रूसी तेल से पाकिस्तान को मिल सकती है राहत, मगर सरकार के पास कई चुनौतियों के हल नहीं

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(www.arya-tv.com) पाकिस्तान अब रूस से कच्चे तेल का आयात शुरू करने जा रहा है। इसकी पहली खेप मई में किसी समय पाकिस्तान पहुंच जाएगी। इससे विदेशी मुद्रा के घोर संकट से गुजर रहे पाकिस्तान को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार के इस फैसले से कई दूसरी चुनौतियां सामने आ सकती हैं।

पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक के मुताबिक पाकिस्तान ने इस महीने के आरंभ में रूस को तेल खरीदारी का पहल ऑर्डर दिया। आयात हुए तेल को पाकिस्तान की रिफाइनरी में रिफाइन किया जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो पाकिस्तान रोजाना एक लाख बैरल तेल खरीद का आर्डर रूस को दे सकता है। इससे पाकिस्तान की कच्चे तेल की दो तिहाई जरूरत पूरी हो जाएगी। पाकिस्तान सरकार ने यह नहीं बताया है कि वह किस भाव पर रूस से तेल खरीद रही है। लेकिन उसने इस करार को पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी आर्थिक राहत जरूर बताया है।

एक सरकारी अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम को बताया कि पाकिस्तान सरकार 50 डॉलर प्रति बैरल के भाव से तेल खरीदने की कोशिश में है। पाकिस्तान अब तक मुख्य रूप से सऊदी अरब से तेल खरीदता रहा है, जिसका भाव हाल में 84.75 डॉलर प्रति बैरल रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक 2022 में पाकिस्तान ने हर प्रकार के पेट्रोलियम पदार्थ के आयात पर 18.75 बिलियन डॉलर खर्च किए। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ता चला गया है।

हालांकि रूस से सस्ता तेल मिलने से पाकिस्तान को आर्थिक राहत मिलेगी, लेकिन जानकारों की राय में इससे कई तरह के राजनीतिक और कूटनीतिक सवाल खड़े होंगे। इस पर अमेरिकी की उग्र प्रतिक्रिया हो सकती है- खासकर उस स्थिति में अगर पाकिस्तान 60 डॉलर प्रति बैरल के कम के भाव पर तेल खरीदता है। जी-7 देशों ने रूसी तेल खरीद की यह न्यूनतम कीमत तय कर रखी है। अमेरिकी थिंक टैंक रैंड कॉरपोरेशन में वरिष्ठ रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा है कि पाकिस्तान के इस कदम पर अमेरिकी नीति निर्माता बेहद सख्त रुख अपनाएंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाए जाने की संभावना नहीं है।

एक अन्य अमेरिकी थिंक टैंक विल्सन सेंटर में स्थित साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने कहा है- ‘मुझे नहीं लगता कि प्रतिबंध लगाया जाएगा। लेकिन पाकिस्तान के साथ दिक्कत यह है कि उसे अमेरिका ने स्ट्रेटेजिक पार्टनर का दर्जा नहीं दे रखा है। भारत को यह दर्जा मिला हुआ है, जिस कारण अमेरिका उसके साथ अलग तरह का व्यवहार करता है।’

पाकिस्तान के सामने दूसरी चुनौती यह है कि रूस उसे गैर रिफाइंड तेल बेचेगा। पाकिस्तान के पास उतनी बड़ी मात्रा में कच्चे तेल को रिफाइन करने की क्षमता है या नहीं, यह साफ नहीं है। इस्लामाबाद स्थित ऑयल एडवाइजर रूसी तेल को रिफाइन करने का खर्च दो से पांच डॉलर प्रति बैरल तक आएगा। इससे तेल उतना सस्ता नहीं रह जाएगा, जितना ऊपर से नजर आ रहा है।

लेकिन पाकिस्तान के पूर्व पेट्रोलियम और प्राकृतिक संसाधन सचिव जीए साबरी ने राय जताई है कि पाकिस्तान सरकार ने रूस को ऑर्डर देने के पहले तेल रिफाइन करने की अपनी क्षमता का जरूर आकलन किया होगा।c