पंकज त्रिपाठी बोले- तब मैं निर्माता से कह दूंगा कि अब मुझे छोड़ दो, अच्छा काम करने के लिए कम काम करना होगा

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(www.arya-tv.com) जाने-माने कलाकार पंकज त्रिपाठी को सिनेमा और ओटीटी दोनों पर दर्शकों का प्यार मिलता है। इस साल उनकी दो फिल्में ‘OMG 2’ और ‘फुकरे 3’ सिनेमाघर में रिलीज हुई हैं। वहीं उनकी तीसरी फिल्म ‘कड़क सिंह’ ओटीटी पर रिलीज हो रही है। हाल ही में दिल्ली आए पंकज ने हमसे खास बातचीत की-

आमतौर पर कलाकार या तो ओटीटी पर अच्छा कर रहे होते हैं या फिर बड़े पर्दे पर। मगर आप सिनेमा और ओटीटी दोनों पर लोकप्रिय हैं। इसका क्या राज है?

कोई राज नहीं है। (मुस्कराते हुए) मैं सिनेमा और ओटीटी दोनों ही करता हूं। इस साल थियेटर में मेरी ‘OMG 2’ और ‘फुकरे 3’ रिलीज हुईं। वहीं इस साल की तीसरी फिल्म कड़क सिंह अब ZEE 5 पर आ रही है।

अगले साल मैं फिर से थिएटर से शुरुआत करूंगा। फिर दो महीने बाद ओटीटी पर आ जाऊंगा, फिर उसके बाद सिनेमा और फिर ओटीटी पर। इस तरह मैं बैलेंस बनाकर चलता हूं। ओटीटी पर लोगों ने मुझे इतना प्यार दिया, तो सिनेमा वाले भी पूछने लगे।

यह दोनों के बीच एक संतुलन है और मैं दोनों का हिस्सा बनता हूं। हालांकि फिल्म साइन करते वक्त मैं सिनेमा या ओटीटी की बजाय उसकी स्क्रिप्ट पर ध्यान देता हूं। मुझे बस कहानी पसंद आनी चाहिए। कहानी पसंद आ जाए, तो फिर मैं उसे हां बोल देता हूं, फिर वह फिल्म चाहे ओटीटी पर आए या सिनेमा पर।

इस साल आपकी दो सीक्वल फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। इनके अलावा भी आप कई और सीक्वल फिल्मों व सीरीज का हिस्सा हैं। आपको ऐसा नहीं लगता कि इतने सीक्वल करने के बाद आपको नया काम करने के लिए कम वक्त मिलता है?

हां, बीच में कुछ ऐसा हो गया था। मैंने पांच-छह सीक्वल किए थे। पहले ‘मिर्जापुर’ हुआ, फिर ‘फुकरे 3’, ‘OMG 2’, ‘स्त्री 2’ और फिर ‘क्रिमिनल जस्टिस 4’, तो मैं भी एक दिन परेशान हो गया कि इतना मैं 2, 3, 4 क्यों कर रहा हूं।

(हंसते हुए) अभी मैट्रो 2 भी है, जिसे बताना मैं भूल ही गया था। तो इस तरह मैं 6-7 सीक्वल कर रहा हूं। भला यह भी कोई सिनेमा है? कोई पूछेगा कि क्या कर रहे हो? तो मैं कहूंगा कि 7 फिल्में कर रहा हूं। कौन सी 7 फिल्में? 2, 3, 4, 5, 6…..।

ऐसा मैंने कभी प्लान नहीं किया था। अभी जब तक चल रहा और मैं बोर नहीं हो रहा हूं, तब तक ऐसे ही चलेगा, वरना मैं निर्माता से कह दूंगा कि अब मुझे छोड़ दो। मैंने ऐसा भी दौर देखा है, जब 8 साल तक मुंबई में कैमरे के सामने आने के लिए भटक रहा था।

वहीं अब 7 फ्रेंचाइजी में काम कर रहा हूं। हालांकि मुझे इससे कोई शिकायत नहीं है। जीवन ऐसा ही है, तो ऐसा ही चले। लेकिन अच्छी ऐक्टिंग के लिए आपको गैप चाहिए होता है। मुझे महसूस हो रहा है कि लगातार अच्छा काम करने के लिए मुझे कम काम करना होगा।
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आपने बताया कि 8 साल तक आपने कैमरा नहीं देखा, लेकिन आजकल आप स्टारडम के चरम पर हैं। ऐसे में खुद को जमीन से जोड़े रखने के लिए आप क्या करते हैं?

मैं योग करता हूं। (हंसते हुए) क्योंकि वो जमीन पर ही करना पड़ता है। मैंने यह मजाक में जरूर कहा है, लेकिन यह काफी हद तक सच भी है। दरअसल, योग हमारे शरीर और दिमाग को बैलेंस करता है।

इससे दिमाग कंट्रोल में रहता है कि भई ज्यादा उड़ो मत! सफलता और असफलता सब समय का खेल है।
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फिल्म ‘कड़क सिंह’ में आपका किरदार काफी अलग लग रहा है। इसके बारे में बताएं?

मेरे लिए यह रोल करना काफी रिस्की था। यह मेरे रूटीन सिनेमा से अलग है। यह बाकी कहानियों से अलग है और इसके किरदार भी अलग हैं। डायरेक्टर टोनी दा और लेखक रितेश शाह ने बहुत अच्छी स्क्रिप्ट लिखी है।

स्क्रीन प्ले कमाल का और नया है। फिल्म में संजना सांघी, पार्वती और जया जैसी सुंदर एक्ट्रेस हैं। मेरा किरदार इन तीन महिलाओं से घिरा हुआ है।

जब आप दिल्ली आते हैं तो ऐसे कौन सी यादें होती हैं, जो आंखों के सामने घूम जाती हैं?

अभी हम मंडी हाउस और बाराखंभा रोड के बारे में बात कर रहे थे। दिल्ली में रहने के दौरान हम इन्हीं जगहों पर रहते थे। संजना के स्कूल के पीछे मेरा हॉस्टल हुआ करता था।

दिल्ली के इस हिस्से मैं बखूबी वाकिफ हूं, क्योंकि मैंने यही पर तीन साल बिताए हैं। जब भी मैं दिल्ली आता हूं, तो उन दिनों की यादें ताजा हो जाती हैं।