JNU कैंपस में कोरोना का कहर:यूनिवर्सिटी में 2 महीने में 12 की मौतें

Education Environment National

(www.arya-tv.com)देश की सबसे प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। JNU प्रशासन की कोविड रिस्पॉन्स टीम के मुताबिक 10 मई तक दूसरी लहर में 12 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, यूनिवर्सिटी कैंपस के अनाधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मौतों का आंकड़ा 12 नहीं, 18 है। कोविड रिस्पॉन्स टीम की मानें तो पहली लहर में 5 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, दूसरी लहर में दो महीनों में 12 लोगों की जान जा चुकी है। अब तक संक्रमण से जुड़े 200 से ज्यादा केस सामने आ चुके हैं।

5 से लेकर 10 मई के बीच ही 4 लोगों की मौत
JNU प्रशासन के मुताबिक, 10 मई को स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशन एंड इंटीग्रेटिव साइंसेज डिपार्टमेंट में बतौर सिस्टम एनालिस्ट काम कर रहे करीब 40 साल के एक व्यक्ति की मौत हो गई। इन्हें गंभीर हालत में बीएल कपूर अस्पताल में भर्ती किया गया था। वे ठीक भी हो गए थे। लेकिन निगेटिव रिपोर्ट आने के कुछ दिनों बाद उन्हें दोबारा संक्रमण हुआ, जिसमें उनकी जान चली गई। 5 से लेकर 10 मई के बीच ही 4 लोगों की मौत हो गई।

कोरोना से मरने वालों में सभी स्टाफ मेंबर
कैंपस से मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक संक्रमण से होने वाली मौतों में स्टाफ के लोग ही शामिल हैं। यूनिवर्सिटी के एक स्टाफ ने बताया, दूसरी लहर में कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 50 साल से कम है।

वहीं, कोविड रिस्पॉन्स टीम का कहना है कि JNU प्रशासन लगातार दिल्ली सरकार और प्रशासन के संपर्क में है। मरीजों के लिए क्वारैंटाइन सेंटर में बेड, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की व्यवस्था बड़े स्तर पर की जा रही है। JNU में अब तक तीन बार टेस्टिंग कैंप लगाए जा चुके हैं जबकि वैक्सीनेशन कैंप एक बार लगा है।

JNU में हालत बिगड़ते देख 18 अप्रैल को ही बन गई थी कोविड-19 रिस्पॉन्स टीम
JNU में हालत बदतर होते देख कोविड-19 रिस्पॉन्स कमेटी बनाई गई है। 9 लोगों की इस कमेटी में रजिस्ट्रार चेयरपर्सन हैं। इसके अलावा अन्य 8 लोग हैं। यह टीम कोरोना से जुड़े मामलों पर नजर रखने और संक्रमित व्यक्ति को इलाज मुहैया करवाने या किसी भी तरह की सलाह के लिए बनाई गई है।

कमेटी के मेंबर डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया, ‘हम सभी स्टूडेंट और स्टाफ से लगातार संपर्क में हैं। क्वारैंटाइन सेंटर और अस्पताल में भर्ती लोगों की हालत पर लगातार नजर रखी जा रही है।’

4 हजार से ऊपर छात्र और स्टाफ पर खतरा
अभी JNU में 4,350 स्टूडेंट और स्टाफ हैं। इनमें 3,000 स्टूडेंट, 1,000 स्टाफ (एडमिन, प्रोफेसर, टैक्निशियन) और 350 गार्ड हैं। देश की इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में कोरोना के इतने मामले मिलने के बाद बाकियों पर भी संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है।

लेफ्ट विंग के छात्रों ने स्टूडेंट को कैम्पस में जल्द बुलाने का दबाव बनाया था
JNU प्रशासन के मुताबिक पहली लहर में सभी स्टूडेंट्स को उनके घर भेज दिया गया था, ताकि उन्हें संक्रमण से बचाया जा सके। लेकिन लेफ्ट विंग स्टूडेंट यूनियन के छात्र नेताओं ने इसे प्रशासन की साजिश बताया था।

AISF के छात्र नेता हरेंद्र ने अप्रैल के पहले सप्ताह में बताया था कि हम सभी छात्रों ने मिलकर स्टूडेंट्स को बुलाने के लिए एक प्लान बनाया था, ताकि JNU प्रशासन सभी छात्रों को बुला सके। लेकिन प्रशासन ने हमारा प्लान नहीं माना। दरअसल, प्रशासन नहीं चाहता कि स्टूडेंट कैंपस में रहें। एक तरह से यह कैंपस से स्टूडेंट्स को दूर रखने की साजिश के तहत ही ऑनलाइन एजुकेशन और परीक्षाएं हो रही हैं।

कोविड रिस्पॉन्स टीम के एक सदस्य ने बताया कि कुछ छात्र लगातार प्रशासन पर सभी स्टूडेंट्स को बुलाने का दबाव बना रहे थे, लेकिन प्रशासन ने स्थिति को भांपते हुए अभी करीब 60-65 फीसदी स्टूडेंट्स को ही बुलाया है।