वादे से कई बार मुकर चुका है पाकिस्‍तान, बेवजह मारे गए मासूम नागरिक और शहीद हुए जवान

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(www.arya-tv.com) भारत और पाकिस्‍तान के बीच संघर्षविराम की घोषणा को लेकर अमेरिका और संयुक्‍त राष्‍ट्र ने सराहना की है। पाकिस्‍तान के चरमपंथ, घुसपैठ और संघर्षविराम के उल्‍लंघन के खराब अनुभवों को देखते हुए यह सवाल जरूर उठता है कि उसका संघर्षविराम का वादा कितना लंबा चलेगा। दरअसल, पाकिस्‍तान सरहद पर गोलीबारी की आड़ में देश में आतंकवादियों की घुसपैठ कराता है। अगर पाकिस्‍तान घुसपैठ रोकता हैं तो दोनों देशों के बीच आगे वार्ता शुरू हो सकती है, लेकिन पड़ोसी मुल्‍क का संघर्ष विराम पर टिके रहना ही उसकी सबसे बड़े चुनौती है। यहीं पर पाक‍िस्‍तान की कथनी और करनी की अग्निपरीक्षा होगी। आखिर दोनों देशों के बीच कब शुरू हुआ संघर्षविराम। पाकिस्‍तान सरकार क्‍या सच में संघर्षविराम को लेकर गंभीर रही है।

2003 में दोनों देशों के बीच हुआ था करार

भारत-पाकिस्‍तान के बीच वर्ष 2003 में संघर्षविराम का समझौता हुआ था। पाकिस्‍तान ने इस समझौते पर बमुश्किल 4-5 वर्ष ही सही से अमल किया। वह अपनी आदतों से बाज आने वाला नहीं था। पाकिस्‍तान ने 2007 में सरहद पर गोलीबारी की घटनाएं प्रारंभ कर दी। 2013 और 2018 में एक बार फ‍िर संघर्ष विराम को लेकर दोनों देशों के बीच वार्ता हुई। इस वार्ता का काई ठोस नतीजा नहीं निकल सका।
जम्‍मू और कश्‍मीर की सीमा पर 2020 में संघर्षविराम उल्‍लंघन के 5133 मामले सामने आ चुके हैं। 2019 में संघर्ष विराम उल्‍लंघन की 3479 घटनाओं के मुकाबले 47.5 फीसद ज्‍यादा है।

वर्ष 2018 में संघर्ष विराम उल्‍लंघन की 2936 घटनाएं हुईं। इसमें 61 सुरक्षाबल और आम नागरिक मारे गए। वर्ष 2017 में 971 बार संघर्षविराम की घटनाएं हुईं। इसमें 19 सुरक्षाबल के साथ 12 आम नागिरकों की मौत हुई थी।
प्रो. हर्ष पंत कहते हैं कि यह देखना दिलचस्‍प होगा कि यह समझौता कितने दिन अस्तित्‍तव में रहता है। पाकिस्‍तान ने तीन दशकों से अधिक समय से भारत के खिलाफ प्रॉक्‍सी वार की नीति अपना रखी है। ऐसे में इस करार के अमल पर जरूर सवाल पैदा होता है। क्‍या सच में पाक ने अपनी प्रॉक्‍सी वार की न‍ीति में बदलाव किया है।

उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान की आतंरिक और वाह्य हालात उसके बेहद प्रतिकूल है। अतंरराष्‍ट्रीय परिदृश्‍य में पाकिस्‍तान एकदम अलग-थलग पड़ चुका है। पाकिस्‍तान के आंतरिक हालात भी बेहतर नहीं हैं। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाक के पास भारत से अच्‍छे संबंध बनाए रखने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं है। भारत में एक मजबूत सरकार की दृढ़ इच्‍छा शक्ति के कारण यह दबाव बढ़ता ही जा रहा था। इसके चलते पाकिस्‍तान के रुख में बदलाव आया।