अस्पतालों में मनमाने बिल के डर से लोग एडमिट नहीं हो रहे, इतनी देरी में वायरस फेफड़ों को जकड़ चुका होता है

Health /Sanitation National

(www.arya-tv.com)देश में महाराष्ट्र ही ऐसा राज्य है, जहां कोरोना से रोज करीब 300 लोगों की मौत हो रही है। केंद्र की एक्सपर्ट टीम ने हाल ही में राज्य के 30 जिलों का दौरा किया। फिर अपनी रिपोर्ट में कहा कि औरंगाबाद जैसे जिलों के अस्पतालों में बेड्स नहीं हैं, ऑक्सीजन और दवाइयों की भी किल्लत है।

रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि गंभीर मरीजों के इलाज के लिए औरंगाबाद दूसरे जिलों पर निर्भर है। कंटेनमेंट जोन, सर्विलांस और कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग में भी कोताही बरती जा रही है।

‘हैरानी की बात है कि चीन का वुहान कोरोना से निजात पा चुका है और हम लोग अभी तक अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन ढूंढ रहे हैं। आपदा में अवसर शायद इसे ही कहते हैं कि दवाएं ब्लैक में मिल रही हैं और अस्पतालों में बिल के डर से लोग एडमिट नहीं हो रहे हैं। तब तक कोरोना फेफड़ों को जकड़ चुका होता है।’

औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील यह बताते हुए कहते हैं कि प्रशासन लॉकडाउन लगाने की बात करता है। लॉकडाउन प्रशासन लगाए और राशन NGO बांटे, खाना NGO खिलाए, ये तो सही नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि वह भीड़ भरी जगहों पर भीड़ नियंत्रित करे। अस्पताल बढ़ाए, बेड बढ़ाए, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन अरेंज करे और दवाओं की कालाबाजारी रोके। क्योंकि कोरोना सिर्फ रात को या छुट्टी के दिन चलकर नहीं आता है।

निजी अस्पतालों में लूट मची है
इम्तियाज जलील आरोप लगाते हुए आगे बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों में कहीं-कहीं बेड हैं, लेकिन वहां डॉक्टर-नर्स नहीं हैं। मजबूरन लोग निजी अस्पतालों में जा रहे हैं। वहां 3 लाख से 8 लाख रुपए तक बिल आ रहा है। यही नहीं यहां कोविड में प्रयोग होने वाली दवाएं 5-5 लाख रुपए में ब्लैक हुई हैं। डॉक्टर मर रहे मरीजों से बिना वजह महंगी दवाएं मंगवा रहे हैं। और वह दवाएं इलाज में अंदर यूज हुई या नहीं हुई कोई नहीं जानता। ​

इम्तियाज यह बताते हुए हमें एक रिकॉर्डिंग सुनाते हैं, जिसमें पुणे के निजी अस्पताल में एक आदमी की पीड़ा है। उसका कोविड के इलाज का खर्च 3.50 लाख रुपए आया, जिसे चुकाने में वह असमर्थ है।

महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल तय किए थे रेट
महाराष्ट्र सरकार ने 21 मई 2020 को नोटिफिकेशन जारी कर पूरे राज्य में कोविड-19 के मरीजों के इलाज का शुल्क निर्धारित किया है। इसके तहत रूटीन वार्ड एवं आइसोलेशन रूम का शुल्क 4 हजार, बिना वेंटिलेटर के ICU वार्ड वाले आइसोलेशन रूम का शुल्क 7,500 रुपए और वेंटिलेटर सहित ICU वार्ड वाले आइसोलेशन रूम का शुल्क 9000 रुपए लिया जाना चाहिए।

इसमें मॉनिटरिंग, कुछ बेसिक टेस्ट और परीक्षण का शुल्क शामिल है। इसके अलावा PPE किट और मरीज के इलाज की जरूरत के हिसाब से लगने वाली अन्य चीजों का शुल्क ICMR ने जो निर्धारित किया है। उसके हिसाब से लिया जाता है।

जरूरत से आधी मिल रही है अस्पतालों को ऑक्सीजन
औरंगाबाद के 32 कोविड सेंटर में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है। एशियन हॉस्पिटल के डायरेक्टर शोएब हाशमी का कहना है कि औरंगाबाद में 1000 सरकारी बेड मिलाकर कुल 2000 बेड हैं। रोज 20% बेड की कमी हो रही है।

हाशमी के मुताबिक, उनके 130 बेड वाले अस्पताल में रोज 150 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती है। उनके सप्लायर का कहना है कि वो अपनी जरूरत को आधा करें, क्योंकि ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो रही है।

सड़कों पर लोग बिना मास्क घूम रहे हैं, कोई देखने वाला नहीं
कई NGO को साथ लाकर लॉकडाउन में राहत पहुंचाने का काम करने वाले वाजिद कादरी बताते हैं कि सड़कों पर लोग बिना मास्क घूम रहे हैं। चौराहों पर भीड़ जमा रहती है। कोई देखने वाला नहीं। कादरी के मुताबिक, सुपर स्पेशिलिटी अस्पताल के गेट पर एक परिवार को देखा, जिनके परिजन की कोरोना से मौत हो गई। ये उन्हें लेकर डेढ़ दिन तक पूरे औरंगाबाद में घूमते रहे थे। बेड मिला, पर इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना के बावजूद इस परिवार के किसी सदस्य ने मास्क नहीं पहना था।