोमवार को
– 05 लाख रैपिड जांच किट चीन से मंगाकर राज्यों को दी जा चुकी हैं
– 6.5 लाख जांच किट का ऑर्डर चीन को और दिया गया है, जल्द मिलेंगी
– 20 लाख से ज्यादा जांच किट मंगाने की योजना है भारत सरकार की

आपत्ति
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि रैपिड किट जांच में 90 प्रतिशत सही साबित होने की बात कही गई थी, लेकिन यह केवल 5.4 प्रतिशत ही सही पाई गई, जो नहीं के बराबर है। इसलिए जांच पर रोक लगाई गई है।

आश्वासन
आईसीएमआर ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक फील्ड में जाकर खुद जांच किट का परीक्षण करेंगे। अगर इसमें गुणवत्ता की शिकायत पाई गई तो कंपनी से बात की जाएगी। किट को बदला जाएगा।

आसार
नीति आयोग के सलाहकार अलोक कुमार ने ट्वीट कर कहा कि कोरोना वायरस की जांच के लिए टेस्ट किट का निर्माण चल रहा। मई से इसका वितरण शुरू हो जाएगा। हर माह 10 लाख किट तैयार की जाएंगी।

दावा
– सीएसआईआर ने दावा किया है कि उसने विश्वसनीय रैपिड डायग्नोस्टिक किट को तैयार कर लिया है।
– जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग ने परीक्षण किट संबंधी योजनाओं को मंजूरी दी है।
– कई निजी दवा कंपनियां भी कोरोना वायरस की जांच के लिए किट बनाने में जुटी हुई हैं।

क्या होता है रैपिड टेस्ट
जब आप किसी वायरस या और किसी पैथोजन से संक्रमित होते हैं, तो शरीर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के जरिए इन्हीं एंटीबॉडी का पता लगाया जाता है। खून में मौजूद एंटीबॉडी से ही पता चलता है कि किसी शख्स में कोरोना या किसी अन्य वायरस का संक्रमण है या नहीं। रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट बीमारी की पहचान के लिए नहीं होता। यह टेस्ट सिर्फ ऐसे लोगों की पहचान के लिए है जिनमें लक्षण दिख रहे हों। एंटीबॉडी टेस्ट नेगेटिव आने का यह मतलब नहीं कि व्यक्ति को बीमारी या संक्रमण नहीं है।

कैसी होती है इसकी जांच
आईसीएमआर के मुताबिक खांसी, जुकाम आदि के लक्षण दिखने पर पहले 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाता है और उसके बाद उस व्यक्ति के खून के नमूने लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं। इसका परिणाम भी आधे घंटे के अंदर आ जाता है।