विश्व वानिकी दिवस के मौके पर राजेश ​कुमार ने वन एंव पर्यावरण संरक्षण के लिए युवाऔं से की आगे आने की बात

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मेरठ(www.arya-tv.com) विश्व वानिकी दिवस के मौके पर शहर में जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। लोगों ने पौधे रौपे और पर्यावरण एवं वन संरक्षण की शपथ ली। इस मौके पर डीएफओ राजेश कुमार ने विश्व वानिकी दिवस मनाए जाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हरियाली से खुशहाली लाई जा सकती है। युवा पीढ़ी से वन एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने की अपील की।

जागरूक नागरिक एसोसिशन के महासचिव गिरीश शुक्ला ने इस मौके पर पौधारोपण कराया। वन संरक्षण की शपथ दिलाई। इधर, ग्रीन केयर सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. विजय पंडित, प्रशांत कौशिक, राज शर्मा ने भी विश्व वानिकी दिवस के मौके पर शपथ ली। ग्रीन प्लेनेटे वेलफेयर के अध्यक्ष यशवंत राय ने गोष्ठी की। इसमें प्रदर्शनी का आयोजन किया। विभिन्न पेड़ों के बारे में जानकारी दी।

इसके अलावा एक अन्य कार्यक्रम में डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि वनों को संरक्षित करने के लिए वर्ष 1971 में यूरोपीय कृषि संगठन की 23वीं आम बैठक में 21 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व वानिकी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन ने भी इस दिन को विश्व वानिकी दिवस मनाने पर सहमति दी।

उन्होंने कहा कि वन एक ऐसा जीवन्त समुदाय होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, कीट-पतंगे एक-दूसरे पर निर्भर होकर अपना जीवन बिताते हैं। पिछले कुछ दशकों में जिस तरह से मनुष्य ने अपने लालच की पूर्ति के लिए जंगलों का विनाश करना शुरू किया है, उससे जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्लेशियर का पिघलना जैसी विकट समस्याएं शुरू हुई हैं। अगर हमने अभी भी इस भयातवता की ओर ध्यान नहीं दिया तो समस्त प्रकृति व जीव-जन्तु संकट में पड़ जाएंगे।

कहा कि किसी वयस्क व्यक्ति को जिंदा रहने के लिए जितनी आक्सीजन की जरूरत है, उसी प्रकार पेड़ों की जीवन में बड़ी भूमिका है। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से उनकी संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है। इसके लिये न केवल हमारी नीतियां दोषी हैं, बल्कि हम सब दोषी हैं, क्योंकि जब कहीं एक वृक्ष कटता है तो हम सजग नहीं होते हैं, उल्टे हम उन पर्यावरण के लिए घातक गतिविधियों की अनदेखी कर देते हैं।

धरती पर खड़ा प्रत्येक पेड़ प्रकृति-प्रहरी : डीएफओ राजेश कुमार ने कहा कि हमें यह नही भूलना चाहिए कि धरती पर खड़ा प्रत्येक पेड़ प्रकृति-प्रहरी है। उसका कटना समस्त पारि-तन्त्र को प्रभावित करता है। हरीतिमा कहीं भी हो और किसी भी रूप में हो उसका संरक्षण होना ही चाहिए। इसके लिए प्रत्येक नागरिक को अपना नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य निभाना चाहिए। और किसी भी दशा में विकास के लिये हरियाली का बलिदान नहीं किया जाना चाहिए। यह न केवल अक्षम्य है बल्कि भीषण हरित-अपराध है, जो हम अपनी अगली संततियों के जीवन के सुखमय जीवन को दाँव पर लगा कर कर रहें हैं।