पालतू जानवरों से है इंसेफेलाइटिस का खतरा, इस तरह करें बचाव

Gorakhpur Zone UP

गोरखपुर(www.arya-tv.com) पालतू पशुओं के शरीर पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया के चलते भी इंसानों में इंसेफेलाइटिस हो सकता है। यह खुलासा आरएमआरसी (क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र) के शोध में हुआ है। यह शोध जनरल ऑफ अमेरिकन सोसायटी ऑफ मेडिकल एंटोमोलॉजी में भी प्रकाशित हुआ है।

आरएमआरसी ने पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस के खतरे को देखते हुए जिले के दो ब्लॉकों के चार गांवों में शोध किया था। इसके लिए चरगांवा ब्लॉक के जंगल डुमरी व जंगल अयोध्या, जबकि भटहट ब्लॉक के करमहां और बरगदही गांव को चुना गया था।

आरएमआरसी के मीडिया प्रभारी व सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक पांडेय बताया कि इन गांवों में गाय, भैंस, कुत्ते और बकरी पर शोध किया गया। इन जानवरों के शरीर पर चार तरह के जूं (किलनी), बोफिलस माइक्रोप्लस, हायलोमा रिफिसेफेलस, सैंग्वीनियस और डर्मासेंटर आरोटस मिले। इन जूं में पाए जाने वाले बैक्टीरिया 80 से 90 फीसदी तक इंसेफेलाइटिस के वाहक हैं।

डॉ. अशोक पांडेय ने बताया कि इन जानवरों के शरीर पर मौजूद जूं में पाए जाने वाले बैक्टीरिया में सबसे अधिक संख्या रिकेट्सिया बैक्टीरिया (83.8 फीसदी) की होती हैं। ये ही सबसे अधिक खतरनाक भी हैं। इनके मानव शरीर में पहुंचने से बुखार के साथ झटके आने शुरू हो जाते हैं। इससे एईएसए से प्रभावित होने की संभावना 90 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।