यूपी में गर्भवती महिलाओं और बच्चों को मिलेगा पोषण का सुरक्षा कवच, योगी सरकार ने खोला खजाना

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों और किशोरियों को कुपोषण से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने “अनुपूरक पुष्टाहार योजना” को मजबूत करने के लिए 51.89 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि जारी की है. यह राशि नैफेड के जरिए मिल रहे खाद्य पदार्थों की बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए दी गई है. इससे यह सुनिश्चित होगा कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से मिलने वाला पौष्टिक भोजन किसी भी हाल में रुके नहीं.

राज्य सरकार ने इसके साथ ही एक नई व्यवस्था की शुरुआत की है जिसे “टॉप-अप व्यवस्था” नाम दिया गया है. इस योजना के तहत यदि नैफेड द्वारा दी जा रही सामग्री की कीमत केंद्र सरकार द्वारा तय मानक से अधिक होती है, तो उसका अतिरिक्त खर्च राज्य सरकार खुद उठाएगी. इससे यह तय होगा कि कुपोषण के खिलाफ चल रही लड़ाई में कोई रुकावट न आए और सभी जरूरतमंदों तक पोषण सामग्री सुचारु रूप से पहुंचे.

हर लाभार्थी तक पहुंचेगा पोषण, सरकार का संकल्प

उत्तर प्रदेश में “समन्वित बाल विकास योजना” के तहत 6 माह से 6 साल तक के बच्चों, गर्भवती व धात्री महिलाओं और 14-18 वर्ष की किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों से पोषण सामग्री दी जाती है. गेहूं का दलिया, चना दाल, मसूर दाल और खाद्य तेल जैसी जरूरी चीजें इनके पोषण का हिस्सा हैं. इन चीजों की लागत बाजार में बढ़ने से नैफेड की आपूर्ति महंगी हो गई थी, जिससे योजना प्रभावित होने की आशंका थी. लेकिन योगी सरकार के फैसले से अब यह खतरा टल गया है.

सरकार ने अक्टूबर 2024 से मार्च 2025 तक दो तिमाहियों के लिए 51.89 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है. इसके अलावा, अगर भविष्य में भी कीमतें बढ़ती हैं तो भी सरकार अतिरिक्त पैसा देने को तैयार है.

मुख्यमंत्री खुद करेंगे दाल के विकल्प का चयन

अगर किसी समय चना दाल की आपूर्ति नैफेड नहीं कर पाता, तो उसकी जगह कौन सी चीज दी जाएगी, इसका निर्णय मुख्यमंत्री खुद करेंगे. इसका मकसद यह है कि लाभार्थियों को कभी भी पोषण सामग्री की कमी न हो.

347 टीएचआर यूनिट खोलने की योजना

सरकार केवल दाल-तेल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसने गांवों में ही पोषण सामग्री के उत्पादन का भी फैसला किया है. इसके लिए 2026-27 तक पूरे प्रदेश में 347 “टीएचआर यूनिट” यानी पोषण सामग्री बनाने वाली इकाइयां बनाई जाएंगी. ये यूनिट महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा चलाई जाएंगी जिससे गांव की महिलाओं को रोजगार मिलेगा और गांवों की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार उत्तर प्रदेश में अब भी बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों में यह समस्या ज्यादा गंभीर है. यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिए पौष्टिक भोजन मुहैया करवा रही हैं. योगी सरकार का यह कदम प्रदेश को कुपोषण से मुक्ति दिलाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. इस योजना का लाभ प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों को मिलेगा, खासकर उन लोगों को जो पोषण के लिए पूरी तरह से आंगनबाड़ी केंद्रों पर निर्भर हैं. यह योजना न केवल स्वास्थ्य सुधार का जरिया बनेगी, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत भी करेगी.